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ICICI लोंबार्ड की सुस्त लिस्टिंग, क्या IPO में निवेश करना सही है?

एक के बाद एक कई कंपनियों के आईपीओ आ गए हैं, और कई दूसरे आने की कतार में हैं.

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(आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस की कमजोर लिस्टिंग ने एक बार फिर इस चर्चा को गर्म कर दिया है कि क्या रिटेल निवेशकों को आईपीओ में पैसे लगाने चाहिए. इस कंपनी के शेयर इश्यू प्राइस से करीब दो परसेंट नीचे लिस्ट हुए. कंपनी का इश्यू प्राइस था 661 रुपए और लिस्टिंग हुई 650 रुपए पर. हालांकि कारोबार बढ़ने के साथ इसमें कुछ सुधार हुआ, लेकिन आईसीआईसीआई लोंबार्ड जैसी कंपनी के शेयर की इतनी खराब लिस्टिंग की आशंका कोई नहीं कर रहा था.

गौरतलब है कि 5,700 करोड़ रुपए के इस पब्लिक इश्यू को निवेशकों की तरफ से संतोषजनक रेस्पॉन्स मिला था. कंपनी का इश्यू करीब 3 गुना सब्सक्राइब हुआ था. इसका इश्यू 19 सितंबर को ही बंद हुआ था. आईसीआईसीआई लोंबार्ड देश की पहली जनरल इंश्योरंस कंपनी है जो शेयर बाजार में लिस्ट हुई है.)

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पढ़ें पूरी रिपोर्ट:

इन दिनों शेयर बाजार में आईपीओ की बहार है. एक के बाद एक कई कंपनियों के आईपीओ आ गए हैं, और कई दूसरे आने की कतार में हैं. सिर्फ सितंबर के महीने में 7 कंपनियों के आईपीओ आ गए. इनमें एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस जैसी बड़ी कंपनियां हैं, तो वहीं भारत रोड नेटवर्क और डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसी छोटी कंपनियां भी.

इन सारी कंपनियों ने सितंबर के महीने में अपने आईपीओ के जरिए प्राइमरी मार्केट से 16,000 करोड़ रूपए से ज्यादा जुटा लिए हैं. फिलहाल प्रताप स्नैक्स का इश्यू 26 सितंबर तक खुला है.



एक के बाद एक कई कंपनियों के आईपीओ आ गए हैं, और कई दूसरे आने की कतार में हैं.
कई बार आईपीओ को मिले रिस्पॉन्स से भी अंदाजा लग जाता है कि निवेशक उस कंपनी के शेयर में लिस्टिंग गेन्स की कितनी संभावना देख रहे हैं. मसलन एवेन्यू सुपरमार्ट्स का इश्यू 104 गुना सब्सक्राइब हुआ था, वहीं आरबीएल बैंक का इश्यू करीब 70 गुना.

इसी तरह एयू स्मॉल फाइनेंस के आईपीओ को करीब 54 गुना ज्यादा सब्सक्रिप्शन मिले, तो बीएसई के आईपीओ को 51 गुना ज्यादा. (देखें ग्राफिक्स)

2017 में लिस्ट हुई सभी कंपनियों ने लिस्टिंग गेन्स के मामले में खुश किया हो, ऐसा तो नहीं है, लेकिन कुछ कंपनियों ने पहले ही दिन निवेशकों को 50 फीसदी से लेकर 150 फीसदी तक के रिटर्न दे दिए.



एक के बाद एक कई कंपनियों के आईपीओ आ गए हैं, और कई दूसरे आने की कतार में हैं.

क्या बड़ी कंपनियों के IPO है रिटर्न की गारंटी?

ऐसा बिलकुल जरूरी नहीं है. ताजा मिसाल है आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस. इस कंपनी का शेयर इश्यू प्राइस से डेढ़ फीसदी नीचे लिस्ट हुआ और कारोबार खत्म होते-होते 11 फीसदी नीचे चला गया. इसी तरह साल भर पहले लिस्ट हुआ एलएंडटी इंफोटेक का शेयर पहले दिन इश्यू प्राइस के आसपास ही रहा. आईपीओ में पैसा लगाएं या नहीं, इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस कंपनी के आईपीओ को चुन रहे हैं? क्योंकि जिन कंपनियों के आईपीओ बहुत ज्यादा सब्सक्राइब होते हैं, उनमें सभी रिटेल निवेशकों को शेयर अलॉट होंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं होती. दूसरी बात ये कि आप अगर रिटेल निवेशकों के लिए अधिकतम सीमा 2 लाख रुपए भी लगाते हैं तो भी अलॉट होने वाले शेयर इससे काफी कम कीमत के हो सकते हैं.

इसे हम आपको सालासर टेक्नो के उदाहरण से समझाते हैं. इस कंपनी का आईपीओ कुल मिलाकर 273 गुना सब्सक्राइब हुआ था, लेकिन रिटेल कोटा को करीब 60 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था. इसका मतलब है कि अगर कंपनी हर रिटेल निवेशक को शेयर अलॉट करने का फैसला करती तो हर किसी को उसकी लगाई हुई रकम के 60वें हिस्से के बराबर शेयर मिलते. यानी अगर आप 2 लाख रुपए लगाते तो आपको मिलते करीब 3,300 रुपए के शेयर.

ये शेयर आप लिस्टिंग गेन्स के लिए बेच देते तो आपको अधिकतम फायदा होता करीब 5,000 रुपए, क्योंकि कंपनी का शेयर पहले दिन 150% से ज्यादा उछला था. लेकिन ये पूरे 5,000 आपके नहीं होते, क्योंकि लिस्टिंग गेन्स का मतलब है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स जिस पर आपको 15% टैक्स भी देना होता.


एक के बाद एक कई कंपनियों के आईपीओ आ गए हैं, और कई दूसरे आने की कतार में हैं.

इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने के बाद ही आप फैसला करें कि आईपीओ में पैसा लगाना आपके लिए फायदेमंद होगा या नहीं. जहां तक लंबी अवधि के निवेश की बात है तो बाजार के जानकार किसी भी नई लिस्टेड कंपनी पर कम से कम 6-9 महीने नजर रखने की सलाह देते हैं. अगर इसके बाद आपको उस कंपनी में दम लगता है, तब आप बेहिचक उसमें निवेश करें. और हां, इसके लिए 10-20% का लिस्टिंग गेन छोड़ना भी पड़े तो अफसोस ना करें. क्योंकि 1 साल से ज्यादा शेयर रखने के बाद आप उसमें होने वाले फायदे पर टैक्स की बचत भी तो कर रहे होंगे.

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