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पिछले साल की तुलना में रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में 1% गिरावट

खाद्य पदार्थों की कम कीमतों की वजह से मुद्रास्फीति की दर में कमी आई है.

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इस साल दाल और सब्जियों की कीमत ने लोगों को राहत पहुंचाई है. पिछले साल की तुलना में रोजमर्रा की इन जरूरी चीजों के दाम कंट्रोल में रहे हैं.

सालभर पहले की स्थिति से तुलना करें तो खाद्य पदार्थों की कम कीमतों की वजह से मुद्रास्फीति की दर में कमी आई है. ईंधन और बिजली के दाम में भी लगातार गिरावट देखी गई है. हालांकि, महीने दर महीने के हिसाब से देखें तो कुछ फूड आइटम्स की कीमतें अब बढ़ रही हैं.

भारत में थोक मुद्रास्फीति जून में तेजी से गिरी है. ईंधन की कम कीमत और कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार गिरावट इसकी वजह रही.

होलसेल के दाम में गिरावट की वजह से जून में रिटेल मुद्रास्फीति पर भी दबाव पड़ा और उसमें भी भारी गिरावट दर्ज की गई. कीमतों में गिरावट, मई में औद्योगिक उत्पादन की सुस्त वृद्धि के मिलेजुले असर के कारण अब अगस्त में होने वाली मीटिंग में मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) पर दबाव बढ़ने की संभावना है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक इसी महीने एक साल पहले की तुलना में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में 0.9% की बढोतरी हुई है. इस साल मई में ये दर 2.17% थी.

महीने दर महीने के हिसाब से डब्ल्यूपीआई में 0.1% की गिरावट आई है.

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इसके अलावा..

  • प्राथमिक वस्तुओं के सूचकांक में 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
  • खाद्य वस्तुओं के सूचकांक में महीने दर महीने 0.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि गैर-खाद्य वस्तुओं के सूचकांक में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई है.
  • ईंधन और बिजली सूचकांक में 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई है.
  • सब्जियों की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है.
  • पिछले साल की तुलना में सब्जियों की कीमतों में 21 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.

दालों की कीमतें भी पिछले साल की तुलना में कम चल रही हैं. पिछले साल की तुलना में दाल की कीमत 25 प्रतिशतकम हुई है.

मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट की कीमतों में लगातार ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है जिस वजह से इनकी मुद्रास्फीति दर 2.27 प्रतिशत बनी हुई है. ये संकेत देता है कि डिमांड कम रही.

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