उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Election 2022) में बीजेपी की एक बार फिर सत्ता में वापसी तय हो गई है. बीजेपी को इस चुनाव में 255 मिली हैं. दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी है, जिसे 111 सीटें मिलीं.
उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद कोई सरकार दोबारा चुन कर आई है. लेकिन बीजेपी की राह आसान नहीं थी. उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसे इलाके थे, जो पिछले कुछ वक्त में विवादों, प्रदर्शनों और अन्य वजहों से लगातार चर्चा में रहे थे. इन जगहों पर हुई घटनाओं की वजह से योगी सरकार कई बार बहुत मुश्किलों में फंसती नजर आई और देश भर में उसकी खूब भद्द पिटी. आइये देखते हैं इन सीटों पर बीजेपी ने कैसा प्रदर्शन किया.
लखीमपुर जिले की निघासन सीट- किसान आंदोलन के हॉट स्पॉट पर भी जीती BJP
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. यह घटना निघासन विधानसभा क्षेत्र की ही थी. लेकिन इस विधानसभा में बीजेपी ने बेहद जबरदस्त प्रदर्शन किया है. ऐसा लगता है कि इस मुद्दे से यहां बीजेपी को चुनावी नुकसान नहीं हुआ है.
निघासन सीट से बीजेपी के प्रत्याशी शशांक वर्मा थे, उन्हें 55 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आर के कुशवाहा को उनसे 21 फीसदी कम, मतलब 34 फीसदी वोट ही मिले. यहां शशांक वर्मा ने आर के कुशवाहा को 41,009 वोटों के भारी अंतर से मात दी.
हाथरस- BJP की 80,000 मतों से भारी जीत
14 सितंबर 2020 को हाथरस में 19 साल की एक दलित लड़की का गैंगरेप किया गया था, दस दिन इलाज के बाद लड़की की मौत हो गई थी. लड़की ने ऊंची जाति के चार लड़कों पर आरोप लगाए थे. पीड़िता की मां के मुताबिक पुलिस ने शुरुआती दस दिन तो कोई कार्रवाई ही नहीं की थी. यह मुद्दा पूरे देश में यूपी सरकार की किरकिरी की वजह बना. इतना ही नहीं, फिर उत्तर प्रदेश पुलिस पर आनन-फानन में लड़की का अंतिम संस्कार कराने का भी आरोप लगा.
लेकिन इस सीट पर बीजेपी प्रदेश में सबसे बड़ी जीतों में से एक दर्ज करने में कामयाब रही. यहां से बीजेपी की प्रत्याशी अंजला सिंह माहौर 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीती हैं. यहां दूसरे नंबर पर बीएसपी के प्रत्याशी संजीव कुमार रहे.
उन्नाव- तत्कालीन BJP विधायक सेंगर को जाना पड़ा था जेल
उन्नाव से पिछली पंचवर्षी में बीजेपी से कुलदीप सिंह सेंगर विधायक थे. उनके ऊपर एक महिला के अपहरण, बलात्कार और उसके पिता समेत तीन संबंधियों (दो चाचियों की मौत ट्रक से वाहन टकराने के चलते हुई थी, आरोप लगाया गया कि यह हत्या सेंगर ने करवाई है) की हत्या के आरोप लगे थे. घटना के बाद कुलदीप सेंगर को पोक्सो और अन्य धाराओं के तहत जेल भी भेजा गया.
उन्नाव सीट पर भी बीजेपी प्रत्याशी पंकज कुमार गुप्ता 31000 से ज्यादा वोट मिले और उन्होंने समाजवादी पार्टी के अभिनव कुमार को पीछे कर जीत दर्ज की.. बता दें यहां से कांग्रेस ने उन्नाव रेप पीड़िता की मां को टिकट दिया था.
कासगंज- योगी सरकार पर लगा था सांप्रदायिक हिंसा का धब्बा
बीजेपी सरकार दावा करती रही है कि उनके राज में प्रदेश में कानून-व्यवस्था अच्छी रही है और दंगों के दंश से मुक्ति मिली है. लेकिन कासगंज में 2018 में एबीवीपी द्वारा तिरंगा यात्रा निकालने के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें दो समुदाय एक-दूसरे के सामने आ गए. हिंसा के दौरान चंदन गुप्ता नाम के शख्स की मौत भी हो गई थी. कासगंज को बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे राम नाइक ने यूपी सरकार पर धब्बा बताया था.
लेकिन कासगंज हिंसा का असर बीजेपी के राजनीतिक समीकरण पर दिखाई नहीं दिया. यहां से बीजेपी के देवेंद्र सिंह ने समाजवादी पार्टी के मनपाल सिंह पर 46,265 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की है.*
दादरी- लिंचिंग नहीं बना मुद्दा, बीजेपी की भारी जीत
दादरी क्षेत्र अखलाक की लिंचिंग की वजह से 2015 से देश-विदेश में चर्चा का केंद्र बना था. हालांकि तब बीजेपी की उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं थी, लेकिन केंद्र में बीजेपी सत्ता में आ चुकी थी और दक्षिणपंथी संगठन गोरक्षा का मुद्दा जमकर उठा रहे थे. अखलाक की लिंचिंग के बाद ही देश में गाय के नाम पर कई लिंचिंग का सिलसिला शुरू हुआ था.
बीजेपी ने दादरी विधानसभा में 1,38,218 मतों से बंपर जीत दर्ज की है. यहां से बीजेपी के तेजपाल सिंह नागर चुनाव जीते हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के राजकुमार भाटी दूसरे नंबर पर रहे.
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