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Lok Sabha Election: छिटपुट हिंसा और फायरिंग के बीच पहले चरण का मतदान पूरा, पश्चिम बंगाल में पड़े सबसे ज्यादा वोट

पहले चरण के मतदान में ईवीएम ने किया निराश, असम समेत अरुणाचल, अंडमान और तमिलनाडु में कई बूथों पर मशीनें बदली गईं.

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चुनाव
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लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के तहत शुक्रवार को देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में मतदान पूरा हुआ. इसमें तमिलनाडु की सभी 39 सीटों, राजस्थान की 25 में से 12 सीटों पर, यूपी की 80 में से 8 सीटों पर, मध्य प्रदेश की 6 सीटों के अलावा महाराष्ट्र की 5, असम की 5, उत्तराखंड की 5, बिहार की 4, पश्चिम बंगाल की 3, मेघालय की 2, अरुणाचल प्रदेश की 2 और मणिपुर की 2 सीटों पर वोट डाले गए.

वहीं पुडुचेरी, मिजोरम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, सिक्किम, त्रिपुरा, नागालैंड और अंडमान-निकोबार की 1-1 सीट पर मतदान हुआ. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की 92 विधानसभा सीटों पर भी वोटिंग हुई. वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हुई थी जो कि शाम 6 बजे तक जारी रही.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा मतदान पश्चिम बंगाल का 77.57 % रहा जबकि सबसे कम वोट बिहार में 47.74 % पड़े. इस दौरान पश्चिम बंगाल में छिटपुट हिंसा, मणिपुर में फायरिंग और अन्य राज्यों में ईवीएम में खराबी की घटनाएं सामने आईं. साथ ही कुछ जगह मतदाताओं को धमकाने की शिकायतें भी दर्ज की गईं.

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पहले चरण के मतदान में ईवीएम ने किया निराश, असम समेत अरुणाचल, अंडमान और तमिलनाडु में कई बूथों पर मशीनें बदली गईं.

1625 उम्मीदवार, 16.63 करोड़ मतदाता

चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले चरण में 1625 उम्मीदवार और 16.63 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं. प्रत्याशियों में 1491 पुरुष और 134 महिलाएं तो मतदाताओं में 8.4 करोड़ पुरुष और 8.23 करोड़ महिलाएं हैं. पहली बार वोट डालने वाले वोटर्स की संख्या 35.67 है जबकि 20 से 29 साल की उम्र के मतदाताओं की संख्या 3.51 करोड़ है. इनके लिए 1.87 लाख पोलिंग बूथ बनाए गए.

पहले फेज के प्रमुख उम्मीदवारों में 8 केंद्रीय मंत्री, 2 पूर्व सीएम और एक पूर्व राज्यपाल रहे जिनमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सर्बानंद सोनोवाल, भूपेन्द्र यादव, कांग्रेस के गौरव गोगोई और द्रमुक की कनिमोई का नाम प्रमुख है.

पहले चरण के मतदान में ईवीएम ने किया निराश, असम समेत अरुणाचल, अंडमान और तमिलनाडु में कई बूथों पर मशीनें बदली गईं.
पहले चरण के मतदान में ईवीएम ने किया निराश, असम समेत अरुणाचल, अंडमान और तमिलनाडु में कई बूथों पर मशीनें बदली गईं.
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हिंसा और पथराव के बीच डटे रहे वोटर्स

पश्चिम बंगाल में पथराव, छत्तीसगढ़ में IED ब्लास्ट

प. बंगाल के कूचबिहार में वोटिंग के दौरान पथराव हुआ, जिसमें एक BJP कार्यकर्ता के घायल होने की बात सामने आई. इस संवेदनशील इलाके के अलग-अलग हिस्सों में टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की अलग-अलग घटनाएं सामने आईं. वहीं सिलीगुड़ी के पास जलपाईगुड़ी लोकसभा में डाबग्राम-फुलबारी विधानसभा क्षेत्र के वलहवासा चौराहे पर भाजपा बूथ कार्यालय संख्या 86 को कथित तौर पर जलाने का आरोप लगा.

इसके अलावा छत्तीसगढ़ बीजापुर में भैरमगढ़ के चिहका गांव के पास चुनाव ड्यूटी के दौरान आईईडी विस्फोट हुआ.इस दौरान सीआरपीएफ का एक सहायक कमांडेंट घायल भी हो गया. बता दें, जहां कूचबिहार और अलीपुरद्वार निर्वाचन क्षेत्र से मतदाताओं को धमकाने की करीब 80 शिकायतें दर्ज की गईं. वहीं छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की तैनाती के बीच मतदान करवाया गया.

