भारत के टॉप वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने केंद्र के अहम साइंटिफिक एडवाइजर ग्रुप से इस्तीफा दे दिया है. वे SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम ग्रुप (INSACOG) के अध्यक्ष थे. शाहिद पर वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान की जिम्मेदारी थी. जीनोमिक्स कंसोर्टियम ग्रुप इसी साल जनवरी में बनाई गई थी.
इस्तीफे पर मेडिकल जगत की हस्तियों ने प्रतिक्रिया दी है और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
हालांकि, अभी तक जमील के इस्तीफे के पीछे की स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है. कोरोना वायरस महामारी के दौरान पिछले कुछ वक्त में वो सरकार के रुख की आलोचना करते दिखे थे, खासकर दूसरी लहर के दौरान. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या उन्होंने सरकार के रुख के चलते ही इस्तीफा दिया है?
येनेपोया यूनिवर्सिटी, मंगलुरू में बायोएथिक्स एडजंक्ट प्रोफेसर और रिसर्चर डॉ अनंत भान ने ट्वीट कर कहा-
"दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसे समय में जब देश को वैज्ञानिक सलाह की सबसे ज्यादा जरूरत है, वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने केंद्र की कोविड जीनोम सर्विलांस प्रोजेक्ट के मुख्य सलाहकार के रूप में इस्तीफा दे दिया है."
पब्लिक हेल्थ रिसर्चर अमर जेसानी ने ट्वीट किया-
“शीर्ष वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने केंद्र की आलोचना के बाद कोविड पैनल छोड़ दिया. स्वाभिमान वाला सिर्फ एक वैज्ञानिक? औरों का क्या?”
WHO से जुड़े जाने-माने हेल्थ इकनॉमिस्ट रिजो एम जॉन ने ट्वीट किया-
“डेटा और विज्ञान आपके दुश्मन बन जाते हैं, जब वे आपके कथन का समर्थन नहीं करते हैं!”
येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में फेलो पत्रलेखा चटर्जी ने ट्वीट किया-
“सरकार जीनोम सर्विलांस में पर्याप्त संसाधनों का निवेश क्यों नहीं करना चाहती है? बेहद परेशान करने वाले संकेत. वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ फैसले क्यों नहीं ले रहे हैं?”
आगे हेल्थ रिसर्चर और प्रोफेसर सोमशेखर निंबालकर ट्वीट करते हैं कि “जो कोई भी आलोचना करता है, उसे चुप करा दिया जाता है.”
बता दें, शाहिद जमील अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्टर हैं. वो वेलकम ट्रस्ट DBT इंडिया अलाएंस के CEO भी रह चुके हैं, जमील को हेपेटाइटिस E वायरस पर रिसर्च के लिए जाना जाता है.
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