कोरोना (COVID19) का एक नया वैरिएंट S-CoV-2 दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में पाया गया है, जो अब तक के वैरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का यह नया वैरिएंट वैक्सीन के प्रभाव को भी कम कर सकता है.
साउथ अफ्रीका के National Institute for Communicable Diseases (NICD) और KwaZulu-Natal Research Innovation and Sequencing Platform (KRISP) के वैज्ञानिकों ने कहा कि इसी साल मई में कोरोना का ये नया वैरिएंट (C.1.2) सामने आया है
24 अगस्त को प्रीप्रिंट रिपॉजिटरी MedRxiv पर पोस्ट किए गए peer-reviewed स्टडी के अनुसार C.1.2 वैरिएंट C.1 की तुलना में इसका म्यूटेशन ज्यादा तेज है, जो साउथ अफ्रीका में S-CoV-2 के प्रकार में देखने को मिला था.
अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक वैश्विक स्तर पर शोध में पाया गया नए वैरिएंट में अधिक तेजी से बदलाव आता है. स्टडी में पाया गया है कि दक्षिण अफ्रीका में C.1.2 की जीनोम संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है. मई में जीनोम की संख्या 0.2 प्रतिशत से बढ़कर जून में 1.6 हुई, जो जुलाई में 2 प्रतिशत हो गई.
उन्होंने बताया कि बीटा और डेल्टा वैरिएंट में भी इसी तरह की बढ़ोतरी देखने को मिली थी, लेकिन अगर देखा जाय तो इसकी रफ्तार कोरोना के अन्य वैरिएंट से ज्यादा तेज है.
वायरोलॉजिस्ट उपासना रे के मुताबिक यह वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन में C.1.2 लाइन में एकत्रित कई म्यूटेशन का परिणाम है, जो इसे 2019 में चीन के वुहान में पाए गए मूल वायरस से बिल्कुल अलग है. कोलकाता के CSIR-Indian Institute of Chemical Biology की उपासना ने कहा कि यह ज्यादा संक्रामक है और साथ ही तेजी से फैलता भी है. यह दुनिया भर में चल रहे वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है.
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि ये म्यूटेशन वायरस में कई बदलाव लाते हैं और एंटीबॉडी पर हावी हो जाते हैं.
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