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शेयर बाजार: IPO में पैसे लगाने वाले बुरे फंसे, क्योंकि 75% रकम साफ

चुनाव के बाद ही सुधरेगा IPO बाजार

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पटना के जुगल किशोर ने 2017 में सीएल एजुकेट के आईपीओ में 502 के हिसाब से पैसा लगाया, इस उम्मीद में कि 20-25 परसेंट कमाएंगे लेकिन 2018 खत्म होते-होते उनकी 75 परसेंट साफ हो और 502 रुपए का शेयर सिर्फ 123 रुपए का रह गया.

2018 में भी जुगल किशोर के साथ धोखा हुआ. उन्हें ICICI सिक्योरिटीज में 50 परसेंट से ज्यादा घाटा हो चुका है.

सीएल एजुकेट का इश्यू मार्च 2017 में 502 रुपए के भाव पर खरीदा था, जो 19 दिसंबर 2018 को सिर्फ 123 रुपए का रह गया. इसी तरह अप्रैल 2018 में लिस्ट ICICI सिक्योरिटी का 520 रुपए इश्यू 19 दिसंबर 2018 को सिर्फ 270 रुपए का ही बचा.
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लेकिन जुगल किशोर (असली नाम नहीं) अकेले नहीं हैं लगातार दो सालों से आईपीओ मार्केट की हालात इतनी खराब है कि 2018 में अक्टूबर से दिसंबर के बीच तीन महीनों में कोई नया आईपीओ नहीं आया है. मई 2014 के बाद आईपीओ के लिए ये सबसे खराब वक्त है.

चुनाव के बाद ही सुधरेगा IPO बाजार

2 साल में आए ज्यादातर IPO फ्लॉप

2017 और 2018 दोनों सालों में आए ज्यादातर के भाव इश्यू प्राइस से अच्छा खासा नीचे हैं. कई में तो निवेशकों की 75 परसेंट तक रकम स्वाहा हो चुकी है.

निवेश में हाथ जला बैठे निवेशक भी IPO से इतने दूर छिटक रहे हैं. हालांकि शेयर बाजार में उठापटक भी इसके लिए जिम्मेदार है, पर IPO की क्वालिटी और उनके महंगे वैल्युएशन ने भी भरोसा कम किया है.

2018 में लिस्टेड 60 परसेंट से ज्यादा आईपीओ इश्यू प्राइस से बहुत नीचे हैं. 2017 में लिस्ट हुए ज्यादातर आईपीओ का हाल बुरा है.

चुनाव के बाद ही सुधरेगा IPO बाजार
वैसे तो पूरा 2018 आईपीओ के जरिए रकम जुटाने वाली कंपनियों के लिए खराब ही रहा है. इस साल 6 कंपनियों ने सिर्फ 7500 करोड़ रुपए जुटाए, जबकि 2017 में 18 कंपनियों ने 23,000 करोड़ रुपए जुटाए थे.

सेबी की मंजूरी मिली, लेकिन कंपनियां IPO लाने से डरीं

कंपनियों का कॉन्फिडेंस इस वक्त इतना कम है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी अब तक 70 कंपनियों को 60,000 करोड़ रुपए के आईपीओ को मंजूरी दे चुका है. शेयर बाजार की उठापटक और निवेशकों की बेरुखी की वजह से कंपनियां बाजार में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं.

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सेबी चेयरमैन की चेतावनी

मार्केट रेगुलेटर सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने हाल में इन्वेस्टमेंट बैंकर्स को सलाह दी कि वो IPO के वाजिब वैल्युएशन रखें.

2018 में आए IPO को बड़ी मुश्किल से ही भर पाए.

  • खराब रिस्पॉन्स की वजह से सरकारी कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स के आईपीओ का वक्त बढ़ाना पड़ा.
  • दिनेश इंजीनियर्स को तो इश्यू ही रद्द करना पड़ा.

मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक अगले 6 महीने भी कोई बहुत अच्छे नहीं हैं. इसलिए 2019 में चुनाव के पहले आने वाले आईपीओ में भी निवेश करने से पहले पूरी तरह तसल्ली कर लें.

(इनपुट-ब्लूमबर्ग क्विंट)

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