सरकार डायरेक्ट टैक्स में इजाफे के लिए अपनी स्ट्रेटजी पर नए सिरे से काम कर रही है. कम टैक्स कलेक्शन की वजह से रेवेन्यू घट गया है. सरकारी हलकों में इससे चिंता बढ़ गई है. लिहाजा वह टैक्स कलेक्शन बढ़ा कर रेवेन्यू में इजाफा करने के नए तरीके अपनाने पर सोच रही है.
13.35 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट टैक्स टारगेट
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 13.35 लाख करोड़ रुपये के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का टारगेट रखा है. इनमें कॉरपोरेट टैक्स से 7.66 लाख करोड़ और इनकम टैक्स से 5.69 लाख करोड़ रुपये जुटाना शामिल है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के सदस्य अखिलेश रंजन ने एसोचैम के एक कार्यक्रम से इतर कहा कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन उम्मीद से कम रहा. सरकार अब टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि करदाताओं को टैक्स देना बोझ की तरह नहीं लगना चाहिए. कॉरपोरेट टैक्स घटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले की गंभीरता समझी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि कॉरपोरेट टैक्स को घटाया जाना चाहिए.
टैक्स नियमों को सरल करना चाहती है सरकार
टैक्स कानूनों का पालन न करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार टैक्सेशन सिस्टम को सरल करना चाहती है. उन्होंने कहा कि टैक्स कलेक्शन से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक किए जा चुके हैं. लेकिन ट्रेंड यही है कि हम टैक्स कानून का पालन करने पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं. दरअसल कानून का पालन कराना ही टैक्स कलेक्शन का मुख्य आधार है.
दरअसल चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट घट कर पांच फीसदी पर पहुंच जाने के बाद आर्थिक मोर्चे पर बड़े सवाल खड़े हुए हैं, खपत में कमी और निवेश में इजाफा न होने की वजह से ग्रोथ को रफ्तार नहीं मिल रही. दूसरी ओर, टैक्स कलेक्शन में गिरावट भी सरकार की चिंता की बड़ी वजह बन गई है. यही वजह है कि वह रेवेन्यू बढ़ाने के नए तरीकों पर विचार कर रही है.
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