विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के टीके के वितरण में अमीर और गरीब देशों के बीच असंतुलन की आलोचना करते हुए इसे 'शर्मनाक' बताया है. बीबीसी के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "टीके के वैश्विक वितरण में एक 'शर्मनाक असंतुलन' बना हुआ है."
डब्ल्यूएचओ ने लंबे समय से प्रतीक्षित कोविड-19 टीकों के उचित वितरण का आह्वान किया है. इसी क्रम में कोवैक्स योजना इस तरह बनाई गई है कि गरीब देशों को टीके मिल सकें. योजना के तहत अब तक लगभग 100 देशों में 3.8 करोड़ से ज्यादा खुराक वितरित की जा चुकी हैं. हालांकि, कोवैक्स योजना के मार्च के अंत तक दुनियाभर में कम से कम 10 करोड़ खुराक वितरित किए जाने की उम्मीद की गई थी.
कोवैक्स को 190 देशों में एक साल से कम समय में दो अरब से अधिक खुराक वितरण की उम्मीद है और वह विशेष रूप से, यह सुनिश्चित करना चाहता है कि 92 गरीब देशों को धनी देशों के समान टीके मिलें.
टैड्रॉस ने कहा, "ऊंची आय वाले देशों में औसतन चार लोगों में से एक को वैक्सीन मिली है. (जबकि) कम आय वाले देशों में यह 500 से अधिक लोगों में से एक को मिली है." उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि अप्रैल और मई के दौरान लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम होंगे."
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने उन देशों की भी आलोचना की, जो कोवैक्स योजना के बाहर अपने खुद के वैक्सीन सौदों की मांग उठा रहे हैं. कुछ देशों और कंपनियों ने अपने खुद के राजनीतिक या वाणिज्यिक कारणों से कोवैक्स को दरकिनार करते हुए द्विपक्षीय तौर पर टीका दान की योजना बनाई है.
उन्होंने कहा, "इन द्विपक्षीय व्यवस्थाओं से वैक्सीन वितरण में असमानता की लपटें दूर तक फैलने का जोखिम है. आपूर्ति की कमी से वैक्सीन राष्ट्रवाद चलाया रहा है.
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