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टाटा संस से झगड़े में साइरस मिस्त्री हारे, NCLT ने दलीलें खारिज की

NCLT का कहना है कि मिस्त्री खुले तौर पर बोर्ड और कंपनी का विरोध किया था

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साइरस मिस्त्री NCLT में टाटा संस और खासतौर से रतन टाटा के खिलाफ कानूनी लड़ाई हार गए हैं. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड में दोबारा बहाल करने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा मिस्त्री की ये दलील भी खारिज हो गई कि रतन टाटा कंपनी के बोर्ड के काम में दखलंदाजी करते रहे हैं.

जस्टिस बीएसवी प्रकाश कुमार और जस्टिस वी नलसेनापति की बेंच ने कहा कि टाटा संस बोर्ड को मिस्त्री को चेयरमैन पद से बर्खास्त करने का पूरा हक है.

NCLT ने क्या कहा?

  • साइरस मिस्त्री का व्यवहार कंपनी के कामकाज के मामले में ठीक नहीं था
  • मिस्त्री के चेयरमैन रहते हुए मीडिया को सूचनाएं लीक हुईं
  • बोर्ड के पास मिस्त्री को हटाने के पर्याप्त अधिकार
  • मिस्त्री ने रतन टाटा और नोशिर सूनावाला पर लगाए गए आरोपों में दम नहीं
  • मैनेजमेंट शेयरधारकों के प्रति ज्यादा उत्तरदायी है
  • मिस्त्री के कंपनी की विरासत के दावे में भी दम नहीं है

मिस्त्री ने याचिका में कहा था कि उनको मैनेजमेंट के कुप्रबंधन के चलते निकाला गया. उन्होंने 2012 में टाटा संस के छठवें चेयरमैन के रूप में पद संभाला था. अक्टूबर 2016 में उन्हें इस पद से बर्खास्त कर दिया गया.

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि ‘हम NCLT के इस फैसले का स्वागत करते हैं. ये फैसला इस बात का गवाह है कि कंपनी हमेशा शेयरधारकों के हित में फैसले करती है ’

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क्या था विवाद?

दोनों के बीच 18 माह से कानूनी झगड़ा चल रहा था. दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर मानहानि के दावे ठोके थे. NCLT ने मिस्त्री से छोटे निवेशकों पर दबाव और टाटा संस और रतन टाटा पर लगाए गए गंभीर आरोपों के ठोस सबूत मांगे थे.

मिस्त्री ट्रिब्यूनल से 3 बातें चाहते थे

  1. उन्हें टाटा संस के बोर्ड से न हटाया जाए
  2. टाटा संस को नए शेयर जारी नहीं किए जाएं
  3. ट्रिब्यूनल की मंजूरी के बगैर टाटा संस आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में बदलाव नहीं करे

टाटा संस और साइरस मिस्त्री मामले का पूरा घटनाक्रम

  • 24 अक्‍टूबर 2016: टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटाया, रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया.
  • 25 अक्‍टूबर 2016: मिस्त्री ने टाटा संस के निदेशक मंडल को पत्र लिखकर टाटा ट्रस्टियों पर 'पर्दे के पीछे से नियंत्रण' का आरोप लगाया.
  • 19 दिसंबर 2016: मिस्त्री ने टाटा समूह की सभी कंपनियों के निदेशक पद से इस्तीफा दिया.
  • 20 दिसंबर 2016: मिस्त्री ने प्रबंधन में गड़बड़ी और अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का रुख किया
  • 12 जनवरी 2017: एन चंद्रशेखरन को टाटा संस का नया चेयरमैन बनाया गया
  • 6 फरवरी 2017: मिस्त्री को टाटा संस के निदेशक मंडल के निदेशक पद से हटाया गया
  • 21 सितंबर 2017: टाटा संस के निदेशक मंडल ने निजी कंपनी बनाने की योजना को मंजूरी दी
  • 12 जून 2018: एनसीएलटी ने आदेश के लिए 4 जुलाई की तारीख तय की
  • 4 जुलाई 2018: एनसीएलटी ने फैसले को 9 जुलाई तक के लिए स्थगित किया
  • 9 जुलाई 2018: एनसीएलटी ने टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने के खिलाफ दाखिल साइरस मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी. न्यायाधिकरण ने कहा कि मिस्त्री को इसलिए हटाया गया क्योंकि निदेशक मंडल और उसके सदस्यों का मिस्त्री पर से विश्वास उठ गया था.

अब आगे क्या?

पूरे कॉरपोरेट जगत की निगाहें इस फैसले पर थीं. खास तौर पर कॉरपोरेट जगत में ये जानने की उत्सुकता था कि कंपनी का बोर्ड, चेयरमैन को इस तरह से हटा सकता है या नहीं. टाटा ग्रुप देश की सबसे बड़ी मार्केट कैप वाला ग्रुप है इसलिए भी बहुत बड़े पैमाने पर शेयर धारकों की नजर भी फैसले पर थीं.

हालांकि उधर साइरस मिस्त्री अभी भी हार मानने को तैयार नहीं है. उनके वकील का कहना है कि वो NCLT के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे और वे छोटे शेयरधारकों के हित में आवाज उठाते रहेंगे.

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