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फेसबुक पर एनडीए के प्रॉक्सी पेजों ने बिहार चुनाव का बिगाड़ा स्तर

फेसबुक को 24 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच सिर्फ एक हफ्ते में 56 लाख रुपये के विज्ञापन मिले

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बिहार के चुनाव में जिस तरह से लाउडस्पीकर, पोडियम और ताबड़तोड रैलियों को लेकर ऑफलाइन खुलासे हुआ करते हैं, उसी तरह से फिजूल खर्ची वाले ऑनलाइन अभियान का भी खुलासा हुआ है. फेसबुक के पॉलिटिकल एड्स लाइब्रेरी के मुताबिक बिहार में चुनाव संबंधित विज्ञापनों पर 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच कुल 1.32 करोड़ रुपये फेसबुक पर खर्च किए गये.

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बिहार में जब दूसरे चरण का चुनाव प्रगति पर था, फेसबुक को 24 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच सिर्फ एक हफ्ते में 56 लाख रुपये के विज्ञापन मिले. ऑनलाइन ऐड में जो बात चौंकाने वाली है, वह है फेसबुक अभियान से आरजेडी की अनुपस्थिति. 

पिछले महीने बीजेपी और जेडीयू का खर्च क्रमश- 28 लाख और 20 लाख रुपये था जो फेसबुक पर सबसे ज्यादा खर्च करने में पहले और दूसरे नंबर पर थे. अनाधिकारिक रूप से बीजेपी और एनडीए के प्रॉक्सी पेजों ने भी 10 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए और वे भी टॉप विज्ञापनदाताओं के तौर पर उभरे.

इन प्रॉक्सी पेजों में पारदर्शिता नहीं के बराबर होती है और ये सत्ताधारी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिए अहम कार्य करते हैं.

आधिकारिक पेजों पर चुनावी वायदों और नेताओं के बयानों पर ध्यान केंद्रित रखा जाता है. आरजेडी और कांग्रेस पर धुआंधार आक्रमण इन्हीं प्रॉक्सी पेजों के जरिए होता है. आक्रामक में, तीखे व्यंग्य और चित्रों के सहारे ये हमले किए जाते हैं.

‘राष्ट्रीय जंगल दल’, ‘भक बुड़बक’ और ‘मोदी संग नीतीश’ जैसे तीन प्रमुख प्रॉक्सी पेज हैं, जो बीजेपी-एनडीए गठबंधन को प्रोमोट करते हैं. ये एक मजबूत पैटर्न के साथ चलते हैं, जैसा कि लोकसभा चुनाव 2019 के साथ-साथ फरवरी 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान देखा गया था.

पार्टी के आधिकारिक पेजों से ये अलग दिखते हैं, लेकिन ये मीम्स और ग्राफिक्स के संग्रह की तरह काम करते हैं, जिनका इकलौता मकसद निजी हमले करना और बीजेपी/एनडीए के विरोधियों पर भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और चुनावी भेदभाव जैसे आरोप लगाना होता है.

फेसबुक पर विभिन्न दलों ने कितना खर्च किया?

1 से 30 अक्टूबर के बीच खर्च हुए 1.32 करोड़ रुपये में से करीब 62 प्रतिशत रकम में 82 लाख रुपये होते हैं, शीर्ष के दस विज्ञापनदाताओं ने खर्च किए. इनमें शामिल हैं बीजेपी, जेडीयू, कांग्रेस, चिराग पासवान और कई प्रॉक्सी पेज.

सबसे ज्यादा खर्च करती रही बीजेपी के दो अलग-अलग पेज हैं ‘बीजेपी बिहार’ और ‘आत्मनिर्भर बिहार’. दोनों पेजों के लिए विज्ञापनों पर रकम पार्टी ने चुकायी है. इसी तरह जेडीयू के दो अलग-अलग पेज हैं जनता दल युनाइटेड और बिहार जेडीयू.

दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी/एनडीए के तीनों प्रॉक्सी पेज पर हुए खर्च को जोड़ दें, तो वह कांग्रेस और एलजेपी (जिसके पास चिराग पासवान नाम से पेज है) के खर्चों के योग से अधिक हो जाता है.

