भारत में कोरोना वायरस वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज करने और कई राज्यों में वैक्सीन की कमी की शिकायतों के बीच ड्रग रेगुलेटर ने रूस की कोविड वैक्सीन Sputnik V को मंजूरी दे दी है. साथ ही, विदेशी वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया भी अब तेज की जाएगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 अप्रैल को कहा कि केंद्र सरकार ने विदेशी कोविड वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया फास्ट-ट्रैक कर दी है. कोरोना महामारी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे भारत में तीसरी वैक्सीन को मिलना एक राहत भरी खबर हैं.
हालांकि, परेशानी के बादल अभी छंटे नहीं हैं. विदेशी वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भी एक चुनौती सरकार के सामने बनी हुई है, वो है वैक्सीन का पहला डोज ले चुके लोगों को दूसरा डोज देने की.
कई राज्यों में वैक्सीन की कमी
पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से वैक्सीन की कमी की खबरें आई थीं. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने केंद्र सरकार पर वैक्सीन के कम डोज का भी आरोप लगाया था.
इतने लोगों को मिलना है वैक्सीन का दूसरा डोज
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में 14 अप्रैल दोपहर तक 11,11,79,578 यानी कि 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. इसमें से केवल 1.38 करोड़ लोग ही ऐसे हैं, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं.
9.73 करोड़ लोगों को अभी भी वैक्सीन की दूसरी डोज दी जानी बाकी है.
मतलब गौर करें तो 130 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में हम अब तक केवल 1.38 करोड़ लोगों को सुरक्षित कर पाए हैं, जो कि बेहद छोटा आंकड़ा है.
भारत में कितनी वैक्सीन बन रही?
दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन मैन्युफैक्चर, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया हर महीने करीब 6.5 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है. कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि जून महीने से इसे 10 करोड़ तक बढ़ाने की उम्मीद है. इसके लिए उन्होंने सरकार से भी मदद मांगी है और कहा है कि वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए करीब 3000 करोड़ रुपयों की जरूरत है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, कोविशील्ड को 6 से 8 हफ्तों के अंतराल पर दिया जा रहा है. पहले दोनों डोज के बीच का समय 4 से 6 हफ्ते था, जिसके केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस में बढ़ाकर 8 हफ्ते तक कर दिया.
स्वदेशी वैक्सीन, भारत बायोटेक की बात की जाए तो कंपनी अभी महीने में करीब सवा करोड़ (1.2 करोड़) कोवैक्सीन का उत्पादन कर रही है. कंपनी आने वाले दिनों में अपना प्रोडक्शन बढ़ा सकती है, लेकिन ये कब तक मुमकिन है, इसपर अभी कुछ कंफर्म कहा नहीं जा सकता. कोवैक्सीन का पहला डोज लेने वालों को, दूसरा डोज लेने के लिए 4 से 6 हफ्तों का इंतजार करना पड़ता है.
अब जरा इसे समझिए. जिन 9.73 करोड़ लोगों को दूसरा डोज लगना है उन्हें ये डोज 6 से 8 हफ्ते में चाहिए. सीरम दो महीने में 13 करोड़ वैक्सीन बनाएगा. (क्योंकि क्षमता जून में बढ़नी है, अप्रैल-मई में नहीं) दो महीने में भारत बायोटेक ढाई करोड़ वैक्सीन बनाएगी... तो कुल डोज हुए 15.5 करोड़. लेकिन सारे 9.73 करोड़ लोगों के मई तक का वक्त नहीं है. करोड़ों लोगों को अप्रैल के अंत तक ही दूसरा डोज चाहिए. दिक्कत ये भी है कि सीरम की वैक्सीन में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 35% है. अभी तो सारे डोज भारत को मिल रहे हैं लेकिन आगे भी ऐसा होगा कह नहीं सकते, क्योंकि सीरम पर करार के मुताबिक विदेश में वैक्सीन भेजने का दबाव बढ़ता जा रहा है.
वैक्सीन की कमी के चलते दूसरे डोज में देरी
NCPCR की पूर्व चेयरपर्सन शांता सिन्हा ने ट्विटर पर बताया कि वैक्सीन की कमी के चलते उन्हें दूसरे डोज मिलने में देरी हो रही है. उन्होंने लिखा, “वैक्सीन की कमी की वजह से मेरा दूसरा डोज पोस्टपोन हो गया. भारत की वैक्सीन पॉलिसी की जो आलोचना हो रही है, उसमें कुछ तो सच्चाई होगी.”
दूसरे देशों को भी वैक्सीन दे रहा SII
सीरम भारत को कोविड वैक्सीन की सप्लाई के साथ-साथ दूसरे देशों में भी वैक्सीन दे रहा है. इसमें देरी के चलते कंपनी को एस्ट्राजेनेका से नोटिस भी मिला था. एस्ट्राजेनेका ने यूके के लिए वैक्सीन शिपमेंट में देरी के लिए सीरम को नोटिस भेजा था. इस देरी के पीछे पूनावाला ने भारत में वैक्सीन की बढ़ती डिमांड को जिम्मेदार बताया था.
इसपर पूनावाला ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था,
“हम उम्मीद कर रहे हैं कि ये अस्थायी है. भारत में हालात सुधरने के बाद, (वैक्सीन के) एक्सपोर्ट वापस तेज हो सकते हैं.”
वहीं, भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ प्रोग्राम के तहत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका समेत पड़ोसी देशों के साथ-साथ लैटिन अमेरिकी देश- ब्राजील, एल सल्वाडोर, अर्जेंटीन, अफ्रीकी देश- इथियोपिया, दक्षिण अफ्रीका समेत अब तक कुल 90 देशों में वैक्सीन की सप्लाई कर चुका है. देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बाद भारत ने वैक्सीन के एक्सपोर्ट को कुछ समय के लिए रोकने का फैसला लिया है.
भारत ने भले ही वैक्सीन के एक्सपोर्ट को रोक दिया है और नई वैक्सीन को भी मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश जारी है, लेकिन देश में मौजूदा वैक्सीन के प्रोडक्शन को बढ़ाने और उसका तुरंत वितरण फिलहाल सबसे बड़ी जरूरत है. क्योंकि Suptnik V, Moderna या Pfizer वैक्सीन के डोज तुरंत भारत आ भी गए तो (जो संभव नहीं-डिटेल पढ़िए) भी 9.73 करोड़ लोगों को नहीं दिया जा सकता. उन्हें तो कोविशील्ड या कोवैक्सीन चाहिए.
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