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‘नमो टीवी’ में लगा है किसका पैसा, बिना लाइसेंस कैसे चल रहा चैनल?

नमो टीवी विवादों के घेरे में आ गया है 

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लोकसभा चुनाव से पहले नमो टीवी विवादों के घेरे में आ गया है. इस चैनल पर पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण, बीजेपी की योजनाएं और पार्टी से जुड़ा कंटेंट दिखाया जा रहा है. बीजेपी सोशल मीडिया पर आधिकारिक रूप से इसका प्रचार-प्रसार भी कर रही है. ऐसे में विपक्ष इसे आचार संहिता का उल्लंघन बता रहा है. विपक्ष की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस चैनल की जानकारी मांगी है. इस चैनल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब नहीं मिल रहे हैं.

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नमो टीवी किस कानून के तहत चल रहा है? इस चैनल ने प्रसारण के लिए लाइसेंस लिया है क्या? इसमें किसका पैसा लगा है? क्या ये न्यूज चैनल है? जब चुनाव प्रचार को लेकर छोटे-छोटे विज्ञापनों पर भी चुनाव आयोग नजर रखता है तो एक चैनल  पर 24x7 एक पार्टी का प्रचार कैसे हो रहा है? 

नमो टीवी को लेकर अब तक जो पता है

  1. द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, नमो टीवी के पास ना तो ब्रॉडकास्ट लाइसेंस है और ना ही इसके पास अनिवार्य सिक्योरिटी क्लियरेंस है
  2. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि नमो टीवी का प्रसारण सबसे पहले अक्टूबर 2012 में (गुजरात विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले) हुआ था
  3. 2012 में इसे एक होम्योपैथ सुजय मेहता अपनी कंपनी न्यू होप इन्फोटेनमेंट के तहत चला रहे थे
  4. सुजय मेहता ने अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ''हम पहले नमो टीवी के साथ जुड़े थे. अब हम इसे नहीं चला रहे हैं.''
  5. जब मेहता से पूछा गया कि अब ये चैनल कौन चला रहा है तो उन्होंने कहा, ''मैं अब इससे जुड़ा नहीं हूं. मुझे कुछ भी नहीं पता.''
  6. बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी है कि नमो टीवी कौन चला रहा है, लेकिन पार्टी सोशल मीडिया के जरिए लोगों से नमो टीवी देखने की अपील कर रही है
  7. 31 मार्च को बीजेपी ने सोशल मीडिया पर इस चैनल को लेकर लिखा, ''चुनाव के रंगों को समेटो. लोकतंत्र के नृत्य को देखो. नमो टीवी के साथ फिर से नमो कहो.''
  8. ये चैनल टाटा स्काई, एयरटेल, डिश आदि सभी बड़े डीटीएच प्लेटफॉर्म्स पर आ रहा है. टाटा स्काई से जब एक दर्शक ने कहा कि वो इस चैनल को अपने पैक में नहीं रखता चाहता है, लिहाजा इसे हटा दिया जाए तो टाटा स्काई ने ट्वीट कर जवाब दिया- यह चैनल सभी उपभोक्ताओं के पैक में लॉन्च ऑफर के तौर पर जोड़ा गया है और इसे हटाया नहीं जा सकता
  9. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस चैनल को आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस चैनल की विस्तृत जानकारी मांगी है.
  10. AAP ने अपनी शिकायत में चुनाव आयोग से पूछा था, चुनाव आचार संहिता के दौरान किसी राजनीतिक दल को उसका अपना टीवी चैनल शुरू करने की इजाजत देना क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?

क्या नमो टीवी न्यूज चैनल है?

डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर टाटा स्काई ने ट्विटर पर कहा था कि नमो टीवी एक हिंदी न्यूज सर्विस है, जो नेशनल पॉलिटिक्स पर लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज देता है.

हालांकि बाद में टाटा स्काई के सीईओ हरित नागपाल ने एनडीटीवी से कहा कि नमो टीवी न्यूज सर्विस नहीं है. उन्होंने कहा, ''नमो टीवी हिंदी न्यूज सर्विस नहीं है. अगर टाटा स्काई की तरफ से किसी ने ऐसा ट्वीट किया है या ऐसा कहा है तो यह एक गलती है.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''(नमो टीवी की) फीड इंटरनेट के जरिए बीजेपी से आ रही है. स्पेशल सर्विस के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती.''

भारत में क्या हैं टीवी प्रसारण के नियम?

देश में टीवी चैनलों का प्रसारण केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 के तहत होता है. टीवी चैनल शुरू करने के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय को आवेदन करना होता है. मंत्रालय उसे सिक्योरिटी क्लीयरेंस के लिए गृह मंत्रालय को भेजता है. साथ ही फ्रीक्वेंसी आवंटन के लिए संचार मंत्रालय के डब्लूपीसी और एओसीसी विभाग को भेजा जाता है और विदेशी निवेश के लिए डीआईपीपी और वित्त मंत्रालय को भेजा जाता है. इंटरनेट पर प्रसारण के लिए कोई कानून नहीं है. IT रूल्स 2011 के तहत कुछ स्टैंडर्ड जरूर बनाए गए हैं.

न्यूज चैनलों में 49% विदेशी निवेश की इजाजत है जबकि डिजिटल केबल और DTH सेवा में 100% विदेशी पूंजी लगाई जा सकती है. न्यूज चैनलों में 49% विदेशी निवेश के लिए भी सरकार से परमिशन की जरूरत पड़ती है, लेकिन नॉन न्यूज चैनलों में 100 % विदेशी निवेश के लिए भी मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

सबसे बड़ा सवाल

चुनावी मौसम में सबसे बड़ी खबरें होती हैं- नेताओं के बयान, भाषण, वादे, इरादे. नमो टीवी पर दिन-रात यही दिखाया जा रहा है. फिर भी यह न्यूज चैनल नहीं. क्या ऐसा इसलिए है ताकि इसे कानून के दायरे से बाहर रखा जाए और इसका मालिकाना हक किसके पास है, ये भी ना बताना पड़े?

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