कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अनिवार्य कंट्रीब्यूशन को घटाकर 10 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को शनिवार को मंजूरी दे सकता है.
मौजूदा व्यवस्था के तहत एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और कर्मचारी जमा सम्बद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) में कुल मिलाकर मूल वेतन की 12-12 प्रतिशत राशि का योगदान करते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, "ईपीएफओ की बैठक 27 मई को पुणे में होनी है. बैठक के एजेंंडे में यह मुद्दा भी है. इसके तहत एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन को घटाकर बेसिक सैलरी (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता सहित) का 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है.
इस बारे में सूत्रों ने कहा:
लेबर मिनिस्ट्री को कई सुझाव आए, जिनमें कहा गया कि इस कदम से एंप्लॉइज के पास खर्च के लिए ज्यादा पैसे होंगे, जिससे एंप्लायर्स की जिम्मेदारी कम होगी और आखिर में यह अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होगा.
वहीं भारतीय मजदूर संघ के नेता पीजे बनसुरे ने कहा है, “हम इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे. यह श्रमिकों के हित में नहीं है.”
लेबर यूनियन ने इस प्रस्ताव का यह कह कर विरोध करने का फैसला किया है कि इससे सामाजिक सुरक्षा योजनाएं कमजोर होंगी.
(भाषा से)
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