विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नोवेल कोरोना वायरस से निपटने के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन के इमर्जेंसी यूज को अनुमति दे दी है. ऐसे में अलग-अलग देशों में जल्दी से इसके आयात और वितरण की मंजूरी के लिए रास्ता साफ हो गया है.
WHO ने नोवेल कोरोना वायरस महामारी के बीच पहली वैक्सीन को 'इमर्जेंसी वेलिडेशन' दिया है.
फाइजर वैक्सीन को अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत कई देश पहले ही मंजूरी दे चुके हैं. पिछले दिनों ब्रिटिश महिला मार्गरेट कीनन ट्रायल के बाहर फाइजर वैक्सीन शॉट लगवाने वाली दुनिया की पहली व्यक्ति बनी थीं. लोगों को इस वैक्सीन की दो खुराक दी जाएंगी. पहली खुराक के 21 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाएगी.
फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर ने 18 नवंबर को ऐलान किया था कि उसकी COVID-19 वैक्सीन फेज 3 ट्रायल्स के फाइनल एनालिसिस में 95 फीसदी प्रभावी पाई गई.
फाइजर वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यह टेक्नोलॉजी ह्यूमन सेल्स को कोरोना वायरस के सरफेस प्रोटीन बनाने के जेनेटिक निर्देश देकर काम करती है, जिससे वास्तविक वायरस को पहचानने के लिए इम्यून सिस्टम प्रशिक्षित होता है.
फाइजर वैक्सीन को शून्य से 70 डिग्री नीचे के तापमान पर रखना होगा और इसे विशेष बक्से में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाएगा. एक बार आपूर्ति हो जाने पर इसे पांच दिनों तक फ्रिज में रखा जा सकता है.
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