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दिल्ली और लोकसभा चुनाव के समय प्रॉक्सी पेजों में समानता

बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को प्रोमोट करने वाले तीन प्रॉक्सी पेजों ने कुल 10.52 लाख रुपये खर्च किए.

‘राष्ट्रीय जंगल दल’ ने 4.34 लाख रुपये खर्च किए जबकि ‘भक बुड़बक’ का खर्च आया 3.35 लाख रुपये. ‘मोदी संग नीतीश’ ने 2.82 लाख रुपये खर्च किए.

फेसबुक पर इन प्रॉक्सी पेजों का एक जैसा व्यवहार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बड़े पैटर्न की तरफ इशारा करता है जो अप्रैल-मई 2019 में लोकसभा चुनाव और 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी के अभियानों में देखने को मिला था.

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ये हैं कुछ महत्वपूर्ण समानताएं :

  1. लोकसभा और दिल्ली चुनावों की तरह यहां भी खास तौर से तीन प्रॉक्सी पेज दिखे. विपक्ष पर आक्रमण में सबने लगभग एक जैसे दिखते मेमे (जिसे हम अगले सेक्शन में पाएंगे) के साथ खास भूमिका निभाई.
  2. ‘मोदी सैंग नीतीश’ फेसबुक पेज के लिए विज्ञापनदाता ने जो फोन नंबर +916359907104 दिए, वह वही है जो ‘मैं हूं दिल्ली’ पेज पर और दिल्ली चुनाव के समय उभरकर सामने आया करता था.
  3. इसके अलावा लोकसभा चुनाव, दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बने सभी प्रॉक्सी पेज के फोन नंबर एक जैसे थे जो गुजरात से जुड़े थे और हमेशा स्विच ऑफ रहे.
  4. भक बुड़बक (बिहार) : +916359907101
  5. मोदी सैंग नीतीश (बिहार) : +916359907104
  6. आप के पाप (दिल्ली) : +916359907108
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान तीन फेसबुक पेज थे, जो स्वतंत्र होने का दावा करते थे- ‘नेशन विद नमो’, ‘माइ फर्स्ट वोटफॉर मोदी’ और ‘भारत के मन की बात’. ये चुनाव संबंधी विज्ञापनों पर खर्च करने वालों में सबसे अव्वल रहे. इन तीनों सामूहिक रूप से 13,208 विज्ञापनों के लिए 4.5 करोड़ रुपये खर्च किए.

प्रॉक्सी पेजों की त्रि-स्तरीय भूमिकाएं

बिहार चुनावों में संदेश देने के लिए हरेक प्रॉक्सी पेज की खास भूमिका थी. हालांकि इन तीनों ने विपक्षी दलों आरजेडी और कांग्रेस पर हमले किए, लेकिन इनमें से हरेक की भूमिका एक-दूसरे से भिन्न थी.

इन तीन पेजों ने जो पेड कंटेंट प्रकाशित किए, वह इस बात का प्रमाण है कि ये चुनाव अभियान में खास पहलू को लेकर आगे बढ़ रहे थे. इससे तीन स्तरीय रणनीति का पता चलता है.

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मीम्स और चित्रों  के जरिए आरजेडी पर हमला करने के मामले में ‘राष्ट्रीय जंगल दल’ की रणनीति सबसे अधिक आक्रामक थी. ‘भक बुड़बक’ का अभियान वीडियो क्लिप के जरिए था, जिसमें वे आरजेडी नेताओं और तेजस्वी के भाई तेज प्रताप यादव काम जाक उड़ाते थे.

इसी दौरान ‘मोदी सैंग नीतीश’ अन्य दो पेजों से चीजें उधार लेता है. लेकिन अपनी स्थिति कुछ इस तरह रखता है कि वह केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश स्तर पर नीतीश कुमार की उपलब्धियों के साथ-साथ रैलियों के क्लिप भी दिखा रहा हो.

