मेरे लिए देश सबसे ऊपर है, मैं सेना का सम्मान करता हूं. पर मेरी फिल्म के साथ 300 लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है. फिल्म बनाते वक्त रिश्ते इतने खराब नहीं थे.
ये शब्द थे ‘ऐ दिल है मुश्किल’ फिल्म बनाने वाले फिल्म निर्माता करण जौहर के. ये फिल्म धर्मा प्रॉडक्शंस के बैनर तले बनी है.
एक फिल्म बनाने में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च होते हैं. दर्जनों कैमरा पर्सन होते हैं. स्पॉट ब्वॉय, मेकअप दादा और टेक्निशियन जैसे 300 से 400 लोग.
कश्मीर में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से पाकिस्तान से रिश्ते तेजी से खराब हुए हैं. लेकिन फिल्म तो काफी पहले से बन रही थी. कास्टिंग तकरीबन एक साल पहले हुई होगी. ऐसे में करण जौहर और उनकी टीम को ये कैसे पता हो सकता था कि फिल्म की रिलीज के वक्त पाकिस्तान से रिश्ते इतने खराब हो जाएंगे.
क्या राजनीति रोकेगी किसी के घर की रोटियां?
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोशिएसन इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं..
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एमएनएस ने मल्टीप्लेक्स वालों को धमकी देते हुए कहा है कि फिल्म के टिकटों के बराबर ही सिनेमाहॉल के शीशे हैं...अगर आप फिल्म लगाते हैं तो अपने शीशे फूटने के लिए तैयार हो जाइए.
पाक कलाकारों पर राजनीति करके आईएमपीपीए और मनसे को अच्छा मीडिया कवरेज मिलता है. लेकिन क्या इस राजनीति की वजह से ये ठीक होगा कि 300 लोगों की कम से कम दो साल की मेहनत पर पानी फिर जाए?
क्या ये ठीक है कि दो सालों से मेहनत कर रहे फिल्म निर्माता करण जौहर को इस राजनीति की वजह से 300 लोगों के लिए खुद को सरेंडर करना पड़े?
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