भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मुरली मनोहर जोशी से कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव ना लड़ें. यह मामला बीजेपी के उस फैसले की कड़ी है, जिसके तहत उसने उम्रदराज नेताओं को चुनावी मैदान में ना उतारने का फैसला किया है. बीजेपी ने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भी इस बार लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया है.
जोशी ने जारी किया यह बयान
85 वर्षीय मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के मतदाताओं के लिए एक संक्षिप्त बयान जारी किया है. इस बयान में कहा गया है कि बीजेपी महासचिव (संगठन) राम लाल ने जोशी को पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के बारे में बताया कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.
मुरली मनोहर जोशी ने 2014 में कानपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. इससे पहले उन्होंने 2009 में वाराणसी लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी. पहली बार 1977 में सांसद चुने गए जोशी अब तक छह बार लोकसभा सांसद बने हैं. साल 1996 में जब एनडीए की 13 दिन की सरकार बनी थी, तब जोशी गृहमंत्री रहे थे. इसके बाद वह 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे थे.
2014 में जोशी ने इसलिए छोड़ी थी वाराणसी की सीट
2014 में मुरली मनोहर जोशी ने वाराणसी की सीट नरेंद्र मोदी के लिए खाली कर दी थी. केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद जोशी को बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी (91 वर्ष) के साथ जोशी दो दशक से ज्यादा समय तक बीजेपी के मुख्य चेहरों में से एक रहे थे. कई वरिष्ठ नेताओं के टिकट कटने पर बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी ने यह 'सैद्धांतिक फैसला'' किया है कि बुजुर्ग नेताओं को युवा नेताओं के लिए रास्ता बनाना चाहिए.
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