केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सरकारी कर्मचारियों (Govt Employees) के लिए स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम और एलटीसी कैश वाउचर का ऐलान किया. सरकार की ये लुभावनी स्कीमों की खबर आते ही कर्मचारी खुश हो गए लेकिन इस ऐलान को विस्तार में समझने की जरूरत है. क्यों कि जितनी लुभावनी ये स्कीम लगती है, उतनी ही कठिन इसकी शर्तें हैं.
एलटीसी कैश वाउचर
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री ने एलटीसी कैश वाउचर की घोषणा की. वित्त मंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि 'LTC Cash Voucher Scheme' से 28,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उपभोक्ता मांग पैदा होगी. एलटीसी कैश वाउचर के तहत सरकारी कर्मचारी यात्रा के लिए रिइम्बर्समेंट की बजाय कैश क्लेम कर सकते हैं.
अब आते हैं वाउचर का फायदा उठाने की शर्तों पर-
जो भी कर्मचारी इस स्कीम का फायदा उठाएगा, उसके किराए खर्च से तीन गुना ज्यादा रकम खर्च करनी होगी.
लीव एनकैशमेंट के बराबर की ही रकम भी खर्च करना होगा.
कर्मचारियों को सिर्फ उन्हीं गुड्स और सर्विस पर खर्च करना होगा जहां 12% या उससे ज्यादा GST हो.
खर्च करने का तरीका कैश नहीं बल्कि डिजिटल होना चाहिए और जहां भुगतान कर रहे हैं वो GST के तहत रजिस्टर्ड होना चाहिए.
एलटीसी कैश का इस्तेमाल 31 मार्च, 2021 से पहले करना होगा.
लीव इन्कैशमेंट पर पहले की दर से टैक्स दिया जाएगा.
स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम
सरकार ने कर्मचारियों के लिए 10 हजार रुपये के फेस्टिवल एडवांस की सरकार ने घोषणा की है. केंद्र की इस स्कीम के तहत सभी रैंक और श्रेणी के कर्मचारियों को 10,000 रुपये का प्री-पेड रुपे कार्ड दिया जाएगा. बता दें कि सातवें वेतन आयोग में एडवांस का कोई प्रावधान नहीं था. हालांकि, इस बार सरकार ने फेस्टीवल सीजन में 10 हजार रुपये का यह एडवांस देने की घोषणा की है.
स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम का फायदा उठाने के लिए शर्तें
स्पेशल फेस्टिवल एडवांस स्कीम को सातवें वेतन आयोग में शामिल नहीं किया गया था.
केंद्रीय कर्मचारियों को 10,000 रुपये एडवांस दिए जाएंगे, जिन्हें 10 किस्तों में वापस चुकाना होगा.
इस रकम को ATM से कैश के रूप में नहीं निकाल सकते हैं
इसे रूपे कार्ड के जरिए कहीं भी खर्च किया जा सकता है
सरकार का दावा है कि एलटीसी और त्योहारों के लिए एडवांस से 36,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उपभोक्ता मांग पैदा होगी. राज्यों में अतिरिक्त पूंजीगत खर्च से 37,000 करोड़ रुपये की उपभोक्ता मांग पैदा होगी. इस तरह कुल 73,000 करोड़ रुपये की उपभोक्ता मांग पैदा होगी. यह राशि 31 मार्च 2021 से पहले खर्च की जाएगी. निजी क्षेत्र की मांग भी होगी. इस तरह कुल 1 लाख करोड़ रुपये की मांग पैदा होगी.
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