कभी रॉ एजेंट, तो कभी नेवी अफसर बनकर रुपहले पर्दे पर अपनी देशभक्ति दिखाने वाले अक्षय कुमार अब पाकिस्तान में जासूस बनकर अपनी देशभक्ति का नया रंग दिखाएंगे. जासूस ही नहीं अक्षय कुमार अमृतसर के गोल्डन टेंपल के बाहर रिक्शा भी चलाते हुए नजर आ सकते हैं. यही नहीं अक्षय कुमार सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना भी बनाते हुए दिख सकते हैं, क्योंकि अक्षय कुमार एक ऐसे शख्स का किरदार निभाने जा रहे हैं, जिसने इन तमाम कारनामों को अंजाम दिया है, जिसका नाम है अजीत डोभाल.
अजीत डोभाल वो शख्स जिसे भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है, डोभाल के बहादुरी के किस्से तो हम अक्सर अखबारों और टीवी पर देखते हैं, लेकिन अब उनकी कहानी बॉलीवुड के रुपहले पर्दे पर नजर आएगी. डोभाल के नाम इतनी कामयाबियां दर्ज हैं कि कि उसे फिल्म में किस तरह से दर्शाया जाएगा, ये देखना दिलचस्प होगा, अब डोभाल की कहानी तो हम पर्दे पर बाद में देखेंगे, लेकिन हम पहले आपको बताते हैं डोभाल की जिंदगी के जुड़े कुछ किस्से.
पीएम नरेंद्र मोदी के खास डोभाल
जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो उन्होंने सबसे पहले अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया. डोभाल मोदी सरकार के सबसे ताकतवर अफसर माने जाते हैं, उनके कंधे पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. देश के अहम फैसलों में उनकी सलाह ली जाती है. डोभाल पीएम मोदी के साथ हर वक्त साए की तरह रहते हैं.
फिल्म के पहले सीन में क्या दिखा सकते हैं अक्षय?
अजीत डोभाल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 7 साल पाकिस्तान में गुजारे हैं. वो खुद कई मौकों पर इस बात का जिक्र कर चुके हैं. ऐसा कहा जाता है कि डोभाल ने पाकिस्तानी जासूस बनकर खालिस्तानी आतंकियों की जानकारी ली और वो गोल्डन टेंपल एक रिक्शाचालक का भेष बदलकर पहुंचे थे. फिल्म की शुरुआत भी शायद इसी सीन से होगी कि 1988 में अक्षय एक रिक्शावाला बनकर गोल्डन टेंपल के बाहर नजर आएंगे.
क्या है डोभाल के रिक्शावाला बनने की कहानी?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 1988 में स्वर्ण मंदिर के पास एक नया-नया रिक्शावाला आया था, शक्ल से वो आम रिक्शावाला ही लग रहा था. उस रिक्शावाले ने बड़ी मुश्किल से खालिस्तानियों को इस बात का भरोसा दिलाया कि उसे आईएसआई ने उनकी मदद के लिए भेजा है. ऑपरेशन ब्लैक थंडर से ठीक दो दिन पहले वो रिक्शावाला मंदिर कैंपस में गया और अलगाववादियों की सही पोजिशन और उनकी कई खूफिया जानकारी निकालकर ले आया, जिसकी मदद से वो ऑपरेशन कामयाब हो पाया. ये रिक्शावाला कोई और नहीं बल्कि अजीत डोभाल थे.
1968 बैच के आईपीएस अफसर अजीत डोभाल ने 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो ज्वाइन किया था. डोभाल का ज्यादातर वक्त देश के खूफिया विभाग में बतौर जासूस गुजरा है. अजीत डोभाल ने करीब 3 दशक जासूसी में गुजार दिए.
