फाइनेंशियल ईयर 2020 के लिए सरकार का इकनॉमिक ग्रोथ का अनुमान 6.8 परसेंट से घटकर 5 परसेंट हो गया है. ब्लूमबर्ग ने अनुमान जताया था कि ये आंकड़ा 5 परसेंट के आसपास रह सकता है. वहीं, इसी फाइनेंशियल ईयर के लिए GVA का आंकड़ा 4.9 परसेंट के आसपास रहने का अनुमान है. आर्थिक आंकड़ों का लेखा जोखा रखने वाली सरकारी संस्था राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) ने ये आंकड़े जारी किए हैं.
ग्रोथ के अनुमान में गिरावट की प्रमुख वजह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ का घटना है. चालू वित्त वर्ष में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर घटकर 2 परसेंट पर आने का अनुमान है. जबकि ये पिछले वित्त वर्ष में यह 6.2 प्रतिशत रही थी.
- कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ग्रोथ अनुमान घटकर 3.2%
- कृषि सेक्टर का ग्रोथ अनुमान 2.9% से घटकर 2.8%
- माइनिंग सेक्टर का ग्रोथ अनुमान 1.3% के मुकाबले 1.5%
- ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट कम्यूनिकेशन सेक्टर में ग्रोथ अनुमान 6.9% से घटकर 5.9%
- फाइनेंइशियल सर्विसेज का ग्रोथ अनुमान 7.4% घटकर 6.4%
एक तरफ बाजार में मांग की कमी हटने का नाम नहीं ले रही और अब दूसरी तरफ महंगाई भी पांव पसार रही है. ऐसे में ग्रोथ अनुमान का घटना इकनॉमी के लिहाज से बड़ी खबर है.
दूसरी तिमाही में GDP घटकर 4.5% हो गई थी
वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी पर पहुंच गई थी. यह छह साल की सबसे बड़ी गिरावट रही. जुलाई-सितंबर के ये आंकड़े पहली तिमाही की जीडीपी से भी कम हो गया था. पहली तिमाही में जीडीपी पांच फीसदी दर्ज की गई थी.
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी घटाया था ग्रोथ का अनुमान
मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 2019 के लिये घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया था. मूडीज ने रिपोर्ट में कहा था कि रोजगार की धीमी वृद्धि दर का उपभोग पर असर पड़ रहा है. उसने कहा कि वृद्धि दर में इसके बाद सुधार होगा और यह 2020 तथा 2021 में क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत रह सकती है. हालांकि वृद्धि दर सुधार के बाद भी पहले की तुलना में कम बनी रहेगी.
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