ADVERTISEMENTREMOVE AD

Himachal Pradesh: 25% SC-लेकिन हर दूसरा विधायक राजपूत, जानें कैसे कायम है 'राज'?

Himachal Pradesh Rajput Brahmin: कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही राजपूत उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा टिकट दिया है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस ने 9 बार और बीजेपी ने 4 बार शासन किया. राज्य में दो बार राष्ट्रपति शासन भी रहा है. क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश चुनाव में इस बार मुख्यमंत्री कौन होगा? अरे ये कैसा सवाल है! चुनाव से पहले कैसे बता दें कि मुख्यमंत्री कौन होगा.

बात तो ठीक है चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कौन होगा इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल है, लेकिन किस जाति का होगा इसका अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है. दरअसल हिमाचल प्रदेश की राजनीति में राजपूतों का दबदबा है लेकिन क्यों और कैसे, वो हम बताते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा

हिमाचल प्रदेश में अब तक छह मुख्यमंत्री हुए, लेकिन पांच बार राजपूत मुख्यमंत्री ही गद्दी पर बैठा. गैर-राजपूत मुख्यमंत्री की बात करें तो शांता कुमार ब्राह्मण समुदाय से सीएम बने लेकिन वे भी दोनों बार अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार 1952 से लेकर 1977 तक लगातार चार कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे. उनके अलावा रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सभी राजपूत हैं.

क्यों हर बार राजपूत ही CM बनता है?

हिमाचल की राजनीति में राजपूत दबदबे के कारणों की तलाश करेंगे तो सबसे पहला कारण जो सामने आता है वो जातीय समीकरण है.

2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की आबादी में 51 प्रतिशत हिस्सा सवर्णों का है. इनमें से 33 फीसदी राजपूत और 19 फीसदी ब्राह्मण हैं. 25 फीसदी अनुसूचित जाति, 5 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 14 फीसदी OBC और 5 प्रतिशत अन्य समुदाय से हैं. साफ है कि आबादी के लिहाज से राजपूत समुदाय का दबदबा है. इसीलिए जिसके पक्ष में राजपूत वोट गए उसका मुख्यमंत्री बनना तय ही समझा जाता है.

राज्य में ज्यादातर राजपूत विधायक

हिमाचल में कुल 68 विधानसभा सीटों में से 20 सीटें आरक्षित हैं. इसमें 17 पर अनुसूचित जाति और 3 पर अनुसूचित जानजाति के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन बाकी की 48 सीटों पर ब्राह्मण और राजपूत मुख्य भूमिका में हैं. हर विधानसभा में लगभग 40 फीसदी विधायक राजपूत ही होते हैं.

मौजूदा विधानसभा की बात करें तो 2017 में इन 48 गैर आरक्षित सीटों में से 37 पर अकेले राजपूत विधायक जीतकर आए. एससी-16, ब्राह्मण-5, ओबीसी-3, एसटी-3 और अन्य की 4 सीटें आई. मतलब कि हिमाचल का हर दूसरा विधायक इस समय राजपूत है. स्वाभाविक है कि जब इतने विधायक राजपूत होंगे तो सीएम भी उसी समुदाय का होगा.

जातियों के बीच खींचतान नहीं

हिमाचल में राजपूत सीएम बनने का एक और बड़ा कारण ये है कि यहां का जातीय समीकरण यूपी-बिहार की तरह जटिल नहीं है. हिमाचल में सवर्ण 51 फीसदी हैं लेकिन इसमें भूमिहार, यादव, कुर्मी जैसी जातियां कम हैं. ब्राहम्ण और राजपूत वर्चस्व को चुनौती नहीं मिलती. दलित जरूर 25 फीसदी हैं लेकिन ये कभी चुनौती देने की हालात में नहीं दिखे. ये 56 उप-जातियों में बंटे हैं. पांच प्रतिशत यहां अनुसूचित जनजातियां भी हैं. जबकि सवर्णों में केवल ब्राह्मण और राजपूत हैं. हिमाचल प्रदेश में मुसलमानों की आबादी न के बराबर है, इसलिए यहां हिन्दुत्व का भी जोर नहीं चलता.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ब्राह्मण और राजपूत में कौन भारी?

प्रदेश में मंत्रियों की लिस्ट देखें तो यहीं पता चलता है कि राजपूत हावी है. राजपूतों की आबादी ब्राह्मणों से लगभग दोगुनी है. नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर सोशल साइंसेज एंड ह्यूमनिटीज के सीनियर फेलो सुरिंदर एस जोधका ने हिमाचल में जाति व्यवस्था पर अपने रिसर्च पेपर में लिखा कि

"हिमाचल में राजपूतों की तुलना में ब्राह्मणों की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक हैसियत कम है. इसका असर स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर की राजनीति में भी दिखता है. कुछ इलाकों में तो ब्राह्मण बिल्कुल नहीं हैं. जैसे किन्नौर जिला. राजपूत प्रदेश के लगभग सभी इलाकों में हैं."

2017 विधानसभा में क्या था?

2017 के विधानसभा चुनावों में राजपूतों की पसंदीदा पार्टी बीजेपी रही थी. बीजेपी को राजपूतों का 49% वोट मिला था, कांग्रेस के खाते में 36% वोट गया था. आरक्षित सीटों की बात करें तो साल 2017 में कुल 17 आरक्षित सीटों में से 13 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

राजपूत और ब्राह्मण की संख्या से उनकी वोटिंग की ताकत को देखते हुए इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही 28-28 राजपूत उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी की तुलना में ज्यादा ब्राह्मणों को टिकट दिया है. बीजेपी ने 9 तो कांग्रेस ने 12 ब्राह्मण उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×