बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार की पीरियड्स पर खुलकर बात करने को प्रेरित करती हालिया रिलीज फिल्म 'पैडमैन' हो या फिर स्वच्छता का संदेश देने वाली 'टॉयलेट : एक प्रेम कथा' दोनों फिल्मों की रिलीज के बाद भी अक्षय ने इन मुद्दों पर बात करनी नहीं छोड़ी है. उन्हें लगता है कि देश की स्वच्छता और माहवारी के प्रति जागरूकता जेसे मुद्दे हैं, जिन पर बात करना बहुत जरूरी है.
दिल्ली में एक प्रोग्राम के दौरान जब अक्षय से पूछा गया कि कई मुद्दों पर फिल्में बनती हैं, लोग देखते हैं और देखने के बाद भूल जाते हैं, क्या आगे भी आप इस विषय पर जागरूकता फैलाते रहेंगे? इस पर अक्षय ने कहा-
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हम फिल्म रिलीज होने के बाद फिल्म पर बात नहीं करते. मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर जुहू बीच पर जहां मैं रहता हूं, वहां टॉयलेट लगा रहे हूं. मैंने ‘टॉयलेट..एक प्रेम कथा’ फिल्म में काम किया था, लेकिन हम अभी भी उस पर बात कर रहे हैं. ये ऐसे विषय हैं, जिन पर हमें जब जहां मौका मिलेगा हम उस पर बात करेंगे और काम करेंगे.
भारत में अक्सर सामाजिक मुद्दों या समस्याओं पर बनने वाली फिल्में अधिक सफल नहीं होती हैं और उन्हें उतने दर्शक नहीं मिल पाते हैं, खासतौर पर फिल्म निर्माता भी इससे दूर रहते हैं. क्या आपको लगता है कि आपकी फिल्में इस धारणा को बदल रही हैं? इस पर उन्होंने कहा, "हां, मैं इसे लेकर आश्वस्त हूं कि मेरी फिल्में इस धारण को बदल रही हैं और मैं इसके लिए प्रार्थना भी करूंगा. अगर मैं अपनी फिल्म 'पैडमैन' की बात करूं, तो मैं आजकल सोशल मीडिया पर देख रहा हूं कि पुरुष भी इस विषय पर बात कर रहे हैं.
‘अब तनाव महसूस नहीं होता’
क्या अक्षय ने 'पैडमैन' को लेकर किसी तरह का तनाव महसूस किया, यह पूछे जाने पर अक्षय ने कहा, "नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. मैं 130 फिल्में कर चुका हूं, अब तनाव जैसा कुछ महसूस नहीं होता. जहां तक विषय का सवाल है, इससे पहले मैंने 'टॉयलेट : एक प्रेम कथा' की थी, जिस पर लोगों ने कहा था कि क्या कोई ऐसी फिल्म देखने आएगा? लेकिन भगवान का शुक्र है और दर्शकों की मेहरबानी कि यह फिल्म सफल रही. मुझे लगा कि हमें इस विषय पर भी बात करनी चाहिए, इसलिए हमने यह फिल्म बनाई.
गांव में रहने वाले लोगों के लिए सिनेमाघरों तक पहुंचना आसान नहीं है. ऐसे में ग्रामीणों तक मासिक धर्म के समय स्वच्छता की बात कैसे पहुंचाई जा सकती है? इस सवाल पर अक्षय ने कहा, "इसके लिए मैं मीडिया से निवेदन करूंगा.. कई तरह से मीडिया की पहुंच गांव-गांव तक होती है। हमारे देश में करीब 82 फीसदी महिलाएं हैं, जो सैनिटरी पैड्स की पहुंच से दूर हैं. अगर आप (मीडिया) मानते हैं कि लोगों के लिए माहवारी और इसकी स्वच्छता के प्रति जागरूकता होनी चाहिए, तो मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि इस पर खुलकर बात करें और लोगों को जागरूक करें
गांव में रहने वाले लोगों के लिए सिनेमाघरों तक पहुंचना आसान नहीं है. ऐसे में ग्रामीणों तक मासिक धर्म के समय स्वच्छता की बात कैसे पहुंचाई जा सकती है? इस सवाल पर अक्षय ने कहा,
“इसके लिए मैं मीडिया से निवेदन करूंगा.. कई तरह से मीडिया की पहुंच गांव-गांव तक होती है. हमारे देश में करीब 82 फीसदी महिलाएं हैं, जो सैनिटरी पैड्स की पहुंच से दूर हैं. अगर आप (मीडिया) मानते हैं कि लोगों के लिए माहवारी और इसकी स्वच्छता के प्रति जागरूकता होनी चाहिए, तो मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि इस पर खुलकर बात करें और लोगों को जागरूक करें
कई तरह के विरोधों के बावजूद सैनिटरी नैपकिन को जीएसटी के दायरे में रखा गया है क्या पैडमैन के बाद कुछ बदलाव की उम्मीद की जा सकती है? इस पर अक्षय ने कहा, "सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी इसलिए लगा है, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगे छोटी-छोटी कंपनियां दब न जाएं. छोटे उद्योगों पर जीएसटी नहीं है. अगर ऐसा नहीं होगा तो केवल बड़ी कंपनियां रह जाएंगी और छोटी कंपनियां मर जाएंगी. मैं हालांकि सरकार से अनुरोध करता हूं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त सैनिटरी पैड बांटे जाने चाहिए."
अक्षय ने पिछले कुछ सालों में 'रुस्तम', 'एयरलिफ्ट', 'गब्बर', 'टॉयलेट..' जैसी फिल्में की हैं, इस तरह की फिल्में बनाने के मकसद को स्पष्ट करते हुए अक्षय कहते हैं, "मैं पहले भी ऐसी फिल्में बनाना चाहता था, लेकिन उस वक्त मैं फिल्म निर्माता नहीं था और न ही मेरे पास इतने पैसे थे, लेकिन अब यह करने में सक्षम हूं. जब मेरी पत्नी (ट्विंकल खन्ना) ने मुझे इस विषय और मुरुगनाथम के बारे में बताया, तो मैं खुद को रोक नहीं पाया और हमने तुरंत इस प्रेरक कहानी को बड़े पर्दे पर उतारने का फैसला ले लिया.
(इनपुटः IANS)
क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.
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