मणिपुरः कहीं वोटिंग रोकी गई, कहीं EVM तोड़ी गई

इंफाल में महिलाओं द्वारा वोटिंग प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाने के बाद 5 बूथों पर मतदान रोक दिया गया. इनमें पूर्वी इंफाल के दो और पश्चिम के तीन बूथ शामिल थे. शिकायत पर कलेक्टर मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को शांत करवाने के बाद दोबारा वोटिंग शुरू करवाई गई.

इसके अलावा राज्य के बिष्णुपुर निर्वाचन क्षेत्र में पोलिंग बूथ पर फायरिंग की गई जिसके बाद भीड़ ने ईवीएम तोड़ दी. इस घटना में करीब एक घंटे तक मतदान प्रक्रिया बाधित रही. इसके अलावा मोइरांग विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र के पास भी तोड़फोड़ से लोगों में अफरा-तफरी मच गई और कई लोग घायल हो गए.

उत्तर प्रदेशः मुजफ्फरनगर में बूथ कैप्चरिंग का आरोप

पहले चरण में यूपी की आठ सीटों में हॉट सीट पर भी बवाल होने की खबर सामने आई. बता दें, यहां पर समाजवादी पार्टी ने बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाया. सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक ने ईसी में शिकायत दर्ज कराई.

इसके अलावा एसपी ने सोशल मीडिया पर पल-पल अपडेट्स के जरिए चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए. कहीं ईवीएम में गड़बड़ी की घटनाएं साझा कीं तो कहीं वोटर्स के साथ अभद्रता के आरोप लगाए. इस दौरान पार्टी ने रामपुर और कैराना के बूथों में मतदाता सूची में कई मुस्लिम मतदाताओं ने नाम न होने का आरोप भी लगाया.

मध्य प्रदेश और बिहार में कई जगह चुनाव बहिष्कार

मध्य प्रदेश शहडोल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले असोड़, बमेरा, कसेरू, कुठूलिया और अमिलिहा गांव के मतदाताओं ने अपनी समस्याएं न सुलझाने का गुस्सा मत न देकर चुकाया. कुछ जगह वोट पड़े लेकिन वो भी गिनती के. इसके अलावा सीधी लोकसभा क्षेत्र के भी कुछ गांवों में सरपंज के साथ सभी मतदाताओं ने मतदान नहीं किया.

वहीं, बिहार के नवादा सांसदीय क्षेत्र के गोविंदपुर विधानसभा में भी मतदाताओं ने वोट का बहिष्कार किया है. दनिया गांव के ग्रामीणों के अनुसार, दानिया बूथ को स्थानातंरण करने की वजह से लोगों ने मतदान नहीं करने का फैसला किया है. वहीं कुछ जगह बिजली, पानी जैसी बुनियादी समस्याओं को लेकर लोगों में आक्रोश दिखा.

राजस्थानः फर्जी मतदान को लेकर हॉट सीटों में चले लात घूसे

सूबे की सबसे हॉट मानी जाने वालीं दो सीटों चूरू और नागौर जिले में हिंसात्मक घटनाएं हुईं. चूरू विधानसभा के गांव रामपुरा रेणु में फर्जी मतदान को लेकर 2 पक्षों में लात-घूसे चले. इस दौरान एक बूथ एजेंट घायल हुआ, उसके सिर में चोट आई. सुरक्षा बल सूचना के बाद मौके पर पहुंचे और हालत शांतिपूर्ण होने के बाद दोबारा मतदान हुआ.

मारपीट की दूसरी बड़ी घटना राजस्थान की हॉट सीट में शुमार नागौर लोकसभा क्षेत्र में हुई. नागौर के कुचेरा इलाके में यह घटना हुई. खबर है कि वहां आरएलपी कार्यकर्ताओं और बीजेपी के समर्थकों के बीच झड़प हो गई. इस झड़प में कुचेरा नगरपालिका अध्यक्ष तेजपाल मिर्धा के सिर पर चोट लगी. बता दें, मिर्धा को हाल ही में कांग्रेस से निष्कासित किया गया था.

कई राज्यों में बदली गईं EVM, 40 वीवीपैट बदले गए

असम की 5 लोकसभा सीटों पर करीब 150 ईवीएम में खराबी की खबर सामने आने के बाद उन्हें बदला गया. इसके अलावा करीब 40 वीवीपैट भी दूसरे लाए गए. बता दें, ईवीएम को लेकर कई राज्यों में घटनाएं हुईं. तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार और असम के कुछ बूथों में ईवीएम में तकनीकी खराबी की घटनाएं सामने आईं.

वहीं हरिद्वार लोकसभा सीट पर एक बुजुर्ग द्वारा ईवीएम तोड़ने की घटना सामने आई. यह घटना हरिद्वार के ज्वालापुर इंटर कॉलेज में मतदान केंद्र के बूथ नंबर 126 में हुई और शख्स का नाम रणधीर (70) था. व्यक्ति ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग कर रहा था. उसमें इसमें धांधली का भी आरोप लगाया.

