कर्मचारियों की सैलरी का इन-हैंड कंपोनेंट अगले वित्त वर्ष से कम हो सकता है क्योंकि कंपनियों को नए वेतन नियम के तहत भुतगान पैकेज को पुनर्गठित करना पड़ सकता है. एनडीटीवी के मुताबिक, नए नियम जो कोड ऑन वेजेज 2019 का हिस्सा हैं, अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष से प्रभावी हो सकते हैं.
नए नियमों के अनुसार, भत्ते वाला हिस्सा कुल सैलरी या कम्पनसेशन के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है और इसका मतलब है कि बेसिक सैलरी कम से कम 50 फीसदी होनी चाहिए.
इस नियम का पालन करने के लिए, नियोक्ताओं को सैलरी के बेसिक पे वाले हिस्से को बढ़ाना होगा, जिसकी वजह से प्रोविडेंट फंड में कर्मचारियों के योगदान और ग्रेच्युटी पेमेंट्स में आनुपातिक बढ़ोतरी होगी.
ऐसे में कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट कॉन्ट्रीब्यूशन कम टेक-होम सैलरी की वजह बनेगा, लेकिन कर्मचारियों का रिटायरमेंट कोष बढ़ेगा.
मौजूदा वक्त में, ज्यादातर निजी कंपनियां टोटल कम्पनसेशन के गैर-भत्ता भाग को 50 फीसदी से कम और भत्ता भाग को ज्यादा निर्धारित करना पसंद करती हैं. हालांकि, नए वेतन नियम लागू होते ही यह बदल जाएगा. इन नियमों से निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन पर असर पड़ने की संभावना है क्योंकि उन्हें आमतौर पर ऊंचे भत्ते मिलते हैं.
भले ही नए वेतन नियमों से कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी कम हो सकती है, लेकिन, एनडीटीवी के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बेहतर सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट बेनिफिट्स प्रदान करने में मदद मिलेगी.
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