बॉलीवुड एक्टर इरफान खान अपनी बीमारी के चलते आजकल फिल्मों से दूर हैं. इरफान ने लंदन से ही अपने एक दोस्त और पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज को एक चिट्ठी भेजी और अपनी मौजूदा हालत और दर्द को बयां किया, जिसका अभी वो सामना कर रहे हैं.
इरफान ने तीन महीने पहले एक ट्वीट करके खुद को हुई बीमारी न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर के बारे में बताया था. हांलाकि बीमारी की खबर के तुरंत बाद इरफान इलाज के लिए लंदन रवाना हो गए थे.
इरफान ने बताया -
बीमारी की खबर ने मुझे हिलाकर रख दिया था. मैं सभी चीजों पर अपना कंट्रोल करना चाहता था. मैं बस उम्मीद कर रहा था कि मुझे किसी गंभीर समस्या से गुजरना नहीं पड़े. मैं बस अपने पैरों पर खड़ा हो जाना चाहता था. डर और दर्द मुझ पर हावी नहीं हो सकते. लेकिन इन सारी सकारात्मक बातों के बीच जब आपका दर्द बढ़ता है तब कोई मोटिवेशन काम नहीं आता. किसी भी तरह की सहानुभूति बेकार होती है. बस दर्द होता है, वो दर्द इतना तेज होता है कि पलभर के लिए वो आपको भगवान से बड़ा लगने लगता है. मैं एक ऐसी बीमारी का हिस्सा बन गया हूं. जिसके कम ही मामले सामने आते हैं. इसलिए इसके ट्रीटमेंट के चांस भी कम होते हैं. मैं एक्सपेरिमेंट का हिस्सा बन गया हूं.
मैं एक अलग खेल में फंस चुका था. मैं एक तेज ट्रेन राइड को एजॉय कर रहा था, जहां मेरे सपने थे, प्लान थे, महत्वकांक्षाएं थीं, प्लान था और इन सबमें मैं पूरी तरह से फंसा था और अचानक किसी ने मेरे कंधे को थपथपाया और मैंने मुड़कर देखा. वह टीसी था, जिसने कहा, ‘आपकी मंजिल आ गई है, कृपया उतर जाइए.’ मैं हक्का-बक्का सा था और सोच रहा था, ‘नहीं नहीं, मेरी मंजिल अभी नहीं आई है. उसने कहा, नहीं, यही है. जिंदगी कभी-कभी ऐसी ही होती है.
इरफान आगे कहते हैं -
जब मैं पहली बार दर्द के साथ अस्पताल में गया, मुझे लंबे वक्त तक इस बात का एहसास तक नहीं हुआ कि मेरे बचपन का सपना लॉर्ड्स स्टेडियम मेरे अस्पताल के पास ही बना है. जब मैं अस्पताल की बालकनी पर खड़ा होता था तो एक तरफ स्टेडियम में लगी क्रिकेटर विवयन रिचर्ड्स की मुस्कुराती तस्वीर देखता था. एक तरफ मेरा अस्पताल था, दूसरी तरफ स्टेडियम. इस बीच एक सड़क थी जो मुझे जिंदगी और मौत के बीच का रास्ते जैसी लग रही थी.
अस्पताल में मेरे कमरे के पास ही कोमा वॉर्ड बना हुआ था. लेकिन ये सारी चीजें मुझे बस ये एहसास करा रहीं थी कि जिंदगी में अनिश्चितता ही निश्चित है. मुझे पहली बार असल मायने में एहसास हुआ की आजादी का मतलब क्या है.
इस वास्तविकता को जानने के बाद मैंने नतीजे की चिंता किए बगैर भरोसा करते हुए अपने हथियार डाल दिए हैं. मुझे नहीं पता कि अब 8 महीने या 4 महीने या 2 साल बाद जिंदगी मुझे कहां ले जाएगी. मेरे दिमाग में अब किसी चीज के लिए कोई चिंता नहीं है और उन्हें पीछे छोड़ने लगा हूं.
इरफान अपने फैंस को याद करते हुए कहते हैं कि’ मेरी बीमारी का पता चलने के बाद बहुत से लोग मेरे लिए दुआ कर रहे हैं. कई लोग जो मुझे जानते भी नहीं. सबकी दुआएं एक फोर्स बनकर मेरे स्पाइनल कॉर्ड के जरिए अंदर आते हुए सिर तक जा रही हैं. मैं जिंदगी को बहुत करीब से महसूस कर रहा हूं.
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