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मुंबई में ऐसे चल रहा था नकली वैक्सीन गैंग- 9 कैंप,11 FIR,13 अरेस्ट

कैसे सामना आया Mumbai fake vaccine scam?

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मुंबई के कांदिवली में फर्जी वैक्सीनेशन (fake vaccination) का केस सामने आने के बाद इस पूरे मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और कुल 11 FIR दर्ज हुई हैं.

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25 मई से 6 जून के बीच बोरीवली, कांदिवली, मलाड, खार, वर्सोवा, अंबोली, परेल और ठाणे में 9 ड्राइव में 2000 से ज्यादा लोग फर्जी वैक्सीन रैकेट के शिकार बने, इस बात की पुष्टि मुंबई ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर विश्वास नांगरे पाटिल ने की है.

वैक्सीन फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ जब कांदिवली की हीरानंदानी हेरीटेज सोसायटी के लोगों ने वैक्सीन लेने के करीब 10 से 12 दिनों तक वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट न मिलने पर वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पर शक जताया.

इस मामले के सामने आने के बाद मुंबई पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन मुंबई पुलिस तब चौंक गई जब पता चला कि इन्होंने ऐसे कई कैंप का आयोजन कर लोगों को ठगा है.

कहां-कहां लगाए गए फेक वैक्सीनेशन कैंप?

अब तक की जांच के मुताबिक,

  • आरोपियों ने सबसे पहला वैक्सीनेशन ड्राइव 25 मई को मलाड इलाके में किया जहां पर इन्होंने 40 लोगों को वैक्सीन की डोज लगाईं.

  • दूसरे कैंप का आयोजन इन्होंने 26 मई को ठाणे के निजी कंपनी के दफ्तर में किया, जहां 122 लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई गईं.

  • तीसरे कैंप का आयोजन 26 और 27 मई को मानसी शेयर एंड स्टॉक एडवाइजर नामक कंपनी के दफ्तर में किया गया, जहां पर इन्होंने 514 लोगों को वैक्सीन की डोज दीं.

  • चौथे वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन इन आरोपियों ने परेल के पोद्दार एजुकेशन सेंटर में किया जहां 207 लोगों को वैक्सीन दी गई.

  • पांचवें कैंप का आयोजन 30 मई को हीरानंदानी हेरिटेज नामक सोसाइटी में किया गया, जहां पर 390 लोगों को वैक्सीन की डोज दी गईं, इसी सोसायटी के लोगों ने जब सवाल खड़ा किया, तब इस फर्जी वैक्सीनेशन रैकेट का भंडाफोड़ हुआ.

  • छठे वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन 1 जून को टिप्स कंपनी में किया गया जहां पर 150 लोगों को वैक्सीन दी गई.

  • सातवें कैंप का आयोजन 30 जून को बोरीवली के आदित्य कॉलेज में किया गया, जहां पर 225 लोगों को वैक्सीन दी गई.

  • आठवें कैंप का आयोजन 3 जून को म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़ी टिप्स कंपनी के खार स्थित दफ्तर में किया गया, जहां पर 200 लोगों को वैक्सीन दी गई.

  • नौवें कैंप का आयोजन इन आरोपियों ने 6 जून को कॉन टैलेंट कंपनी के दफ्तर में किया, जहां पर 220 लोगों को वैक्सीन दी गई है ,हालांकि अभी इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

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कौन-कौन थे फेक वैक्सीनेशन अभियान में शामिल?

कुल 9 'वैक्सीनेशन कैंप' में से 8 जगहों पर अब तक एफआईआर दर्ज हो चुकी है. आरोपियों के बारे में ये जानकारी सामने आई है:

महेंद्र प्रताप सिंह और मनीष त्रिपाठी: इस फर्जी वैक्सीनेशन कैंप के आयोजन का मुख्य आरोपी 10वीं फेल महेंद्र प्रताप सिंह है, जिसके संपर्क कई डॉक्टरों से हैं. वह मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों से लगातार संपर्क में रहा है. महेंद्र के साथ मनीष त्रिपाठी नाम का आरोपी जो इस पूरे फर्जीवाड़े में शामिल है, अभी फरार है.

