देशभर में 1 जुलाई से GST लागू होने जा रहा है. इसे सही तरीके से लागू किए जाने को लेकर सरकार जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई है. ऐसे में GST लागू किए जाने पर नेटवर्क से जुड़ी किसी भी दिक्कत से निपटने के लिए एक 'मिनी वॉर रूम' बनाया गया है.
1. GST के लिए ‘वॉर रूम’ तैयार
इस वॉर रूम में अनेकों फोन और कंप्यूटर सिस्टम लगे होंगे और उन्हें संभालने के लिए कंप्यूटर ऑपरेट करने में कुशल युवाओं को तैनात किया जाएगा. ये ‘वॉर रूम’ सुबह 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक काम करेगा.
यहां से केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की किसी भी शंका का समाधान तुरंत किया जाएगा. वॉर रूम में आईटी के जानकार युवा अधिकारियों की तैनाती होगी, कई फोन लाइनें होंगी जिससे एक साथ कई लोगों से बातचीत की जा सके.
2. शुरुआत में कुछ परेशानियां हो सकती हैं: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को आशंका जताई है कि GST लागू होने के बाद शुरुआत में कुछ परेशानियां हो सकती हैं. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि इस नए टैक्स सिस्टम से टैक्स चोरी और महंगाई रोकने में मदद मिलेगी.
जेटली ने कहा कि GST काउंसिल अचल संपत्ति कारोबार को अगले साल तक नए टैक्स सिस्टम के दायरे में लाने पर विचार करेगी. जेटली ने एक न्यूज चैनल कार्यक्रम में कहा,
शुरू में लोगों को कुछ परेशानियां हो सकती हैं क्योंकि किसी भी बदलाव की अपनी कुछ परेशानियां होती हैं. लेकिन ये दूर होंगी और देश को इससे फायदा होगा.
बता दें कि किरोसिन, नाफ्था और एलपीजी जैसे उत्पाद GST के दायरे में लाए गए हैं जबकि कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, विमान ईंधन, डीजल और पेट्रोल को शुरू के कुछ सालों के लिए जीएसटी से बाहर रखा गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के साथ चर्चा के दौरान पेट्रोलियम और शराब जैसे मुद्दों पर कुछ कड़ा विरोध था क्योंकि राज्य अपने टैक्स के अधिकार को छोड़ना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा-
अगर हमने उस पर जोर दिया होता है तो सहमति नहीं बन पाती, संविधान संशोधन के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर GST के तहत टैक्स , जब भी जीएसटी काउंसिल तय करे, लगाया जा सकता है. जीएसटी लागू होने के बाद एक दो साल में काउंसिल को इस पर पुनर्विचार का फिर मौका मिलेगा. ‘
जेटली ने कहा कि वो व्यक्तिगत रूप से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के रीयल एस्टेट को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव के पक्ष में थे लेकिन कुछ दूसरे राज्य इसके पक्ष में नहीं थे.
3. प्राकृतिक गैस भी GST के दायरे में आ सकती है !
GST काउंसिल प्राकृतिक गैस को GST के दायरे में लाने का फैसला ले सकती है. इसके बाद से तेल और गैस सेक्टर को कुछ राहत मिलेगी. फिलहाल कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन और प्राकृतिक गैस को इस नए टैक्स सिस्टम में शामिल नहीं किया गया है.
कैसे होगा इस उद्योग को नुकसान?
GST को एक जुलाई से लागू किया जा रहा है. इसका मतलब है कि तेल और गैस उद्योग में अपने काम के लिए खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर GST लगेगा. जबकि, तेल, गैस और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री और सप्लाई पर पहले की तरह की टैक्स जैसे उत्पाद शुल्क और वैट लगना जारी रहेगा.
ऐसे में जहां दूसरे उद्योगों को अपने कारोबार में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु और सेवाओं पर चुकाए गए टैक्स के बदले में टैक्स में कटौती का फायदा मिलेगा पर प्राकृतिक गैस उद्योग को इस तरह का फायदा नहीं होगा. इससे इस उद्योग में फंसी हुई 25,000 करोड़ रुपए की लागतों पर चुकाए गए टैक्स का लाभ न मिलने से उन पर भारी बोझ होगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जीएसटी को इस सोच के साथ लागू किया जा रहा है कि इसके आने के बाद किसी उद्योग को नुकसान नहीं होगा. लेकिन एक ऐसा उद्योग भी है जिसे एक जुलाई से राजस्व का नुकसान होगा.
अधिकारी ने बताया कि पेट्रालियम मंत्रालय ने ये मामला वित्त मंत्रालय के साथ उठाया है. जिससे सभी पांच छूट वाले उत्पादों को GST में जल्द से जल्द शामिल किया जा सके.
4. GST के विरोध में कपड़ा कारोबारियों की हड़ताल
दिल्ली में जीएसटी के विरोध में 50 हजार कपड़े की दुकानें बंद रही. ये हड़ताल गुरुवार तक जारी रहेगी. दिल्ली हिन्दुस्तानी कपड़ा संघ के उपाध्यक्ष भगवान बंसल ने कपड़ा व्यापारियों के लिए GST से एक साल की छूट देने की मांग की और कहा कि GST लागू करने से पहले कपड़ा व्यापारियों को पहले ट्रेनिंग दी जाए.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो वे हड़ताल को अनिश्चित समय तक जारी रखेंगे. बता दें कि सरकार ने GST के तहत रेडीमेड कपड़ों पर 12 फीसदी का टैक्स लगाया है.
इसके अलावा प्राकृतिक यार्न और कपास पर 5 फीसदी और कृत्रिम यार्न पर 18 फीसदी टैक्स लगाया है.
GST के तहत प्रस्तावित टैक्स के विरोध में राजस्थान में भी कपड़ा कारोबारियों ने मंगलवार को बंद रखा. राजस्थान कपड़ा GST संघर्ष समिति के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने कपड़े पर GST लागू किया तो प्रदेशभर के कपड़ा कारोबारी 1 जुलाई से अनिश्चितकालीन बंद पर चले जाएंगे.
राजस्थान के मार्बल कारोबारियों ने भी संगमरमर पर प्रस्तावित जीएसटी को लेकर एक जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.
उदयपुर मार्बल एसोसिएशन कि अध्यक्ष तेजेन्द्र सिंह रोबिन ने ये जानकारी दी है उन्होंने कहा कि प्रस्तावित GST स्लैब से मार्बल कारोबार पर खराब असर पड़ेगा. सरकार ने अगर GST स्लैब में बदलाव नहीं किया तो 1 जुलाई से सभी व्यापारी बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे.
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