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अब GST वसूली में कमी का सिरदर्द, अफसरों से कहा गया तरीका निकालें

वित्त सचिव ने बुलाई समीक्षा बैठक

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जीएसटी में अब सरकार के लिए नई मुसीबत सामने आ गई है. पहले कारोबारी जीएसटी भरने में हो रही दिक्कत से परेशान थे और अब सरकार टेंशन में है. टैक्स वसूली समय के साथ बढ़नी चाहिए थी, लेकिन ये घट क्यों रही है?

अक्टूबर में जीएसटी की वसूली सितंबर के मुकाबले करीब 12 परसेंट या 10,000 करोड़ कम हो गई है. जुलाई में लागू होने के बाद ये सबसे कम वसूली है. नवंबर में सरकार ने जीएसटी में भारी बदलाव भी किए थे, जिसमें 200 आइटम पर टैक्स दरें 28 से घटाकर 18 या 12 परसेंट कर दी गई थीं. जानकारों के मुताबिक, नवंबर में तो जीएसटी वसूली और भी कम हो सकती है. इसलिए अब वित्त और राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने टैक्स से जुड़े तमाम मुख्य अफसरों की शनिवार को बैठक बुलाई है, जिसमें उनसे वसूली बढ़ाने के तरीके बताने का रोडमैप मांगा जाएगा

4 माह में वसूली सिर्फ ₹ 58,000 करोड़

केंद्र सरकार की फिक्र की वजह ये है कि 4 महीने में जीएसटी वसूली में केंद्र का हिस्सा सिर्फ 58,000 करोड़ रुपए रहा है. सरकार के लिए दूसरी परेशानी ये है कि राज्यों की वसूली अगर कम हुई तो उसे मुआवजा भी देना पड़ेगा. मतलब दोनों तरफ से नुकसान.

यही वजह है कि वित्त सचिव ने 9 दिसंबर को सभी टैक्स अफसरों से टैक्स वसूली का डिटेल तरीके बताने को कहा गया है. हालांकि सरकार को खुद आशंका है कि अभी वसूली में कम से कम दो महीनों तक दबाव दिख सकता है.

शनिवार की बैठक में कलेक्शन बढ़ाने के उपायों के साथ कमी की वजह पर भी चर्चा होगी. इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा होगी कि नई टैक्स प्रणाली में लीकेज कैसे रोका जाए. सूत्रों के मुताबिक, मुख्य फोकस इस बात पर होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वक्त पर टैक्स देने को कैसे उत्साहित किया जाए. 

इस बैठक में निकाले गए तरीकों पर चर्चा जनवरी में जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगी. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के मुताबिक राज्यों को होने वाली वसूली की स्थिति बेहतर हुई है. राज्यों की टैक्स वसूली में 28 परसेंट से ज्यादा की कमी थी, पर अब ये घटकर सिर्फ 17.6 परसेंट रह गई है.

केंद्र की सबसे बड़ी फिक्र

सरकार की बड़ी फिक्र है कि अक्टूबर में 200 आइटम में जो रेट कटौती हुई है उसकी वजह से महीनों तक वसूली पर असर पड़ सकता है. इससे करीब ₹20,000 करोड़ का नुकसान होगा. पहले ही अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन सितंबर के 92,000 करोड़ रुपए से घटकर सिर्फ ₹83,346 करोड़ रुपए रह गया है.

सरकार की चिंता यही है कि जीएसटी वसूली में केंद्र का हिस्सा तेजी से कम हो रहा है. अगस्त से अक्टूबर तक केंद्र का हिस्सा ₹58,556 करोड़ रहा है. जबकि इस दौरान राज्यों का हिस्सा ₹87,238 करोड़ रहा है.

केंद्र की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इस वित्तीय साल को अभी 4 माह बाकी है. सरकार ने इस साल फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य जीडीपी का 3.2 परसेंट रखा है, अगर वसूली कम हुई तो फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा.

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बैठकों का सिलसिला लंबा चलेगा

इसके अलावा सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (CBEC) भी एक बैठक करेगी. मंगलवार को होने वाली इस बैठक में अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे. बैठक में जीएसटी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

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