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Gujarat Chunav 2022: गुजरात के अमेरिकन सपने के पीछे का स्याह सच-ग्राउंड रिपोर्ट

विकास के गुजरात मॉडल की बड़ी चर्चा होती है लेकिन गुजरात का एक गांव रोजगार की तलाश में वीरान हो रहा है

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12 साल के सुजल गोस्वामी से मिलिए. अमेरिका जाना इसका ख्वाब है. अहमदाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर एक साधारण सा गांव-हम डिंगूचा में हैं. इस गांव की एक खास बात ये है कि सुजल की तरह यहां हर शख्स अमेरिका जाना चाहता है. गुजरात के इस गांव की ये कहानी है पैसा, रोजगार, जाति, वर्ग और कनाडा में एक भारतीय परिवार की मौत की, जिसने इन मुद्दों को सतह पर ला दिया है.

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अमेरिकी बॉर्डर पर गुजराती परिवार की मौत

कुछ महीनों पहले जगदीश पटेल, उनकी पत्नी और दो बच्चों की कनाडा की सीमा पर बर्फ में जमकर मौत हो गई. ये लोग अवैध तरीके से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. डिंगूचा में अब उनके माता-पिता रहते हैं. इन्होंने हमसे कैमरे पर तो बात नहीं कि लेकिन इतना जरूर बताया कि बच्चों की मौत के बाद उनकी जिंदगी तबाह हो गई है.

डिंगूचा की आबादी 3600 है, लेकिन यहां कम ही लोग रहते हैं. गांव में ढेर सारे घर वीरान पड़े हैं. क्योंकि उनके वाशिंदे विदेश चले गए हैं. सरपंच माथुरजी ठाकोर बताते हैं.

लोग दसवीं के बाद पढ़ना नहीं चाहते, खेती नहीं करना चाहते, न बिजनेस करना चाहते हैं सिर्फ अमेरिका जाना चाहते हैं. लोगों ने यहां अपनी जिंदगा बिता दी लेकिन अपना घर नहीं बना पाए, न कोई छोटा मोटा दान दे पाए. मतलब कोई तरक्की नहीं कर पाए लेकिन एक बार अमेरिका चले गए और पांच साल भी रह लिया तो वहां से आने के बाद 5 लाख रुपये का दान भी दे देते हैं.

भूमिहीन हिरल ठाकोर कहती हैं कि गांव में रोजगार नहीं मिलता, लिहाजा लोग अमेरिका जाना चाहते हैं. हालांकि ये ख्वाब उनके लिए नहीं है. क्योंकि न अमेरिका जाने के लिए पैसा चाहिए जो उनके पास है नहीं. जमीन भी नहीं बेच सकतीं, क्योंकि वो भी उनके पास नहीं है.

गांव में एजेंटों का जाल

गांव में जिधर नजर जाती है दीवारों पर ट्रेवल एजेंटों की इश्तिहार लगे हैं, जो दावा करते हैं वो लोगों को अमेरिका भेज सकते हैं, चाहे लोग IELTS की परीक्षा दें या नहीं

IELTS यानी इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम यानी अंग्रेजी भाषा की परीक्षा जो किसी को अंग्रेजी भाषी देशों में पढ़ाई, काम या रहने के लिए देनी होती है.

डिंगूचा त्रासदी के बाद मेहसाणा पुलिस ने 45 ऐसे एजेंटों को गिरफ्तार किया है जिनकी भूमिका IELTS स्कैम में थी. इस स्कैम में अमेरिका जाने का ख्वाब देख रहे लोगों को गलत तरीके ज्यादा नंबर दिए जा रहे थे.
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क्राइम रिपोर्टर दीर्घायु व्यास बताते हैं कि एजेंट यहां से अमेरिका तक जाल बिछाए हुए हैं. कनाडा से अमेरिका भेजने के लिए एजेंट आदमी सेट करते हैं जो सिर्फ बॉर्डर पार कराने के लिए दस हजार डॉलर लेते हैं. पटेल परिवार भी ऐसे ही एक कोशिश में यूएस बॉर्डर पर बर्फ में जमकर मर गया.

वीरान होता डिंगूचा गांव विकास के गुजरात मॉडल को मुंह चिढ़ा रहा है. जो लोग गांव छोड़कर जा चुके हैं उनके घर खाली पड़े हैं और जो पीछे छूट गए हैं वो पूछते हैं सब चले जाएंगे तो डिंगूचा का क्या होगा?

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