ADVERTISEMENTREMOVE AD

बॉलीवुड में एक ही थीम पर एक साथ दो-दो फिल्में, आखिर लोचा क्या है?

आखिर एक ही वक्त पर अलग-अलग फिल्ममेकर्स को एक जैसी फिल्म बनाने का ख्याल आता कैसे है? 

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर आपने सुना होगा कि बॉलीवुड की ये फलाना फिल्म हॉलीवुड की किसी फिल्म की रीमेक है. ये बात सुनने में बहुत मामूली सी लगती है लेकिन एक बात जो हैरान करने वाली है वो ये कि बॉलीवुड में एक ही समय पर एक ही स्टोरी आईडिया पर कई फिल्में रिलीज हो रही हैं. अब आप ये सोच रहे होंगे कि हम इस मुद्दे पर क्यों बात कर रहे हैं..तो हाल ही में आई कुछ फिल्मों की स्टोरीलाइन, प्लॉट और थीम ने हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया है. आखिर एक ही वक्त में अलग-अलग फिल्ममेकर एक ही स्टोरी आईडिया पर फिल्म कैसे बना सकते हैं ? सबसे बड़ी बात कि फिल्मों के थीम बहुत ही हटके होते हैं जो ये सोचने को मजबूर करते हैं कि कोई रैंडम आईडिया एक साथ दो लोगों को कैसे आ सकता है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लखनऊ सेंट्रल-कैदी बैंड

आखिर एक ही वक्त पर अलग-अलग फिल्ममेकर्स को एक जैसी फिल्म बनाने का ख्याल आता कैसे है? 
फिल्म लखनऊ सेंट्रल और कैदी बैंड की स्टोरी काफी एक जैसी है
( फोटो:Twitter )

कुछ ही दिन पहले फरहान अख्तर की फिल्म लखनऊ सेंट्रल का ट्रेलर रिलीज हुआ. फरहान की फैन होने के नाते सबसे पहले उस ट्रेलर को देखा भी,लेकिन कुछ पलों में ये लगने लगा कि ठीक ऐसा ही एक ट्रेलर मैंने फिल्म कैदी बैंड का देखा था. कैदी बैंड रणबीर कपूर के चचेरे भाई आदर जैन की फिल्म है. फरहान की फिल्म लखनऊ सेंट्रल और आदर की फिल्म कैदी बैंड की कहानी (जो ट्रेलर में नजर आई) लगभग एक जैसी है.दोनों सिंगर बनना चाहते हैं कुछ परिस्थितियों के कारण जेल चले जाते हैं और वहीं से शुरू होता है बैंड बनाने का सफर..

इंदु सरकार-बादशाहो

आखिर एक ही वक्त पर अलग-अलग फिल्ममेकर्स को एक जैसी फिल्म बनाने का ख्याल आता कैसे है? 
इंदु सरकार और बादशाहो
( फोटो:Twitter )

हम दूर क्यों जाए हाल ही में रिलीज हुई मंधुर भंडारकर की फिल्म इंदु सरकार 1975 की इमरजेंसी पर आधारित थी और आपको ये जान कर हैरानी होगी की अजय देवगन की फिल्म बादशाहो भी इमरजेंसी सब्जेक्ट पर आधारित है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पैड मैन-फुल्लू

आखिर एक ही वक्त पर अलग-अलग फिल्ममेकर्स को एक जैसी फिल्म बनाने का ख्याल आता कैसे है? 
अक्षय कुमार की अपकमिंग फिल्म ‘पैडमैन’ और फिल्म ‘फुल्लू’ एक ही सब्जेक्ट पर आधारित है
( फोटो:Twitter )

ऐसे ही एक जैसी फिल्मों की कतार में अक्षय कुमार की अपकमिंग फिल्म 'पैडमैन' भी है और ठीक ऐसे ही सब्जेक्ट पर बनने वाली फिल्म 'फुल्लू' है. वैसे तो ये दोनों फिल्में बिल्कुल अलग हो सकती हैं लेकिन कंसेप्ट के आधार पर इन दोनों में भी समानता है.अक्षय की फिल्म 'पैडमैन' सेनिटरी पैड पर सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है.वहीं 'फुल्लू' में भी ऐसे ही शख्स की कहानी दिखायी गयी है. फिल्म फुल्लू में शारिब हाशमी लीड रोल में दिखाई देंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डैडी-हसीना

