एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन अमेरिका में हुए नए ट्रायल्स में बीमारी रोकने में 76% तक प्रभावी पाई गई है. ये प्रतिशत कंपनी के पिछले डेटा से कम है. कुछ दिनों पहले ही एस्ट्राजेनेका पर ट्रायल्स के नतीजों में पुराने आंकड़े दिखाने का आरोप लगा था.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि प्राइमरी एनालिसिस पहले जारी हुए अंतरिम विश्लेषण के अनुरूप ही है, और कंफर्म करता है कि उनकी वैक्सीन व्यस्कों में काफी प्रभावी है.
एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि वो आने वाले दिनों में अमेरिका में वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति लेगी.
कंपनी ने फिर दोहराया कि ये वैक्सीन बीमारी के गंभीर रूप के खिलाफ 100% प्रभावी है, और 65 साल और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में 85% तक असरदार है.
लगा था पुराना डेटा दिखाने का आरोप
ब्रिटिश-स्वीडन कंपनी एस्ट्राजेनेका के 22 मार्च को जारी किए गए आंकड़ों में वैक्सीन 79% प्रभावी पाई गई थी. ये ट्रायल अमेरिका, चिली और पेरू में 32 हजार लोगों पर किया गया था. लेकिन आंकड़े सामने आने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा था कि कंपनी ने पुराने डेटा का इस्तेमाल किया है.
एस्ट्राजेनेका ने ये वैक्सीन ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर डेवलप की है. इसे भारत में पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में मैन्युफैक्चर किया जा रहा है, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन मैन्युफैक्चरर है.
कई यूरोपीय देशों में उठे थे सवाल
फ्रांस, जर्मनी, इटली उन देशों में हैं जिन्होंने वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर आशंकाओं की वजह से इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. इन देशों के अलावा 10 दिनों के भीतर ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, साइप्रस, डेनमार्क, एस्टोनिया, आइसलैंड, आयरलैंड, लातविया, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल, सॉल्वेनिया, स्पेन, स्वीडन ने भी इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया. यूरोप के कुल 18 देशों ने इस वैक्सीन पर प्रतिबंध लगाया है.
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