इंडस्ट्री और खेती के क्षेत्र में सुस्ती की वजह से जुलाई-सितंबर के बीच विकास दर 7.1 परसेंट ही रही. बीते तिमाही में विकास दर 7.5 परसेंट रहने का अनुमान था. बता दें कि पिछले तिमाही में विकास दर 8.2 परसेंट रही थी.
सबसे चिंता की बात ये है कि इस तिमाही में प्राइवेट कंजप्शन ग्रोथ में फिर से गिरावट आई है. यह जुलाई की तिमाही के 8.6 परसेंट के घटकर इस तिमाही में 7 परसेंट रह गई. जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान प्राइवेट कंजप्शन का ही रहता है. शायद पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का प्राइवेट कंजप्शन पर असर हुआ. इस तिमाही में सरकारी खर्च के ट्रेंड में बढ़ोतरी देखी गई.
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- पहली तिमाही के 13.5 परसेंट की तुलना में दूसरी तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग सेंक्टर में विकास दर 7.4 परसेंट रहा
- कंस्ट्रक्शन सेक्टर में विकास दर 7.8 परसेंट रही जो पिछली तिमाही के 8.7 से कम रहा
- खेती के क्षेत्र में विकास दर 5.3 परसेंट से घटकर 3.8 परसेंट रही
- फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में विकास की दर 6.3 परसेंट रही जो पिछली तिमाही के 6.5 परसेंट से थोड़ा कम है
स्नैपशॉट
- एग्रीकल्चरल ग्रोथ 3.8%
- मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ 7.4%
- ट्रेड होटल ट्रांसपोर्ट 6.8%
- फाइनेंस रियल एस्टेट 6.3%
- पब्लिक एडमिन. डिफेंस 10.9%
- कंस्ट्रक्शन ग्रोथ 7.8%
- इलेक्ट्रिस्टी 9.2%
- माइनिंग ग्रोथ 2.4%
- इंडस्ट्री ग्रोथ 6.8%
- सर्विस ग्रोथ 7.5%
- एक्सपोर्ट ग्रोथ 12.7 से बढ़कर 13.4% (QoQ)
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