आखिर एक ही वक्त पर अलग-अलग फिल्ममेकर्स को एक जैसी फिल्म बनाने का ख्याल आता कैसे है? 
फिल्म हसीना और डैडी अंडरवर्ल्ड के बैकग्राउंड पर आधारित है
( फोटो:Twitter )

डैडी और हसीना जैसी फिल्में भी मार्केट में आ रही हैं. दोनों फिल्में अंडरवर्ल्ड के बैकग्राउंड पर आधारित है. जहां श्रद्धा कपूर अंडरवर्ल्ड डॉन की बहन हसीना पारकर का किरदार निभा रही हैं वहीं 'डैडी' में अर्जुन रामपाल गावली के रोल में नजर आएंगे. यह फिल्म सत्तर के दशक में सामने आये मुंबई के डॉन अरुण गुलाब गवली पर बनी है. गवली को एक जमाने में मुंबई के डॉन दाउद इब्राहिम का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता था. हालांकि अब अरुण गवली जुर्म की दुनिया को अलविदा कहकर राजनीति में उतर चुके हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बैटल ऑफ सारागढ़ी-संस ऑफ सरदा

आखिर एक ही वक्त पर अलग-अलग फिल्ममेकर्स को एक जैसी फिल्म बनाने का ख्याल आता कैसे है? 
बैटल ऑफ सारागढ़ी’ और ‘संस ऑफ सरदार’ युद्ध की पृष्‍ठभूमि पर आधारित हैं
( फोटो:Twitter )

बैटल ऑफ सारागढ़ी' और 'संस ऑफ सरदार' भी ऐसी ही फिल्मों में से एक हैं जिनमें काफी समानताएं हैं. दोनों फिल्में युद्ध की पृष्‍ठभूमि पर आधारित हैं. बैटल ऑफ सारागढ़ी' एक ऐसी कहानी है जिसमें इशर सिंह ने 21 सिख सिपाहियों के साथ 12 सितंबर 1879 को हजारों अफगानी आक्रमणकारियों के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी. यही लड़ाई इतिहास के पन्नों में सारागढ़ी के महान युद्ध के नाम से दर्ज हो गई. वहीं अजय देवगन अपनी फिल्‍म सन्‍स ऑफ सरदार में एक सिख योद्धा की भूमिका निभाने जा रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये तो हुई आने वाली फिल्में लेकिन अगर हम बॉलीवुड की हिस्ट्री उठा कर देखें तो ऐसी दर्जनों फिल्में हैं जो एक ही थीम पर बनी हैं और आस-पास ही रिलीज होती हैं चाहे वो सलमान खान की सुल्तान हो या फिर आमिर की दंगल हो या श्रीदेवी की मॉम हो या रवीना की फिल्म मातृ.

सवाल ये उठता है कि ये कैसे संभव है कि एक ही वक्त पर एक जैसी फिल्म बनाने का आईडिया फिल्म मेकर को आता है. खैर, बॉलीवुड की बातें बॉलीवुड ही जाने. सब्जेक्ट भले ही एक हो फैन्स तो फिल्म तभी देखेंगे जब उन्हें उसमें मिलेगा- एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट.

(हमें अपने मन की बातें बताना तो खूब पसंद है. लेकिन हम अपनी मातृभाषा में ऐसा कितनी बार करते हैं? क्विंट स्वतंत्रता दिवस पर आपको दे रहा है मौका, खुल के बोल... 'BOL' के जरिए आप अपनी भाषा में गा सकते हैं, लिख सकते हैं, कविता सुना सकते हैं. आपको जो भी पसंद हो, हमें bol@thequint.com भेजें या 9910181818 पर WhatsApp करें.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×