देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के बोर्ड रूम में चल रहे विवाद के कारण कंपनी के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं. ऐसे में कंपनी के दर्जनभर से अधिक डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स (DII) ने कंपनी से आग्रह किया है कि वो को-फाउंडर नंदन नीलेकणि को वापस बोर्ड में आने का न्योता दें.
इन्वेस्टर्स ने एक चिट्ठी भेजकर कहा है-
आपस में काफी विचार विमर्श के बाद हमारा दृढ़ता से ये मानना है कि इंफोसिस के बोर्ड को नंदन को वापस उनकी क्षमता के हिसाब से बुलाना चाहिए.
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने बोर्ड से ये भी कहा कि हाल की घटनाएं उनके लिए परेशान करने वाली हैं. चिट्ठी में कहा गया है कि नंदन नीलेकणि की वापसी से हितधारकों, जिसमें कस्टमर्स, शेयरधारक और कर्मचारी शामिल हैं उनका भरोसा फिर से कायम किया जा सकेगा.
सूत्रों ने बताया कि ये चिट्ठी इंफोसिस के चेयरमैन को भी लिखी गई है. साफ किया गया है कि वे देश के प्रमुख संस्थागत निवेशकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इनमें से हर एक इंफोसिस में शेयरधारक है. उन्होंने कहा कि हर किसी नंदन नीलेकणि में विश्वास है.
पहले भी हो चुकी है नीलेकणि की वापसी की वकालत
ये नीलेकणि को वापसी की वकालत करने का दूसरा मौका है. इससे पहले निवेश सलाहकार कंपनी IIAS ने कहा था कि नीलेकणि को कंपनी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन के रुप में वापस लाया जाना चाहिए. बता दें कि इंफोसिस को नारायणमूर्ति और नीलकेणि जैसे 7 साथियों ने मिलकर 1981 में बनाया था.
नीलकेणि मार्च, 2002 से अप्रैल, 2007 तक इंफोसिस के CEO रहे थे. उन्होंने साल 2009 में सरकार की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के पहले अध्यक्ष के तौर पर शामिल होने के लिए इंफोसिस छोड़ दिया था.
इसके बाद से ही उन्होंने इंफोसिस से लगातार दूरी बनाए रखी, को-फाउंडर नारायणमूर्ति के दोबारा इंफोसिस लौटने के बाद भी नंदन ने वापसी नहीं की थी. इस बार नीलेकणि के वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं.
फिलहाल, 10 अरब डॉलर की इंफोसिस कंपनी में 62 साल के नीलकेणि का 2.3% शेयर है.
(इनपुट: एजेंसियां)
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