दो प्राथमिक ट्रोल पेज से कुछेक उदाहरण

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राष्ट्रीय जंगल दल

इस पेज की भूमिका बहुत कुछ दिल्ली चुनावों के दौरान ‘आप के पाप’ पेज जैसी नजर आयी जिसमें लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप को भ्रष्ट, नाकाबिल और ‘जंगल राज’ के चेहरे के तौर पर दर्शाते हुए मेमे, ग्राफिक्स और व्यंग्य चित्र थे.

अधिक भुगतान करने वाले कुछेक विज्ञापनों में एक था ‘लालूसुर’ जिसमें लालू को राक्षस के रूप में दर्शाया गया. फेसबुक के अनुसार पेज ने 5 लाख लोगों तक की संभावित पहुंच के लिए करीब 1500 रुपये चुकाए.

एक अन्य विज्ञापन में दावा किया गया कि अगर आरजेडी सत्ता में आती है तो डॉक्टरों का क्लीनिक से अपहरण होगा और उनकी हत्या कर दी जाएगी.

भक बुड़बक

‘राष्ट्रीय जंगल दल’ की तरह ही, मगर मूल रूप से लालू परिवार और उसमें भी खासकर बेटे तेज प्रताप पर केंद्रित ‘भक बुड़बक’ में ज्यादातर छोटे वीडियो क्लिप रहे जो एक-दो मिनट के थे.

एक साक्षात्कार के हिस्से में एक विज्ञापन में दावा किया गया “टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाकर मंदबुद्धि तेजू को बेरोजगार कर दिया गया है.”

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प्रॉक्सी पेजों में पारदर्शिता का अभाव

तीनों पेजों में छानबीन करने पर कामकाज का समान तरह का पैटर्न सामने आता है.

इन तीन पेजों के मूलभूत गुणों से उन लोगों के बारे में बहुत कम सूचनाएं मिलती हैं जो इन्हें चला रहे हैं.

चुनाव विज्ञापनों के बारे में फेसबुक की नीतियों के अनुसार : “जब विज्ञापनदाता अपने विज्ञापनों की श्रेणी सोशल मुद्दे, चुनाव या राजनीति के तौर पर रखते हैं तो उन्हें यह खुलासा करना होता है कि विज्ञापन के लिए रकम किसने दी.”

फेसबुक यह भी स्पष्ट करता है : “अगर विज्ञापन बिना किसी उद्घोषणा के चलता है तो यह क्षेत्र बताएगा, ‘ये विज्ञापन बगैर किसी उद्घोषणा के चल रहा है.’”

ये पेज निम्न तरीकों से खुलासे की जरूरत के बारे बात करते हैं :

1. अपने वेबसाइट को विज्ञापन दाता के तौर पर बताते हुए. आधिकारिक पार्टी पेजों के मुकाबले यह अलग होता है जिनके विज्ञापन खास लोगों के नाम से होते हैं.

2. अपलोड हुए फोन नंबर अक्सर स्विच ऑफ होते हैं. इसके अलावा सभी तीन पेजों के नंबर एक जैसे हैं और वे सभी गुजरात में पंजीकृत हैं.

3. पता अस्पष्ट या अधूरे होते हैं. उदाहरण के लिए : विज्ञापनदाता का पता खोजने पर राष्ट्रीय जंगल दल बताता है ‘न्यू मार्केट एरिया, भोपाल 462003’. इसी तरह पलटू आदमी पार्टी का संपर्क होता है ‘सी ब्लॉक दिलशाद गार्डन, दिल्ली, भारत 110095’.

4. तीनों पेजों में एक-दूसरे के लिए सामग्री भेजी जाती है.

5. तीनों पेज उसी नाम से वेबसाइट होने का दावा करते हैं जिस नाम से पेज होता है. जबकि ‘आपकापाप.कॉम’ मीम्स, इमेज और वीडियो डाउनलोड करने का काम करता है, जिन्हें ह्वाट्सएप पर फॉरवर्ड किया जाता है. ‘मैं हू दिल्ली.कॉम’ आप के खिलाफ 26 आरोपों का संग्रह होता है.

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