कंधार विमान अपहरण:176 यात्रियों को बचाने का मिशन
अजीत डोभाल अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में मल्टी एंजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क के चीफ के तौर पर भी काम कर चुके हैं. डोभाल ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को भी बड़े संकट से उबारा था. 24 दिसंबर, 1999 को नेपाल से भारत आ रही एयर इंडिया की एक विमान का अपहरण कर लिया गया था, इस विमान में 176 भारतीय सवार थे.
कंधार एयरपोर्ट पर खड़े इस विमान के यात्रियों की जान के बदले आतंकियो ने भारतीय जेलों में बंद 35 आतंकियों को रिहा करने की मांग कर डाली. अटल सरकार पर 176 लोगों को सुरक्षित वापस लाने का दबाव बढ़ता जा रहा था, ऐसे मुश्किल वक्त में अजीत डोभाल ने ही अहम भूमिका निभाई और उस ऑपरेशन में यात्रियों को सुरक्षित वापस लाया गया .
उम्मीद है कि अक्षय कुमार की फिल्म में इस घटना का जिक्र भी जरूर होगा. अब देखना होगा कि नीरज पांडेय इस घटना को अपनी फिल्म में किस तरह से दर्शाते हैं.
कश्मीर के हालात को सुधारने में अहम भूमिका
90 के दशक में जब कश्मीर में हालात बेहद खराब थे, उस वक्त भी डोभाल ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी. ऐसा कहा जाता है कि डोभाल ने आतंकियों में ही फूट डलवा दी थी. कुक्के पैरे जैसे आतंकी को मिलाकर उन्होंने घाटी में ऐसा माहौल तैयार किया, जिससे 1996 में वहां चुनाव हो पाया.
सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टरमाइंड अजीत डोभाल
अब बात करते हैं 2016 की जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर उनको सबक सिखाया. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर भारतीय सैनिकों ने उरी हमले के शहीदों का बदला ले लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे भी दिमाग अजीत डोभाल का ही था. उनके बेहतरीन प्लान का ही नतीजा था, कि सर्जिकल स्ट्राइक को इतनी कामयाबी से अंजाम दिया गया. भारतीय सैनिकों ने आतंकियों के ठिकाने को ध्वस्त कर कई आतंकियों को मार गिराया.
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सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक इसी साल रिलीज हुई है और फिल्म सुपरहिट रही. अब जब अजीत डोभाल की जिंदगी पर ही फिल्म बन रही है तो जाहिर है, सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र भी होगा. हो सकता है सर्जिकल स्ट्राइक की कामयाबी के साथ ही फिल्म का इंटरवल भी हो.
बालाकोट एयरस्ट्राइक
इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में एक आतंकी हमले में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए. पूरे देश में गुस्सा उबल रहा था, देश का हर नागरिक पाकिस्तान से बदला लेने के लिए बेकरार था, इसी बीच 26 फरवरी की सुबह पूरे देश में ये खबर फैली कि पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय सैनिकों ने घुसकर उनके कई आतंकी ठिकाने नष्ट कर दिए हैं. इस एयर स्ट्राइक की प्लानिंग भी अजीत डोभाल ने ही की थी.
अक्षय की फिल्म के अंत में क्या हो सकता है?
वैसे अक्षय की फिल्म का अंत कैसा होगा? क्या फिल्म में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का जिक्र किया जाएगा? मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर पर लिए गए इस फैसले से पहले यही चर्चा थी कि कुछ बड़ा होने वाला है. इस चर्चा ने ज्यादा जोर तब पकड़ा जब अजीत डोभाल कश्मीर के सीक्रेट दौरे पर गए.
आर्टिकल 370 हटने के बाद ही डोभाल फिर कश्मीर पहुंच गए हैं. वे वहां के ताजा हालात पर नजर बनाए हुए हैं. इससे पहले अचानक अमरनाथ यात्रा बीच में रोकने का फैसला लेने के पीछे भी डोभाल के इनपुट ही शामिल थे. यानी मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले में भी अजीत डोभाल का रोल है, तो हो सकता है अक्षय की फिल्म का दी एंड इसी के साथ हो.
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