ADVERTISEMENTREMOVE AD

आपकी इन्वेस्टमेंट प्‍लानिंग के लिए तो ‘गुड’ नहीं है GST

साल 2016-17 में केंद्र सरकार का सर्विस टैक्स कलेक्शन 2.11 लाख करोड़ से बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो गया.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

GST को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही 'गुड एंड सिंपल टैक्स' कहा हो, लेकिन फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए तो कम से कम GST गुड नहीं है. क्योंकि बैंकिंग, इंश्योरेंस, शेयर ट्रेडिंग समेत तमाम फाइनेंशियल सर्विसेज पहले से महंगी हो जाएंगी.

जीएसटी युग के पहले इन सर्विसेज पर 15 प्रतिशत टैक्स था, जो अब बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया है. इसका असर आपके पैसों की बचत, उसके निवेश और आपकी ओवरऑल फाइनेंशियल प्लानिंग पर पड़ना तय है. तो एक नजर डालते हैं कि कौन सी सर्विसेज जीएसटी के बाद कितनी महंगी होने जा रही हैं.

शुरुआत करते हैं डीमैट सर्विसेज से. अगर आप अपने डीमैट अकाउंट के जरिए शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं या म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो अब आपको ब्रोकरेज पर पहले से ज्यादा खर्च करना होगा और इस ब्रोकरेज का सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स यानी एसटीटी से कोई संबंध नहीं है.

एसटीटी आपको पहले की ही तरह देना होगा. इसी तरह जब आप डीमैट अकाउंट की मदद से किसी म्युचुअल फंड की एसआईपी कराते हैं, तो हर किस्त पर आपका ब्रोकरेज हाउस कुछ फीस लेता है. इस फीस पर सर्विस टैक्स बढ़ने का बोझ आप पर ही आएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसके बाद आती है इंश्योरेंस की बारी. हर तरह के इंश्योरेंस, फिर चाहे वो लाइफ इंश्योरेंस हो या हेल्थ, कार इंश्योरेंस हो या होम इंश्योरेंस, पर आपको एक तय दर से सर्विस टैक्स देना होता है. जीएसटी के बाद ये दर भी बढ़ गई है. इसका कितना बोझ आप पर बढ़ेगा, ये आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी के टाइप पर निर्भर होगा. (देखें ग्राफिक्स)



साल 2016-17 में केंद्र सरकार का सर्विस टैक्स कलेक्शन 2.11 लाख करोड़ से बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो गया.
जीएसटी ने बढ़ाया इंश्योरेस प्रीमियम
(फोटो: क्विंट हिंदी)

साफ है कि ज्यादातर मामलों में आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम 3 प्रतिशत बढ़ जाएगा. मिसाल के लिए आपकी टर्म पॉलिसी का प्रीमियम अगर सालाना 20,000 रुपये है तो इस पर आपको अभी तक सर्विस टैक्स के रूप में 3,000 रुपये देने होते थे, अब 3,600 रुपये देने होंगे, यानी 600 रुपये अतिरिक्त.

इसी तरह, तमाम बैंकिंग सर्विसेज के चार्ज भी जीएसटी के बाद बढ़ गए हैं. बैंक आपसे कई तरह के छोटे-बड़े चार्ज वसूलते हैं, जिन पर सर्विस टैक्स भी लगता है. (देखें ग्राफिक्स) इनमें एनईएफटी, आरटीजीएस या आईएमपीएस के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करना भी शामिल है.

कैसे-कैसे बैंकिंग चार्ज

स्नैपशॉट
  • -डेबिट कार्ड मेंटनेंस फीस
  • - एसएमएस सर्विस फीस
  • - क्रेडिट कार्ड लेट पेमेंट फीस
  • - लोन प्रोसेसिंग फीस
  • - इंटर बैंक मनी ट्रांसफर फीस
0

इसके अलावा अगर आप अपने बैंक या किसी दूसरे बैंक के एटीएम से फ्री ट्रांजेक्शन लिमिट खत्म होने के बाद कोई ट्रांजेक्शन करते हैं, तो उस पर आपको 20 रुपये का चार्ज और सर्विस टैक्स देना होता है. अब तक ये 23 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन था, जो अब बढ़कर 23.60 रुपये हो जाएगा.

कई बैंकों में कैश निकालने की भी लिमिट है, जिसके बाद कैश निकालने पर चार्ज लगता है. या फिर जब आप रेल टिकट बुक कराते हैं तो कार्ड पेमेंट पर बैंक करीब 2 प्रतिशत एक्स्ट्रा चार्ज और सर्विस टैक्स लेते हैं. साफ है कि फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के ये सारे छोटे-छोटे चार्ज अब पहले से बड़े हो गए हैं.

हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि सर्विस टैक्स केंद्र सरकार के लिए टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण जरिया रहा है. (देखें ग्राफिक्स)

सर्विस टैक्स से सरकार की कमाई



साल 2016-17 में केंद्र सरकार का सर्विस टैक्स कलेक्शन 2.11 लाख करोड़ से बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो गया.
(फोटो: क्विंट हिंदी)
टैक्स सरकार के लिए टैक्स कलेक्शन एक महत्वपूर्ण जरिया है
ADVERTISEMENTREMOVE AD

साल 2015-16 में केंद्र सरकार का सर्विस टैक्स कलेक्शन 2.11 लाख करोड़ था, जो साल 2016-17 में बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो गया. सरकार ने चालू कारोबारी साल के लिए बजट में सर्विस टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य 2.75 लाख करोड़ रखा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×