संजय गुप्ता: यह वो शख्स है, जो सोसाइटी में जाकर 'वैक्सीनेशन कैंप' के आयोजन का पूरा काम देखता था.

चंदन, नितिन और गुड़िया यादव: इन तीनों आरोपियों में से चंदन और नितिन एक अस्पताल में काम करते हैं जबकि गुड़िया नेस्को वैक्सीनेशन सेंटर में काम करती थी. ये तीनों आरोपी डेटा में गड़बड़ी कर फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का काम करते थे.

मोहम्मद करीम अकबर अली: यह आरोपी जिस जगह पर वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन होता था, वहां 'वैक्सीन' पहुंचाने का काम किया करता था.

डॉक्टर शिवराज पटारिया और डॉक्टर नीता पटारिया: इस वैक्सीनेशन कैंप में इन दोनों आरोपियों की भूमिका काफी अहम रही है. मुंबई के शिवम अस्पताल को चलाने वाले ये दोनों आरोपी 'वैक्सीन' की सप्लाई किया करते थे, जो वैक्सीन ना होकर ग्लूकोज का पानी था.

इसके अलावा दो अन्य आरोपी श्रीकांत माने और सीमा आहूजा कुछ 'वैक्सीनेशन कैंप' के आयोजन में ही शामिल रहे हैं, जबकि इस मामले में एक बड़े अस्पताल का राजेश पांडे नाम का आरोपी भी अभी फरार है.

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कैसे दिया गया फेक वैक्सीनेशन अभियान को अंजाम?

शुरुआत में गिरफ्तार किए गए आरोपियों से कड़ी पूछताछ के बाद शिवम अस्पताल का नाम सामने आया. शिवम अस्पताल को कोविड-19 वैक्सीनेशन सेंटर के तौर पर मान्यता प्राप्त है. जानकरी के मुताबिक, शिवम अस्पताल को 17100 कोविशिल्ड की डोज दी गई थीं, जिसमें से 16884 डोज अस्पताल द्वारा लगाई जा चुकी हैं और 216 अभी भी बची हैं जिसके बारे में जांच चल रही है.

इसके अलावा कोवैक्सीन की 6250 डोज शिवम अस्पताल को मिली थीं, जिनमें से 5942 डोज अस्पताल द्वारा लगाई गई हैं और अभी भी 308 डोज बची हैं, इसकी पड़ताल भी पुलिस कर रही है.

जानकारी के मुताबिक, अस्पताल को मिली वैक्सीन की डोज दिए जाने के बाद खाली हुई शीशी में ग्लूकोज भरकर अलग-अलग सोसाइटीज और कॉरपोरेट सेक्टर में फर्जी वैक्सीनेशन को अंजाम दिया जा रहा था.

हालांकि पुलिस के पास अभी इस दावे को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक सबूत मौजूद नहीं है लेकिन अब तक की जांच और पूछताछ में यह बात सामने आई है कि ये आरोपी वैक्सीन के नाम पर ग्लूकोज दे रहे थे. इस दिशा में अभी भी जांच चल रही है.

जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस गिरोह का भारत बायोटेक या सीरम इंस्टिट्यूट से 1 लाख डोज खरीदने का टारगेट था. इसके लिए इनको 5 से 6 करोड़ रुपये की जरूरत थी. जिसके लिए यह गैंग बैंक लोन लेने की भी तैयारी में था. इनका प्लान था कि ये 1 लाख असली डोज जैसे-जैसे खत्म होते, वैसे-वैसे उनकी खाली शीशियों में फिर से सलाइन का पानी भरकर नकली वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाता.

पकड़े गए आरोपियों के पास से 12 लाख 40 हजार रुपये जब्त किए गए हैं. मुख्य आरोपी महेंद्र सिंह और उसके साथी मनीष त्रिपाठी के अकाउंट को सीज किया गया है.

मुंबई पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है, ताकि इस मामले में सभी आरोपियों को उनके किए की सजा दिलाई जा सके. वहीं मुंबई पुलिस ने लोगों से भी अपील की है कि सोसाइटी में वैक्सीनेशन कैंप के आयोजन से पहले सरकार के नियमों को जरूर देखें. साथ ही ऐसे किसी भी फर्जी वैक्सीनेशन कैंप की जानकारी मिलने पर पुलिस को तत्काल सूचित करें.

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