जब 12 अप्रैल को अर्णव अदेश गोथाद के माता-पिता उसे उसके दादा-दादी के साथ ठाणे में छोड़ गए थे, तब उसके पिता में कोरोनोवायरस (Covid-19) के हल्के लक्षण दिखने शुरू हुए थे. उस वक्त उसे नहीं पता था कि यह आखिरी बार होगा जब वह उनमें से किसी से व्यक्तिगत रूप से बात करेगा.
एक हफ्ते बाद, उन्होंने अपने 35 साल के पिता आदेश गोथाड को COVID-19 महामारी में खो दिया.
उसे पिता के अंतिम दिनों में न तो उनका चेहरा देखने को मिला और न ही उनसे बात करने का मौका मिला.
अर्णव ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि मैंने अपने पिता से बात नहीं की, न ही मैंने उनकी मृत्यु से पहले उनका चेहरा देखा था. लेकिन मैं वीडियो कॉल पर अपनी मां के हालात देखता था, वास्तव में वह बहुत खराब स्थिति थी. उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था और उनका चेहरा सूजा हुआ था.
मैं यहां सिर्फ चाय पी रहा था. मैंने गुड-डे बिस्किट को एक लाइन में रखा था और मैं उसे खा रहा था. जब मुझे अचानक एक आवाज सुनाई दी, मैं बस बेडरूम में आया. मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है... हर कोई क्यों रो रहा था. तब मुझे पता चला कि ऐसा हो गया है.अर्णव गोथाड
'अर्णव ने एक भी आंसू नहीं बहाया'
उसके दादा-दादी ने बताया कि नौ साल के अर्णव ने अपने माता-पिता की मृत्यु को बड़ी समझदारी के साथ लिया. वे चिंतित हैं कि जब से उसने अपने माता-पिता की मृत्यु के बारे में सुना है, तब से उसने एक भी आंसू नहीं बहाया है.
अर्णव की नानी कहती हैं कि वह बार-बार कहता था कि मम्मी आप जल्दी वापस आ जाओ, हम आपका स्वागत करेंगे. आप कोरोनावायरस से लड़ेंगे. ये सब बातें वह अपनी मां से कहा करता था. वह हमें बताता था कि उसकी मां जल्द ही वापस आएंगी. उसे भी लगता कि उसकी मां वापस आएंगी हम केक काटेंगे. वह हमें ये सब बातें बताता था.
एक परिवार जो अर्णव को पसंद करता है
उसके चाचा उसकी पढ़ाई-लिखाई का ध्यान रखते हैं, लेकिन परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. अर्णव के माता-पिता के इलाज के लिए भी अस्पताल में काफी पैसे खर्च हुए थे.
बच्चे को अभी तक महाराष्ट्र या केंद्र से COVID-19 अनाथों के लिए सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हुई है.
मेरे पिता का लैपटॉप था लेकिन वह पुराना हो गया है. मैं कभी-कभी इसका इस्तेमाल करता था, लेकिन अगर मुझे नया लैपटॉप मिल जाए तो मैं बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकता हूं.अर्णव गोथाड
वह अपनी मां की आखिरी इच्छा को पूरी करने के लिए बेहतर पढ़ाई करना चाहता है, उसे एक चैटर्ड एकाउंटेंट (सीए) बनना है.
उसने कहा कि मैं एक चार्टर्ड अकाउंटेंट बनूंगा क्योंकि वह मेरी मां का सपना था. मेरी मां की इच्छा थी कि मैं सीए बनूं, लेकिन मैं एक दुकानदार बनना चाहता था. लेकिन मेरी मां की मृत्यु के बाद, मुझे पता है कि मैं सीए बनना चाहता हूं, न कि दुकानदार.
उसने कहा कि अगर मेरे पापा पहले भर्ती हो गए होते तो मेरी मां भी पहले भर्ती हो जाती. तब मैं अपने पिता से कहता कि वाह, आपने सही काम किया. अगर कोरोना नहीं होता, मेरी मां और पिताजी यहां होते.
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