वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
आपदा में अवसर की जब भी बात की जाती है तो मधुबनी पेंटिंग (Madhubani Painting) का जिक्र किया जाता है. मधुबनी पेंटिंग वाला मास्क काफी पॉपुलर है. मधुबनी पेंटिंग के आर्टिस्ट किन हालातों में गुजारा कर रहे हैं यही जानने के लिए क्विंट की चुनावी चौपाल लगी पेंटिंग के हब बिहार (Bihar) के जितवारपुर में.
मधुबनी पेंटिंग में राज्य मेरिट अवॉर्ड पाने वाले प्रतीक प्रबाकर कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें काफी नुकसान हुआ है, रोजगार का साधन ठप पड़ गया था. उनका कहना है कि आपदा में अवसर भी निकाले गए हैं, लेकिन उससे कलाकारों को या उनकी जीविका के सुधार को लेकर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है.
कई कलाकार अपनी मधुबनी पेंटिंग बनाकर क्राफ्ट फेयर में बेचते थे वो अचानक से रुक गया, आपदा में फिर कई कलाकारों ने मधुबनी पेंटिंग से बने मास्क बनाए और बेचे, उससे थोड़ी मदद मिली है, लेकिन उतनी नहीं, इसमें गंभीर बात ये है कि जिस तरह से इस मास्क की मार्केटिंग होनी चाहिए थी, सरकार की तरफ से इन कलाकारों को सपोर्ट मिलना चाहिए था, वैसा कहीं नहीं दिखा.प्रतीक प्रबाकर, मधुबनी पेंटिंग आर्टिस्ट
मधुबनी आर्टिस्ट शालिनी ने क्विंट से बातचीत में बताया कि मधुबनी आर्टिस्ट ऑनलाइन शोपिंग के आने के बाद भी अपने काम के ही भरोसे हैं. सरकार से मदद के सवाल पर शालिनी का कहना है कि-
सरकार आती हैं जाती हैं लेकीन वो काम अपने फायदे के लिए ही करती हैं, सरकार के काम की भी बात करें तो इस क्षेत्र में कलाकार बहुत हैं, वस्त्र मंत्रालय की ही बात करें तो इस क्षेत्र में 40 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड आर्टिस्ट हैं, लेकिन मार्केट नहीं है तो इसका फायदा पूरी तरह सभी को नहीं मिल पाता है. हमारा क्षेत्र मधुबनी पेंटिंग का हब माना जाता है लेकिन यहां एक भी गैलरी नहीं है कि कलाकार जाकर अपने काम की प्रदर्शनी लगा पाएं और लोगों को उससे रूबरू करा सकें.शालिनी, मधुबनी पेंटिंग आर्टिस्ट
संतोष पासवान भी मधुबनी पेंटिंग आर्टिस्ट हैं, उनका कहना है कि उन्होंने 100 रुपये की कीमत वाले मास्क 50 रुपये में बेचे हैं, वजह? वो कहते हैं कि वो और उनके जैसे कई कलाकार मजबूर हैं क्योंकि उन्हें अपना घर भी चलाना है, बच्चों को पालना है.
सरकार से मधुबनी पेंटिंग आर्टिस्ट्स में नाराजगी?
कंटेम्पररी मधुबनी पेंटिंग आर्टिस्ट अविनाश का कहना है कि सरकार से यहां के कलाकार नाराज हैं, सरकार से अवार्ड जरूर मिलता है लेकिन ये कलाकार उस अवार्ड का क्या करेंगे जब उन्हें अपने काम बेचने के लिए या दिखाने के लिए मौका ही नहीं मिलेगा...
अवार्ड का कुछ मतलब होना चाहिए, किसी आर्टिस्ट को आप अवार्ड देते हैं तो उसके साथ सरकार को उन कलाकारों के लिए मौके भी बनाना होंगे, घर में रखी शील्ड से कलाकारों के जीवन पर कुछ सकारात्मक असर नहीं पड़ा है. मधुबनी पेंटिंग के गढ़ में आप सारी सरकारी चीजे हटा भी देंगे तो भी किसी कलाकार को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि उससे कुछ लाभ नहीं मिल पा रहा है.
मधुबनी पेंटिंग कलाकारों की सरकार से इतनी शिकायत है कि उन्हें अपने गढ़ में गैलरी मिलनी चाहिए, और उन्हें सिर्फ मास्क तक न सीमित रखा जाए, स्टूडियो चाहिए और साथ एक साथ काम करने की जगह चाहिए, और सबसे जरूरी इन्हें मार्केट मिलना चाहिए जो इनके काम को और पहचान दिला सके, जिससे इनकी जीविका भी सुधरे
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