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तेज बहादुर के पास था 90 साल का वक्त, EC ने फिर भी रद्द किया पर्चा!

चुनाव आयोग ने तेज बहादुर को प्रमाण पत्र दाखिल करने के लिए दिया था 90 साल बाद का वक्त!

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वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने जा रहे बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर का नामांकन महज एक गलती की वजह से रद्द हो गया. लेकिन चूक तो तेज बहादुर को नोटिस जारी करने वाले चुनाव आयोग से भी हुई है. एक ऐसी चूक जिसकी वजह से उसे शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है.

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चुनाव आयोग से कहां हुई चूक?

वाराणसी लोकसभा संसदीय क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर ने मंगलवार को तेज बहादुर की ओर से दाखिल दो नामांकन पत्रों में विसंगतियों का जिक्र करते हुए उन्हें नोटिस भेजा. इस नोटिस में रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा, “संवीक्षा के दौरान ये तथ्य प्रकाश में आया है कि आपने अपने पहले नामांकन पत्र में- क्या अभ्यर्थी भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन पद धारण करने के दौरान भ्रष्टाचार के कारण पदच्युत किया गया है? हां/नहीं...अगर, हां ऐसी पदच्युत की तारीख के अपने विवरण में आपने हां, 19 अप्रैल 2017 लिखा है. आपने अपने दूसरे नामांकन के साथ शपथ पत्र देते हुए बताया कि गलती से पहले नामांकन में आपने नहीं की जगह हां लिख दिया है.”

इस शपथ पत्र में तेज बहादुर ने बताया कि अभ्यर्थी को 19 अप्रैल 2017 को बर्खास्त तो किया गया लेकिन भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा पदधारण के दौरान भ्रष्टाचार के कारण पदच्युत नहीं किया गया.

इसके बाद रिटर्निंस ऑफिसर ने तेज बहादुर से उन्हें बर्खास्त किए जाने से संबंधित चुनाव आयोग से जारी प्रमाण पत्र पेश करने को कहा. लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर के नोटिस में बड़ी चूक हो गई.

नोटिस में कहा गया है...आपको इस नोटिस के माध्यम से सूचित करते हुए निर्देशित किया जाता है कि आप दिनांक 01-05-2109 को प्रातः 11 बजे तक उक्त प्रमाण पत्र पेश करें, ताकि आपके नाम निर्देशन पत्र के संबंध में विधिवत निर्णय लिया जा सके.

नोटिस में रिटर्निंग ऑफिसर ने जो तारीख दी है वो 90 साल बाद की है.

तेज बहादुर से नामांकन दाखिल करने में क्या गलती हुई थी?

तेज बहादुर यादव ने अलग-अलग दो बार नामांकन पत्र दाखिल किया था. पहले उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया और बाद में उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया. दोनों पर्चों में उन्होंने भूलवश बीएसएफ से बर्खास्तगी के संबंध में अलग-अगल जानकारी दी.

बाद में तेज बहादुर को इसी भूल की कीमत चुकानी पड़ी और उनका नामांकन रद्द हो गया.

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