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बॉलीवुड एक्ट्रेस के बदलते रोल: कैसे बंधन तोड़ रही हैं महिलाएं

आज की हिरोइनें अब लीक से हटकर बोल्ड किरदार निभाने से परहेज नहीं करतीं

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झाड़ी के पीछे छुपकर रोमांस के दिन गए. अब बोल्ड होने को सेलिब्रेट करने के दिन आ गए हैं. समाज में महिलाएं अब अपनी शर्तों पर जीने लगी हैं. उन्हें अपनी सोच, सेक्सुएलिटी और जिंदगी को लेकर कोई झिझक नहीं है. पिछले कुछ वक्त से कई ऐसी फिल्में रिलीज हुई हैं, जिनमें बॉलीवुड की हिरोइनें उसी बदलते सोच को और आगे बढ़ा रही हैं.

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लिपस्टिक अंडर माय बुर्का

लिपस्टिक अंडर माय बुर्का चार ऐसी औरतों की कहानी है, जो दोहरी जिंदगी जी रही हैं. एक जिंदगी वो बुर्के के भीतर से देखती हैं और दूसरी वह, जो बुर्के के बिना जीती हैं. ये ऐसी महिलाओं की कहानी है, जो अपने छोटे-छोटे सपनों को पूरा करने के लिए आजाद जिंदगी की तलाश कर रही हैं.

फिल्म में अलग-अलग पीढ़ियों और बैकग्राउंड की महिलाओं की सोच और जीवन को दिखाया गया है, जो रूढ़िवादी सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जीना चाहती हैं.

फिल्म में रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा, आहाना कुमरा, प्लबिता ने मुख्य भुमिका निभाई है. इसमें सेक्स, रोमांस, ड्रामा और सस्पेंस, सभी तरह का फ्लेवर को डाला गया है, जो फिल्म को दिलचस्प बनाता है.

बेगम जान

शुजित मुखर्जी की इस फिल्म में विद्या बालन ने एक वेश्या का किरदार निभाया है, जो कोठा चलाती है, जहां कुछ लड़कियां रहती हैं. औरतों की दुनिया इसी कोठे में सीमित है और यहां सत्ता चलती है बेगम जान की.

बेगम जान ने वहां रह रही सभी औरतों को आवाज उठाना सिखाया. जरूरत पड़ने पर उन औरतों ने हथियार भी उठा लिए. इस फिल्म में औरतों के किरदार को नए अंदाज में पेश किया गया है.

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पिंक

ये फिल्म उन सवालों को उठाती है, जिनके आधार पर लड़कियों के चरित्र के बारे में बात की जाती है. लड़कियों का चरित्र घड़ी की सुइयों के आधार पर तय किया जाता है. इस फिल्म में अकेली रहने वाली आजाद ख्यालों की औरतों को लेकर लोगों की छोटी सोच को करारा जवाब दिया गया है.

फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह लड़कियां अपने दम पर समस्याओं को सुलझा सकती हैं. तीन लड़कियों की कहानी से वो सब कह डाला गया, जो बहुत समय से समाज में दबा पड़ा था.

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पार्च्ड

पार्च्ड की कहानी राजस्थान के एक गांव पर आधारित है. घरेलू हिंसा और अपनी जिंदगी के दुखों से परेशान तीन औरतें एक दूसरे को अपना सच्चा दोस्त मानती हैं.

राधिका आप्टे अपने किरदार में बच्चे के लिए अनजान इंसान से संबंध बनाती हैं. तनिषा चटर्जी अपनी बहू के लिए अपने बेटे को छोड़ देती हैं. तो वहीं सुरवीन चावला ने एक बोल्ड महिला का किरदार निभाया है, जो पैसे के लिए नाचती-गाती है.

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की एंड का

आमतौर पर हमें हिंदी फिल्मों में यही देखने को मिलता था कि पत्नी घर का ख्याल रखती है और पति नौकरी करता है, लेकिन करीना कपूर की फिल्म की एंड का ने ये ट्रेंड तोड़ दिया. इस फिल्म में करीना नौकरी करती हैं और उनके पति का रोल निभा रहे अर्जुन कपूर खाना बनाते हैं अपना घर संभालते हैं.

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