फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर आपने सुना होगा कि बॉलीवुड की ये फलाना फिल्म हॉलीवुड की किसी फिल्म की रीमेक है. ये बात सुनने में बहुत मामूली सी लगती है लेकिन एक बात जो हैरान करने वाली है वो ये कि बॉलीवुड में एक ही समय पर एक ही स्टोरी आईडिया पर कई फिल्में रिलीज हो रही हैं. अब आप ये सोच रहे होंगे कि हम इस मुद्दे पर क्यों बात कर रहे हैं..तो हाल ही में आई कुछ फिल्मों की स्टोरीलाइन, प्लॉट और थीम ने हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया है. आखिर एक ही वक्त में अलग-अलग फिल्ममेकर एक ही स्टोरी आईडिया पर फिल्म कैसे बना सकते हैं ? सबसे बड़ी बात कि फिल्मों के थीम बहुत ही हटके होते हैं जो ये सोचने को मजबूर करते हैं कि कोई रैंडम आईडिया एक साथ दो लोगों को कैसे आ सकता है?
लखनऊ सेंट्रल-कैदी बैंड
कुछ ही दिन पहले फरहान अख्तर की फिल्म लखनऊ सेंट्रल का ट्रेलर रिलीज हुआ. फरहान की फैन होने के नाते सबसे पहले उस ट्रेलर को देखा भी,लेकिन कुछ पलों में ये लगने लगा कि ठीक ऐसा ही एक ट्रेलर मैंने फिल्म कैदी बैंड का देखा था. कैदी बैंड रणबीर कपूर के चचेरे भाई आदर जैन की फिल्म है. फरहान की फिल्म लखनऊ सेंट्रल और आदर की फिल्म कैदी बैंड की कहानी (जो ट्रेलर में नजर आई) लगभग एक जैसी है.दोनों सिंगर बनना चाहते हैं कुछ परिस्थितियों के कारण जेल चले जाते हैं और वहीं से शुरू होता है बैंड बनाने का सफर..
इंदु सरकार-बादशाहो
हम दूर क्यों जाए हाल ही में रिलीज हुई मंधुर भंडारकर की फिल्म इंदु सरकार 1975 की इमरजेंसी पर आधारित थी और आपको ये जान कर हैरानी होगी की अजय देवगन की फिल्म बादशाहो भी इमरजेंसी सब्जेक्ट पर आधारित है.
पैड मैन-फुल्लू
ऐसे ही एक जैसी फिल्मों की कतार में अक्षय कुमार की अपकमिंग फिल्म 'पैडमैन' भी है और ठीक ऐसे ही सब्जेक्ट पर बनने वाली फिल्म 'फुल्लू' है. वैसे तो ये दोनों फिल्में बिल्कुल अलग हो सकती हैं लेकिन कंसेप्ट के आधार पर इन दोनों में भी समानता है.अक्षय की फिल्म 'पैडमैन' सेनिटरी पैड पर सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है.वहीं 'फुल्लू' में भी ऐसे ही शख्स की कहानी दिखायी गयी है. फिल्म फुल्लू में शारिब हाशमी लीड रोल में दिखाई देंगे.
डैडी-हसीना
डैडी और हसीना जैसी फिल्में भी मार्केट में आ रही हैं. दोनों फिल्में अंडरवर्ल्ड के बैकग्राउंड पर आधारित है. जहां श्रद्धा कपूर अंडरवर्ल्ड डॉन की बहन हसीना पारकर का किरदार निभा रही हैं वहीं 'डैडी' में अर्जुन रामपाल गावली के रोल में नजर आएंगे. यह फिल्म सत्तर के दशक में सामने आये मुंबई के डॉन अरुण गुलाब गवली पर बनी है. गवली को एक जमाने में मुंबई के डॉन दाउद इब्राहिम का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता था. हालांकि अब अरुण गवली जुर्म की दुनिया को अलविदा कहकर राजनीति में उतर चुके हैं.
बैटल ऑफ सारागढ़ी-संस ऑफ सरदार
बैटल ऑफ सारागढ़ी' और 'संस ऑफ सरदार' भी ऐसी ही फिल्मों में से एक हैं जिनमें काफी समानताएं हैं. दोनों फिल्में युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित हैं. बैटल ऑफ सारागढ़ी' एक ऐसी कहानी है जिसमें इशर सिंह ने 21 सिख सिपाहियों के साथ 12 सितंबर 1879 को हजारों अफगानी आक्रमणकारियों के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी. यही लड़ाई इतिहास के पन्नों में सारागढ़ी के महान युद्ध के नाम से दर्ज हो गई. वहीं अजय देवगन अपनी फिल्म सन्स ऑफ सरदार में एक सिख योद्धा की भूमिका निभाने जा रहे हैं.
ये तो हुई आने वाली फिल्में लेकिन अगर हम बॉलीवुड की हिस्ट्री उठा कर देखें तो ऐसी दर्जनों फिल्में हैं जो एक ही थीम पर बनी हैं और आस-पास ही रिलीज होती हैं चाहे वो सलमान खान की सुल्तान हो या फिर आमिर की दंगल हो या श्रीदेवी की मॉम हो या रवीना की फिल्म मातृ.
सवाल ये उठता है कि ये कैसे संभव है कि एक ही वक्त पर एक जैसी फिल्म बनाने का आईडिया फिल्म मेकर को आता है. खैर, बॉलीवुड की बातें बॉलीवुड ही जाने. सब्जेक्ट भले ही एक हो फैन्स तो फिल्म तभी देखेंगे जब उन्हें उसमें मिलेगा- एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट.
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