सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐलान किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो देश के पांच करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये दिए जाएंगे. इस बयान के बाद बीजेपी की ओर से सवाल उठाए जाने लगे कि आखिर कांग्रेस इस रकम का इंतजाम कैसे करेगी. बुधवार को सीनियर कांग्रेस लीडर पी चिदंबरम ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि NYAY यानी न्यूनतम आय योजना के तहत गरीब परिवारों को जो रकम दी जाएगी वो कहां से आएगी.
ऐसे जुटाएंगे रकम
चिदंबरम ने कहा कि आज देश की इकनॉमी 200 लाख करोड़ रुपये की है. हर साल नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ (महंगाई से एडजस्टमेंट के बगैर हासिल ग्रोथ रेट) 12 फीसदी की दर से बढ़ रही है. इस हिसाब से 2019-24 के दौरान देश की इकनॉमी 400 लाख करोड़ की हो जाएगी. और इससे पांच लाख गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देना मुश्किल नहीं होगा.
रेवेन्यू 18 फीसदी की दर से बढ़ रहा है रकम का इंतजाम हो जाएगा
चिदंबरम के मुताबिक भारत सरकार और राज्यों का पूरा खर्चा 60 लाख करोड़ रुपये का है. सरकार का रेवेन्यू 18 फीसदी की दर से ही बढ़ रहा है. इसलिए सरकार के पास पांच साल के भीतर दोगुनी आय होगी. इसलिए देश के पास न्यूनतम आय स्कीम को लागू करने का पर्याप्त फंड होगा.
स्कीम पहले फील्ड में टेस्ट की जाएगी. उसके बाद लागू की जाएगी. एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई जाएगी जो इसे लागू कराएगी. हर स्टेट पर स्कीम डिजाइन की जाएगी. अगले चरण में जाने से पहले हम कमेटी से सलाह-मशविरा करेंगे.
चिदंबरम ने कहा कि पांच करोड़ गरीब परिवारों की पहचान मुश्किल नहीं है. जब 2009 में मनरेगा स्कीम लागू की गई थी तो उस दौरान विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा था कि यह संभव नहीं है. लेकिन हमने इसे कर दिखाया.
मनरेगा को लेकर भी उठे थे सवाल लेकिन सफल रही
चिदंबरम ने कहा कि इस तरह की योजना 30-40 साल पहले लागू नहीं की जा सकती थी. कांग्रेस की सरकार ने 1991 में अर्थव्यवस्था का जो उदारीकरण किया उसकी बदौलत आज वो स्थिति पैदा हुई कि ऐसी स्कीमें लागू की जा सकती है.
इस योजना के तहत पांच करोड़ गरीब परिवारों की महीने की कमाई 12 हजार रुपये की जाएगी. कांग्रेस का कहना है कि 72 हजार रुपये देने से देस के पांच करोड़ परिवारों के लिए 3,60,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. यह इस साल के बजट का 13 फीसदी है. यह जीडीपी के 2 फीसदी के बराबर है.
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