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PM मोदी को क्लीन चिट देते वक्त 2 मामलों में एकमत नहीं था EC

कांग्रेस ने चुनाव आयोग में पीएम मोदी के खिलाफ 5 शिकायतें दर्ज कराई थीं 

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चुनाव
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पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस की 5 शिकायतों में से चुनाव आयोग ने 3 का निपटारा कर दिया है. इन तीनों ही मामलों में आयोग ने पीएम मोदी को क्लीन चिट दी है. हालांकि इनमें से दो मामले ऐसे थे, जहां चुनाव आयोग के अंदर फैसले को लेकर राय बंटी हुई थी.

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अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन दोनों मामलों में एक इलेक्शन कमिश्नर की राय चुनाव आयोग के आखिरी फैसले से अलग थी. इन मामलों में फैसला लेने की जिम्मेदारी चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुनील अरोड़ा सहित दो इलेक्शन कमिश्नरों अशोक लवासा और सुशील चंद्र के पास थी.

बता दें कि ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं, जब किसी फैसले को लेकर चुनाव आयोग में बंटी हुई राय देखने को मिली हो. साल 2009 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़े ऐसे ही एक मामले में चुनाव आयोग बंटा दिखा था. उस दौरान आयोग ने इस बात का फैसला करने के लिए अपनी बंटी हुई राय राष्ट्रपति को भेजी थी कि क्या सोनिया गांधी की संसद की सदस्यता इस आधार पर रद्द कर दी जाए कि उन्होंने एक विदेशी अवॉर्ड लिया.

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कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पीएम मोदी के 5 भाषणों की शिकायत की थी. इनमें वर्धा (1 अप्रैल), नांदेड़ (6 अप्रैल), लातूर (9 अप्रैल), पाटन (21 अप्रैल) और बाड़मेर (21 अप्रैल) में दिए गए भाषण शामिल थे. पार्टी का आरोप था कि पीएम मोदी ने इन भाषणों में चुनाव आयोग के निर्देशों और आचार संहिता का उल्लंघन किया था.
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चुनाव आयोग अब तक वर्धा, लातूर और बाड़मेर भाषण मामलों में पीएम मोदी को क्लीन चिट दे चुका है. इनमें से वर्धा और लातूर मामलों पर चुनाव आयोग ने अपने एक कमिश्नर की राय से अलग जाकर फैसला किया है. लातूर वाले भाषण को तो आयोग के लोकल अफसरों ने भी चुनाव आयोग के निर्देशों के खिलाफ माना था.

क्या था वर्धा भाषण का मामला?

महाराष्ट्र के वर्धा में पीएम मोदी ने 1 अप्रैल को कहा था, ''कांग्रेस ने हिंदुओं का अपमान किया और देश के लोगों ने पार्टी को चुनाव में दंडित करने का फैसला किया है. इस पार्टी के नेता अब उन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने से डर रहे हैं, जहां बहुसंख्यक जनसंख्या का प्रभाव है. इसी वजह से वे ऐसे स्थानों पर शरण लेने के लिए बाध्य हैं, जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हैं.''

इस भाषण को लेकर कांग्रेस की शिकायत पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग ने पाया कि यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन नहीं करता है.

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क्या था लातूर भाषण का मामला?

9 अप्रैल को महाराष्ट्र के लातूर में अपनी रैली के दौरान पीएम मोदी ने कहा था, ‘’मैं जरा कहना चाहता हूं, मेरे फर्स्ट टाइम वोटरों को. क्या आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है? मैं मेरे फर्स्ट टाइम वोटर से कहना चाहता हूं कि पुलवामा में जो वीर शहीद हुए हैं, उन वीर शहीदों के नाम आपका वोट समर्पित हो सकता है क्या?’’

कांग्रेस ने 12 अप्रैल को पीएम मोदी के इस भाषण की शिकायत चुनाव आयोग से की थी. पार्टी ने आरोप लगाया था कि पीएम का यह भाषण चुनाव आयोग के निर्देशों का साफ उल्लंघन है. दरअसल चुनाव आयोग ने निर्देश दिए थे कि राजनीतिक दल सैन्य बलों का इस्तेमाल अपने चुनावी फायदे के लिए ना करें.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और उस्मानाबाद जिला निर्वाचन अधिकारी का मानना था कि पीएम मोदी का भाषण चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन नहीं करता है.

हालांकि चुनाव आयोग ने अपने फैसले में इन दोनों की राय को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पीएम मोदी ने बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए अपने या अपनी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगे.

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ये भी देखें- चुनाव ट्रैकर 10: मसूद अजहर पर एक्शन से बीजेपी को कितना फायदा?

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