यूपी के कुशीनगर में 12 मई की रैली में पीएम नरेंद्र मोदी पूरी तरह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते दिखे. उन्होंने रैली में लोगों से पूछा कि क्या घर में घुस कर मारने की यह रीति-नीति आपको पसंद है. इस रीति- नीति के लिए देश कमल खिला रहा है. इलेक्शन कैंपेन में सेना का नाम लेकर पीएम ने साफ तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया.
बालाकोट स्ट्राइक के नाम पर वोट मांगना पीएम की गलती
चुनाव आयोग ने 19 मार्च को जारी अपने निर्देश में साफ कहा है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार अपनी चुनाव कैंपेनिंग के दौरान अपने राजनीतिक प्रोपगंडा में सेना की गतिविधियों को शामिल नहीं करेगा. लेकिन पीएम ने जिस तरह से लोगों के सामने बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र किया वह साफ तौर पर आचारसंहिता का उल्लंघन नजर आता है.
9 अप्रैल को महाराष्ट्र के लातूर जिले में मोदी ने पहली बार वोट डालने वाले वोटरों से अपील की थी कि वह अपना पहला वोट बालाकोट स्ट्राइक करने वाले वाले सैनिकों को समर्पित करें. उन्होंने वोटरों से अपील की थी क्या वे अपना पहला वोट पुलवामा अटैक के शहीदों को समर्पित कर सकते हैं.
क्या पीएम ने बीजेपी के लिए वोट नहीं मांगा ?
लेकिन 1 मई को चुनाव आयोग ने उन्हें इस पर क्लीन चिट दे दी. चुनाव आयोग ने कहा कि पीएम ने सीधे अपनी पार्टी के लिए वोट नहीं माना. तीन चुनाव आयुक्तों में से एक अशोक लवासा ने इस पर एतराज जताया था लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा समेत दो आयुक्त लवासा से सहमत नहीं थे. मोदी को क्लीन चिट मिल गई.
मोदी को क्लीन चिट क्यों गलत ?
मोदी को चुनाव आयोग का क्लीन चिट क्यों गलत था. आयोग कहना था कि पीएम मोदी ने बीजेपी के लिए वोट नहीं मांगा. उन्होंने फर्स्ट टाइम वोटरों से अपना वोट एयर स्ट्राइक करने वाले जवानों को समर्पित करने को कहा. लेकिन यह दलील दो वजहों से गलत है.
- पीएम की रैली बीजेपी की थी. वहां बीजेपी के लिए भाषण दिया जा रहा था. वहां बीजेपी के स्टार कैंपेनर यानी पीएम खुद वोटरों से सेना की गतिविधि के लिए पार्टी के वोट मांग रहे थे. सेना को यह काम सरकार ने सौंपा था. बीजेपी ने नहीं. यहां तक कि पांचवीं का बच्चा भी आसानी से यह समझ सकता था कि सेना के काम का हवाला देकर पार्टी के लिए वोट मांगा जा रहा है.
- बेहद कमजोर दलीलों के आधार पर मोदी को चुनाव आयोग का मिला क्लीन चिट कहीं से भी सही नहीं है. पीएम को सिर्फ इसलिए क्लीन चिट मिल गया कि उन्होंने बीजेपी का नाम नहीं लिया था. चुनाव आयोग ऐसा करके वैसे राजनीतिक नेताओं को बढ़ावा दे रहा है, जो अपने मकसद के लिए कोडेड लैंग्वेज में भाषण देते हैं.
कुशीनगर में पीएम ने लोगों से साफ कहा - आपको घर में घुस कर मारने वाली यह रीति-नीति पसंद है या नहीं.. इस रीति-नीति के लिए देश कमल खिला रहा है. आखिर लोग किसके लिए कमल खिलाएंगे. इस भाषण के बारे में चुनाव आयोग कहीं से भी नहीं कह सकता कि पीएम ने सीधे बीजेपी के लिए वोट नहीं मांगे थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)