बिहार चुनाव से पहले पॉलिटिकल ‘मौसम’ हर रोज बदल रहा है. इसी बीच ‘मौसम वैज्ञानिक’ के नाम से मशहूर राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार के सभी बड़े अखबारों के पहले पन्ने पर विज्ञापन देकर राजनीतिक मौसम में गर्मी ला दी है. ये पहला मौका है, जब एलजेपी ने बिहार के सभी अखबारों के साथ-साथ दिल्ली और मुंबई में भी बड़े अंग्रेजी अखबारों में भी विज्ञापन दिया है.
विज्ञापन पर जो शब्द लिखे हैं उससे एक तीर से दो निशाना कहना गलत नहीं होगा. जी हां, एक तीर से नीतीश कुमार के तीर पर वार है तो दूसरे पर विपक्षी पार्टियों पर. विज्ञापन में लिखा है, “आओ बनाएं नया बिहार, युवा बिहार... चलो चलें युवा बिहारी के साथ.” वहीं पार्टी अध्यक्ष और युवा सांसद चिराग पासवान की बड़ी सी फोटो के नीचे लिखा है,
“वो लड़ रहे हैं बिहार पर राज करने के लिए, हम लड़ रहे हैं बिहार पर नाज करने के लिए. धर्म ना जात -करें सबकी बात
ऐसे में सवाल उठता है कि चिराग पासवान के लिए ‘वो’ कौन है? JDU, BJP, RJD? क्योंकि बिहार में इन्हीं तीन पार्टियों के इर्द-गिर्द चुनावी राजनीति घूम रही है. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान एनडीए से अलग होकर बिहार में अपनी जमीन तलाश रहे हैं?
चिराग किस ओर चलने वाले हैं?
चिराग भले ही एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन वो बिहार में जेडीयू के साथ गठबंधन में नहीं हैं, न ही सरकार का हिस्सा हैं. पिछले कुछ वक्त से चिराग लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. खबर यहां तक आने लगी कि एलजेपी, जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार सकती है. हालांकि पार्टी ने इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया.
अभी हाल ही में चिराग पासवान ने जेडीयू पर हमला बोलते हुए कहा था कि उनका गठबंधन बीजेपी के साथ है किसी और के साथ नहीं. यही नहीं कोरोना की टेस्टिंग का मामला हो या बाढ़ का, चिराग पासवान नीतीश सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं.
ये तो साफ है कि बिहार की राजनीति में भले ही चिराग पासवान की पार्टी के लोकसभा में 6 सांसद हों, लेकिन विधानसभा में पार्टी कमजोर है. 2015 के चुनाव में एलजेपी को सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. अब चिराग पासवान पार्टी के अध्यक्ष हैं और पार्टी के आधार को बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके कंधे पर है. इसलिए चिराग लगातार नीतीश कुमार की सरकार को घेरकर खुद को बिहार की राजनीति में बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं.
सीट को लेकर एनडीए में टेंशन
विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर भी एनडीए की तीनों एलजेपी, जेडीयू और बीजेपी में तालमेल बनती नहीं दिख रही है.
2015 विधानसभा चुनाव में बीजेपी, LJP, उपेंद्र कुशवाहा की RLSP और जीतनराम मांझी की ‘हम’ ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन अब एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हो चुकी है, और आरएलएसपी महागठबंधन के साथ है.
वहीं दूसरी ओर बीजेपी साफ कर चुकी है कि वो ये चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ेगी. हालांकि एलजेपी ने पहले ही कह दिया है कि बीजेपी को अगर नीतीश या किसी भी पार्टी को सीट देनी है तो वो अपने हिस्से में से दे. एलजेपी अपने सीटों को कम नहीं करेगी. इसी को देखते हुए टिकट बंटवारे पर अबतक कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है.
चिराग का बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट कैंपेन
चिराग पासवान लगातार खुद को बिहार के युवा नेता के तौर पर पेश करते रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपने नाम के आगे युवा बिहारी लगा रखा है. साथ ही वो बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट नाम से एक कैंपेन भी चला रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि बिहार में बिहारी दिखने से क्या चिराग को फायदा होगा? क्योंकि उनके सामने अनुभवी नीतीश कुमार हैं, तो दूसरी ओर एक और युवा और मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव भी हैं.
ऐसे में चिराग के बिहारी टैग से दो बातें निकलकर आ रही हैं. पहली ये कि विज्ञापन, कैंपेन और तीखे सवाल से एनडीए में प्रेशर पॉलिटिक्स कर ज्यादा सीटें हासिल करना या फिर सचमुच एनडीए से अलग होकर अपनी जमीन तलाशना.
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