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वापस लौट रहा है फिल्मों का ये दौर: अनुराग कश्यप  

फिल्म ‘मुक्काबाज’ 12 जनवरी को रिलीज होगी.

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फिल्मकार अनुराग कश्यप अपनी फिल्मों के जरिए समाज की वास्तविकता को पर्दे पर पेश करने के लिए जाने जाते हैं. अनुराग की अगली फिल्म 'मुक्काबाज' भी समाज में मौजूद ' जातिवाद' और खराब आधारभूत ढांचे जैसे समाज के 'जटिल मुद्दों' पर बात करती है.

अपनी फिल्म के बारे में अनुराग कहते हैं कि , मेरी फिल्म का बैकग्राउंड उत्तर प्रदेश का है जिस राज्य से मैं आया हूं. जो जातिवाद आप फिल्म में देख रहे हैं वह उतना ही वास्तविक है जितना लगता है. यह उस समाज की वास्तविकता है.

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अनुराग कहते हैं कि , "जब हम जातिवाद के बारे में बात करते हैं तो हम केवल यह सोचते हैं कि निम्न जाति के साथ उच्च जाति कैसे भेदभाव कर रही है. लेकिन वास्तविकता यह भी है कि इससे उलट जातिवाद भी मौजूद है जहां निचली जाति के लोग प्रशासन में उच्च पद पर पहुंचकर सालों के बाद उच्च जाति के लोगों के साथ बदला लेते हैं जिन्होंने उनसे पहले भेदभाव किया था."

क्या उनकी फिल्म में राजनीति को जानबूझकर शामिल करने की कोशिश की गई है जो मूल रूप से बॉक्सिंग के बारे में है? इस सवाल पर उन्होंने कहा,

मैं मुक्केबाजी पर आधारित एक खेल फिल्म बना रहा हूं. फिल्म के जरिए मैं मुक्केबाजी के खेल की वास्तविक स्थिति और उन खिलाड़ियों के सोशल बैकग्राउंड को दिखा रहा हूं जो इससे जुड़ रहे हैं. इसलिए फिल्म की कहानी मूल रूप से इसके आसपास की चीजों पर घूमती हैं.

फिल्म का मुख्य किरदार राष्ट्रीय चैंपियन बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है. यह फिल्म देश के खेल की वास्तविक परेशानियों को उजागर करती है जो भारत को एथलेटिक्स में एक वैश्विक पहचान बनाने में सबसे बड़ी बाधा है.

उन्होंने कहा, "यह सवाल वही है जो मैं पूछना चाहता हूं. हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट का जश्न मनाते हैं, लेकिन मुक्केबाजी जैसी किसी खेल का नहीं. एक मुक्केबाज चैंपियन के साथ कभी भी क्रिकेट चैंपियन की तरह व्यवहार नहीं किया जाता है."

विनीत कुमार सिंह और जिम्मी शेरगिल अभिनीत फिल्म 'मुक्काबाज' 12 जनवरी को रिलीज होगी.

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