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PMC बैंक घोटाले में किस-किसके हैं नाम, FIR की हर एक बात

30 अक्टूबर को PMC बैंक और HDIL के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है

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30 सितंबर को आखिरकार RBI के नियुक्त किए गए एडमिनिस्ट्रेटर ने PMC बैंक और HDIL के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करा दी. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने PMC बैंक के पूर्व एमडी जॉय थॉमस, चेयरमैन वरयाम सिंह और कई एग्जीक्यूटिव के खिलाफ FIR दर्ज की है. HDIL के वाइस-चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सारंग वाधवान भी FIR में नामजद हैं. अधिकारियों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाए गए हैं. FIR में 4,355 करोड़ रुपये के फ्रॉड की बात कही गयी है.

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शुरुआती जांच में पता चला है कि PMC बैंक ने HDIL को 4,355 करोड़ रुपए का लोन दिया था. सूत्रों के मुताबिक, जॉय थॉमस ने RBI को एक लेटर भेजकर कबूल किया है कि PMC ने 8,880 करोड़ की अपनी लोन बुक का करीब 75% (लगभग 6,200 करोड़) HDIL और उसके ग्रुप खातों को सैंक्शन कर दिया था. ऐसे में RBI के नियमों का उल्लंघन करते हुए PMC बैंक ने HDIL ग्रुप के लिए अपनी लोन लिमिट से 4 गुना ज्यादा लोन दे दिया.
30 अक्टूबर को  PMC बैंक और HDIL के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है

थॉमस ने इससे पहले ये मानने से इनकार कर दिया था कि किसी भी बोर्ड मेंबर को इस फ्रॉड की जानकारी है. लेकिन अब अपने कबूलनामे में थॉमस ने कथित रूप से वरयाम सिंह के अलावा कई और बोर्ड मेंबर के नाम लिखे हैं. उन्होंने कबूल किया कि कई लोगों को पता था कि HDIL ने डिफॉल्ट कर दिया है. फिर भी लोन दिया जाता रहा.

30 अक्टूबर को  PMC बैंक और HDIL के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है

PMC बैंक-HDIL कनेक्शन

PMC बैंक और वाधवान परिवार के बीच रिश्ते बहुत पुराने हैं. थॉमस ने जो चिट्ठी RBI को लिखी उसके मुताबिक 1984 में स्थापना के दो साल बाद ही बैंक की हालत पतली हो गई थी. साल 1986 में PMC बैंक पर मेंबर्स के 'गैरकानूनी कामों' की वजह से बंद होने का खतरा मंडराने लगा था. तब उस वक्त के लैंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर राजेश वाधवान ने इस मामले में दखल दी थी और बैंक के लिए पूंजी जुटाई थी. राजेश HDIL के मौजूदा डायरेक्टर राकेश कुमार वाधवान के भाई हैं.

1986-87 में वाधवान परिवार ने एक बार फिर 13 लाख का कैपिटल देकर बैंक की मदद की थी. इसके बाद 90 के दशक के आखिरी में परिवार ने बैंक से लोन लेना शुरू कर दिया. थॉमस का कहना है कि ये अकाउंट नियमित रूप से नियमों के मुताबिक किए जाते थे.

साल 2004 में एक बार फिर जब बैंक लिक्विडिटी क्राइसेस से जूझ रहा था, उस वक्त राजेश कुमार वाधवान ने PMC बैंक में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा डिपॉजिट कराए थे. थॉमस का कहना है कि जब से राकेश कुमार वाधवान ने PMC के साथ बैंकिंग शुरू की, 60 फीसदी लेनदेन वाधवान परिवार के साथ ही थे.

ऐसे में जब साल 2007 में HDIL एक लिस्टेड कंपनी बन गई, इसके बाद से कंपनी के लिए फंडिंग की जरूरत बेतहाशा बढ़ गई. साल 2013 में जब HDIL का एक प्रोजेक्ट टर्मिनेट हो गया तो कंपनी लिक्विडिटी क्रंच से जूझने लगी.

30 अक्टूबर को  PMC बैंक और HDIL के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है

PMC बैंक के चेयरमैन वरयाम सिंह नौ साल तक HDIL के बोर्ड में थे. 2006 से 2015 तक वो कंपनी के एक डायरेक्टर थे. कंपनी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में HDIL में उनकी 1.91% हिस्सेदारी थी.  HDIL के डायरेक्टर  राकेश कुमार वाधवान के भाई राजेश वाधवान जो DHFL के चेयरमैन थे, वो PMC बैंक के बोर्ड में भी रहे.

मामले का पॉलिटिकल कनेक्शन

पीएमसी बैंक और सत्ताधारी बीजेपी के लिंक भी सामने आए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुलुंड से बीजेपी के सीनियर एमएलए तारा सिंह के बेटे रणजीत सिंह पीएमसी बैंक में डायरेक्टरों में से एक हैं. हालांकि, तारा सिंह ने बैंक के ऑपरेशन से जुड़े किसी भी मामले में अपने बेटे की भूमिका से इनकार किया है.

मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, PMC बैंक के एक और डायरेक्टर दलजीत सिंह बल का पॉलिटिकल कनेक्शन है. दलजीत सिंह बल, शिवसेना के हैवी ट्रांसपोर्ट यूनियन के चीफ इंद्रजीत सिंह बल के पिता हैं. दलजीत सिंह का भी कहना है कि बैंक के डायरेक्टर, बैंक के रोजमर्रा के कामकाज में शामिल नहीं होते हैं.

लेकिन अहम सवाल ये है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मंजूरी के बिना 6,200 करोड़ रुपये का लोन एचडीआईएल को कैसे दिया जा सकता है?

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