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झड़प के बावूजद बंगाल में बंपर वोटिंग

पश्चिम बंगाल की तीन लोकसभा सीटों अलीपुरद्वार, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी में पहले चरण में बंपर वोटिंग हुई. इसमें भी जलपाईगुड़ी में 80 फीसदी वोट पड़े. ग्राफ देखा जाए तो दोपहर एक बजे तक जहां देश के अन्य राज्यों में मतदान का प्रतिशत 35 फीसदी था, वहीं पश्चिम बंगाल में 41 डिग्री तापमान में भी मतदान का प्रतिशत का आंकड़ा 50 फीसदी पार कर गया था.

यहां शाम तीन बजे मतदान का प्रतिशत 66.34 फीसदी रहा जो केवल त्रिपुरा से कम था. इसके बाद शाम पांच बजे तक पश्चिम बंगाल में 77.57 फीसदी मतदान हुआ जो देश में सर्वाधिक रहा. बता दें, औसतन पश्चिम बंगाल में मतदान का प्रतिशत ज्यादा होना और चुनाव के दौरान हिंसा होना सामान्य बात है लेकिन इस चुनाव में भी मतदान का ग्राफ अलग कहानी कह रहा है.

अगर पिछले चुनावों की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक मतदान 81.7 फीसदी हुआ था. उसके बाद असम में 81.6 फीसदी रहा और आंध्र प्रदेश में 80.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. पिछले छह लोकसभा चुनावों में बंगाल में मतदान का प्रदर्शन अधिक ही रहा है. 1998 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 79.2 प्रतिशत वोट पड़े थे.

बिहार में पिछली बार से कम पड़े वोट

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान बिहार के वोटरों के बीच वोटिंग को लेकर उत्साह में कमी देखने को मिली. शुक्रवार को बिहार के गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई लोकसभा सीट पर चुनाव कराए गए और इन चारों लोकसभा सीटों पर ओवरऑल मतदान महज 48.23 प्रतिशत ही रहा.

बिहार निर्वाचन आयोग के अनुसार, सुबह से ही जनता का जो रुख था वो कायम रहा. सीटवार बात करें तो औरंगाबाद में 50 प्रतिशत, गया में 52 प्रतिशत, नवादा में 41.50 प्रतिशत और जमुई में 50 प्रतिशत ही वोटिंग हुई. प्रशासन के मुताबिक यह मतदान प्रतिशत पिछली बार से भी 5 प्रतिशत कम रहा.

2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें, तो इन चार लोकसभा क्षेत्र में 53.47 फीसदी मतदान हुआ था जिसमें औरंगाबाद में 53.63, गया में 56.16, नवादा में 49.33 और जमुई में 55.21 प्रतिशत मतदान हुआ था. हालांकि इस बार बूथों से कई जगह मतदाताओं के गर्मी के चलते बेहोश होने की खबरें भी सामने आईं.

ज्यादा वोटिंग के क्या मायने?

वैसे तो ज्यादा वोटिंग सत्ता पक्ष के खिलाफ माना जाता है लेकिन पिछले दो चुनावों पर यह लागू नहीं होता. पिछले दो लोकसभा चुनावों की बात करें तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ा लेकिन सरकार नहीं बदली. 2014 के 66.4 फीसदी के मुकाबले 2019 में 67.3 फीसदी वोट पड़े थे. इसके बावजूद केंद्र में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी.

हालांकि, इससे पहले हालात इतर थे और वोटिंग प्रतिशत से मतदाताओं के रुख का आंकलन किया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. यदि 2009 के वोटिंग प्रतिशत से तुलना करें तो 2014 में अधिक वोटिंग से सत्ता में बदलाव हुआ. 2014 में 2009 के 58.2 फीसदी के मुकाबले 66.4% वोट पड़े थे और कांग्रेस बेदखल हो गई थी.

इसके अलावा सबसे ज्यादा मतदान जहां हुआ है वो हैं उत्तर बंगाल की तीन सीटें. बता दें, उत्तर बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था. हालांकि पंचायत चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन खास नहीं था लेकिन विधासनभा चुनाव में अलीपुरद्वार की सात विधानसभा सीटों में से छह पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

कुल मिलाकर पहले चरण के मतदान प्रतिशत से यह बात तो साफ है कि जनता लोकतंत्र के पर्व में खुलकर हिस्सा ले रही है. कई जगह चुनौतियां हैं लेकिन वो अपना पक्ष रखने में पीछे नहीं हट रही है. वहीं ईवीएम में गड़बड़ी और बूथ पर हिंसा की घटनाओं के बावजूद प.बंगाल में मतदान प्रतिशत बहुत कुछ कह रहा है.

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