भारत में सरकार के लिए प्याज की आसमान छूती कीमतें सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है. यही हाल चीन में सूअर के मांस (Pork) की है. तुर्की में खाने-पीने की चीजों के दाम में सालाना 15 फीसदी का इजाफा हो चुका है. कुछ अफ्रीकी देशों में भी खाने-पीने की चीजें तेजी से महंगी हो रही हैं. यानी दुनिया के बड़े हिस्से में खाद्य महंगाई तेजी से बढ़ रही है.
कम महंगाई का दौर ज्यादा नहीं टिकेगा
कहने का मतलब यह है कि दुनिया के कई देशों में खाने-पीने की चीजों के दाम काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. खास कर उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में बढ़ती खाद्य महंगाई से चिंता बढ़ती जा रही है. लिहाजा अब तक कम महंगाई की वजह से कुछ खास मोर्चों पर राहत महसूस कर रही अर्थव्यवस्थाओं में उथल-पुथल शुरू हो सकती है
भारत में प्याज और चीन में सूअर के मांस के दाम बेतहाशा बढ़े
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्याज, और चीन में सूअर के मांस के दाम में बेहद तेजी से इजाफा हुआ है. भारत में प्याज 60 से 80 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं चीन में सूअर के मांस में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है. भारत में प्याज की तरह चीन में सूअर का मांस खाने-पीने की प्रमुख चीजों में शामिल हैं. वहीं नाइजीरिया में सप्लाई में दिक्कत की वजह से खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. तुर्की में तो पहली तिमाही में खाद्य महंगाई 30 फीसदी तक बढ़ गई है. संयुक्त राष्ट्र के डेटा के मुताबिक अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय खाद्य महंगाई पिछले दो साल में सबसे तेजी से बढ़ी है.
नोमुरा होल्डिंग्स इंक के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक तीन कारणों से दुनिया भर में खाद्य महंगाई बढ़ सकती है
- बाढ़ या सूखे की वजह से उत्पादन में कमी
- कच्चे तेल के दाम में होने वाला इजाफा
- डॉलर की कीमत में तेज गिरावट
खाद्य महंगाई बढ़ने का सबसे ज्यादा असर भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों पर होगा. इन देशों में उपभोक्ताओं की कमाई का ज्यादा हिस्सा खाने-पीने की चीजों पर खर्च होता है.
भारत में प्याज के दाम बेहद तेजी से बढ़े हैं. पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस साल अक्टूबर में सब्जियों के दाम 26 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. इस वजह से खुदरा महंगाई दर भी चार फीसदी से ज्यादा पहुंच गई है. चीन में स्वाइन फ्लू के डर से बड़ी तादाद में सूअरों को मारा गया. इसके बाद यहां इसके दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई. इस वजह से यहां खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 3.8 फीसदी पर पहुंच गई, जो जनवरी, 2012 के बाद का सर्वोच्च स्तर है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जनवरी, 2020 तक यहां खुदरा महंगाई दर पांच या छह फीसदी तक बढ़ सकती है
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