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कैसी है इकनॉमी की सेहत, कहां निवेश के मौके? रिधम देसाई EXCLUSIVE

मॉर्गन स्टेनली के मैनेजिंग डायरेक्टर और इक्विटी रिसर्च हेड इंडिया रिधम देसाई से खास बातचीत

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह

कोरोना संकट के बाद इकनॉमी में भी बड़ा संकट आया लेकिन अब ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हम रिकवरी के फेज में चल रहे हैं. इकनॉमी के आंकड़ों से लेकर शेयर बाजार तक रिकवरी के संकेत भी नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये क्षणिक रिकवरी है या फिर ये तेजी लंबे वक्त तक चलने वाली है, कैसी है इकनॉमी की सेहत और कहां हैं निवेश के अच्छे मौके? इन सारे सवालों को लेकर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की है, मॉर्गन स्टेनली के मैनेजिंग डायरेक्टर और इक्विटी रिसर्च हेड इंडिया रिधम देसाई से.

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शेयर बाजार क्यों ऊपरी स्तरों पर कारोबार कर रहा है?

शेयर बाजार इसलिए चढ़े हुए हैं क्यों कि जब पूरी दुनिया में अमेरिका से लेकर जापान तक कोरोना संकट आया तो हर सरकार और उनके केंद्रीय बैंकों ने स्टिम्युलस दे दिया. इतनी बड़ी तादाद में कभी स्टिम्युलस नहीं आया. ये पूरे इतिहास का सबसे बड़ा स्टिम्युलस था. इस बार सरकार और केंद्रीय बैंकों के बीच गजब का तालमेल देखने को मिला. बाजार में भारी तादाद में लिक्विडी आई है. इसी लिक्विडिटी का असर है कि शेयर बाजार में पैसा आ रहा है. ये एक प्रक्रिया के तहत हो रहा है- पहले शेयर बाजार ऊपर गए, फिर सोने के भाव में तेजी देखने को मिली, हो सकता है आगे जाकर रियल एस्टेट के दाम में भी तेजी देखने को मिल सकती है.

स्टिम्युलस के कारण शेयर बाजार ने ये मान लिया है कि इकनॉमी में इतनी बड़ी गिरावट नहीं आएगी. अभी जो गिरावट आई है वो आगे जाकर रिकवर हो जाएगी. मॉर्गन स्टेनली का भी मानना है कि हम वी शेप रिकवरी की तरफ आगे बढ़ रह हैं. भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में इसी तरह की वी शेप रिकवरी देखने को मिली है.

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अमेरिका में अब बाइडेन सत्ता में आने वाले हैं, भारतीय बाजारों पर इसका क्या असर होगा?

अमेरिकी चुनावों में अभी तक सीनेट का फैसला नहीं हुआ है और नीतियों के मामले में सबसे अहम वही है. वहां पर डेमोक्रेट या रिपब्लिकन कौन आता है उस पर काभी कुछ निर्भर होगा. दूसरा राहत पैकेज कब तक आता है काफी कुछ उस पर भी निर्भर करेगा. हमारा ये मानना है कि अमेरिका की ग्रोथ में रिकवरी हो रही है और डॉलर कमजोर हो रहा है. इसके चलते भारत में भी निवेशकों की दलचस्पी बढ़ रही है. भारत में भी सरकार ने लेबर लॉ, फॉर्म लॉ में बदलाव किए हैं जिसकी वजह से एक अच्छा माहौल बना है.

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वैक्सीन का क्या होगा, किन सेक्टर में निवेशकों के लिए हैं मौके?

वैक्सीन के बारे में सभी को अंदाजा हो गया है कि कब तक आ सकती है. हाल में ही फाइजर ने जो ऐलान किया वो बाजार की उम्मीद से तेजी से हुआ है. पिछले 10 साल में भारत की ग्रोथ रेट ट्रेंड से कम रही है. अब हो सकता है हम फिर से ट्रेंड लाइन पर वापस आ जाएं. मैं हमेशा से ही बुल रहा हूं लेकिन बीच-बीच में थोड़े हिचकोले तो आते ही हैं.

सेक्टर की बात करें को इकनॉमी, फाइनेंस, सीमेंट, बैंक से जुड़ी कंपनियों में ज्यादा तेजी रह सकती है. यहां से आगे तीन-चार साल के लिए अच्छे निवेश के मौके हैं. जैसा शेयर बाजार ने 2005-08 का दौर देखा था, वैसी ही तेजी का दौर बाजार आने वाले वक्त में देख सकता है.

भारत में रिस्क क्या-क्या है?

कोरोना वायरस अभी भी बना हुआ है. ठंड आ रही है, प्रदूषण बढ़ रहा है, त्योहारी सीजन आ रहा है, वायरस फिर से वापस आ सकता है. वैक्सीन भारत में कब तक आएगा अभी ये भी साफ नहीं है. हो सकता है कि भारत में वैक्सीन आने में 2021 के बाद तक का वक्त लग जाए. तो हमें ये सब बातें ध्यान रखना होगा. हालांकि मुझे नहीं लगता कि फिर से नेशनल लॉकडाउन लगेगा.

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सरकार को अभी क्या-क्या प्राथमिकता पर करने की जरूरत है?

ऐसी कई सारी चीजें हैं जिन पर सरकार को काम करने की जरूरत है. जैसे कॉन्ट्रैक्ट कानून पर काम करने की जरूरत है, जमीन से जुड़े जो कानून हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर, जीएसटी, फिस्कल डेफिसिट जैसे कई काम करने की जरूरत है.

चीन और अमेरिका के रिश्तों में क्या बदलाव आने वाला है और दुनिया में क्या स्थित बनेगी?

कई सालों तक एक बाइपोलर दुनिया थी जिसमें चीन उत्पादन कर रहा था और अमेरिका खपत कर रहा था. लेकिन हम मल्टीपोलर दुनिया में आ चुके हैं. अब कंपनियां चीन से बाहर निकल रही हैं. भारत में पहले के मुकाबले अब बिजनेस करना आसान हो गया है. इसलिए हो सकता है कि कई मल्टीनेशनल कंपनियां भारत आएं. इससे भारत का फायदा होगा.

नए निवेशकों के लिए क्या सलाह है?

आम लोगों को ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए, लेकिन सिस्टमेटिक निवेश करना चाहिए. अपना पोर्टफोलियो बनाने पर फोकस करना चाहिए. बाजार को टाइम करने की बजाय लगातार लॉन्ग टर्म निवेश पर फोकस रखना चाहिए.

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