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लव इन इमरजेंसी: मधुर भंडारकर की नई फिल्म ‘इंदु सरकार’ 

राजनीति के चलते कई मुद्दों पर बनी फिल्में बैन की गई. इस बार मधुर भंडारकर इमरजेंसी से जुड़ी एक कहानी लेकर आ रहे हैं

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रियल थीम पर फिल्म बनाने के लिए मशहूर मधुर भंडारकर इस बार इमरजेंसी की एक कहानी पर काम कर रहे हैं. 1975 की बैकग्राउंड पर बनी इस फिल्म का नाम 'इंदु सरकार' रखा गया है. बताया जा रहा है कि यह एक लव स्टोरी है. इमरजेंसी जैसे सुलगते मुद्दे के बीच दो प्रेमियों की कहानी होगी, जिसके जरिए इमरजेंसी के दौरान देश के हालात का भी जिक्र होगा. जानकारी के मुताबिक, फिल्म की शूटिंग नवंबर में शुरू होगी.

मोदी सरकार से नजदीकी का फायदा मिलेगा?

डायरेक्टर मधुर भंडारकर को मोदी सरकार का करीबी माना जाता है. ऐसे में उन्हें इसका काफी फायदा मिल सकता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अब से पहले जब भी इमरजेंसी पर फिल्म बनाने की बात हुई तो उसमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा

क्या अब उन फिल्ममेकर्स को फायदा मिलेगा, जो एंटी कांग्रेस या बीजेपी के पसंदीदा मुद्दों पर फिल्म बनाना चाहते हैं?

परेश रावल बनाएंगे मोदी पर फिल्म !

इससे पहले बॉलीवुड एक्टर और अहमदाबाद से बीजेपी के सांसद परेश रावल भी पीएम मोदी की बायोपिक बनाने की बात कह चुके हैं. हालांकि शुरूआत में परेश रावल को फिल्म में मोदी का किरदार निभाने के लिए चुना गया था, लेकिन बाद में उन्होंने फिल्म को प्रोड्यूस करने का फैसला भी किया. जब परेश रावल से फिल्म पर मोदी की इजाजत के बारे में पूछा गया तो परेश ने बताया कि

पीएम को इस बारे में कोई दिक्कत नहीं है, जब मैंने मोदी से इस बारे में बताया तो उनका सबसे पहला रिएक्शन था कि ‘फिल्म बनानी है, तो बना लो’.

हालांकि परेश रावल की इस फिल्म का नाम और फिल्म कब आएगी, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है.

84 के दंगों पर बनी फिल्म हो रही है रिलीज

पहली बार 84 के सिख दंगों की पृष्ठभूमि पर बन रही हिंदी फिल्म ‘31 अक्टूबर 1984’ का ट्रेलर आ गया है. मराठी फिल्म ‘धाग’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले डायरेक्टर शिवाजी पाटिल इस फिल्म के डायरेक्टर हैं. वहीं वीर दास और सोहा अली खान लीड रोल प्ले करेंगे. फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है.

राजनीति के चलते पहले भी रोकी गई हैं फिल्में

किस्सा कुर्सी का

राजनीति के चलते कई मुद्दों पर बनी फिल्में बैन की गई. इस बार मधुर भंडारकर इमरजेंसी से जुड़ी एक कहानी लेकर आ रहे हैं
फोटो: wikipedia

इमरजेंसी की बैकग्राउंड को लेकर बनाई गई इस फिल्म में इंदिरा गांधी और संजय गांधी पर व्यंग्य किया गया था. 1975 में फिल्म को सर्टिफिकेशन के लिए भेजा गया, लेकिन मार्च 1977 के बाद इसे रिलीज किया गया.

आंधी

राजनीति के चलते कई मुद्दों पर बनी फिल्में बैन की गई. इस बार मधुर भंडारकर इमरजेंसी से जुड़ी एक कहानी लेकर आ रहे हैं
फोटो: wikipedia

गुलजार के निर्देशन में बनी इस फिल्म को यह कहकर शुरुआत में बैन कर दिया गया था कि इसमें पीएम इंदिरा गांधी की गलत छवि पेश की गई है. फिल्म बैन करने को लेकर काफी विरोध हुआ, जिसके बाद आंधी को रिलीज करने का फैसला किया गया.

फाइनल सॉल्यूशन

2002 के गुजरात दंगों की बैकग्राउंड पर 2004 में यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनी थी. 'फाइनल सॉल्यूशन' को सरकार की तरफ से अभी तक हरी झंडी नहीं मिली है. बताया जाता है कि इस फिल्म में गोधरा कांड से लेकर गुजरात दंगों से जुड़े कई मामलों को शामिल किया गया था. हालांकि अब यह फिल्म यूट्यूब पर मौजूद है.

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