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मन्ना डे: एक सच्ची रूह की सदा जो सीधे दिल तक पहुंचती है...

दुनिया मन्ना डे के गानों की फैन थी और वो खुद राजेश खन्ना के फैन थे

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कसमे वादे प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या... एक सच्ची रूह की सदा जब गीतों के जरिए जेहन तक पहुंचती है ,तो समां खुद-ब-खुद रुक जाता है. ऐसे हुनर जो वक्त को थाम लेते हैं, जमाने दर जमाने लोग उनका नाम लेते हैं... आज हम याद कर रहे हैं उस ठहराव भरी आवाज को जिसे सभी ... ‘मन्ना डे’ के नाम से जानते हैं.

मन्ना डे के नगमे ऐसे थे जो आज भी गुनगुनाए जाते हैं. मोहम्मद रफी कहा करते थे, "सारी दुनिया मेरे गाने सुनती है, मैं तो सिर्फ मन्ना डे के गाने सुनता हूं."

वाकई मन्ना डे उस्तादों के उस्ताद थे. वे इंडियन क्लासिकल और वेस्टर्न म्यूजिक के फ्यूजन का एक्सपेरिमेंट करने वाले पहले गायकों में से थे. हम सुनाने जा रहे हैं मन्ना डे कुछ सदाबहार नगमे, जिनके जरिए वह लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं.

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1 मई 1919 में जन्में मन्ना डे ने आशा भोंसले के साथ रिकॉर्ड 160 गाने गाए. जबकि मोहम्मद रफी के साथ उन्होंने 101 गाने रिकॉर्ड किए. मन्ना डे का मानना था कि एक गायक के प्लेबैक को लोगों के दिलों तक पहुंचाने में एक एक्टर का बहुत बड़ा योगदान होता है. इसीलिए अपनी ऑटो बायोग्राफी जोबनेर जलझाधोरे (यादें जी उठीं) में उन्होंने लिखा है, "मैं राजेश खन्ना का बहुत बड़ा फैन हूं, मैं हमेशा उनका कर्जदार रहूंगा."

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मन्ना डे के गीत बदलते फिल्मी दौर के आर्काइव या स्नैपशॉट की तरह याद आते हैं. शास्त्रीय संगीत के रागों पर उनकी महारत, पूछो ना कैसे मैंने रैन बिताई ( मेरी सूरत तेरी आंखें), लागा चुनरी में दाग ( दिल ही तो है) जैसी बंदिशों से साफ झलकती है .

दादामुनि अशोक कुमार के दौर से आगे चलकर राजकपूर के शेक्सपियर एरा में, दिल का हाल सुने दिलवाला( श्री 420), ए भाई जरा देखकर चलो..( मेरा नाम जोकर) ने धूम मचाई. फिल्म वक्त का... ऐ मेरी जोहरा जबीं... तो आज भी बुजुर्गों का रोमांटिक स्पेशल है.

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मन्ना डे के नायाब सफर के लिए उन्हें 4 फिल्म फेयर सहित कई अवॉर्ड्स मिले. भारत सरकार ने उन्हें 1971 में पद्मश्री 2005 में पद्म भूषण और 2007 में फिल्म जगत के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजा. यही नहीं दुनिया पर आवाज का जादू चलाने वाले मन्ना डे ने कॉलेज के दिनों में कुश्ती और बॉक्सिंग में भी जमकर हाथ आजमाए थे.

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किशोर कुमार जैसे अल्हड़ उस्ताद के साथ उनका क्लासिक जैम... एक चतुर नार, करके श्रंगार...स्केल तोड़ अजूबा है. वहीं फिल्म शोले का ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे ...न जाने कितनों का फ्रेंडशिप एंथम है.
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यशोमती मैया से बोले नंदलाला., तू प्यार का सागर है तेरी एक बूंद के प्यासे हम, प्यार हुआ इकरार हुआ, यह रात भीगी-भीगी, यारी है ईमान मेरा, बाबू समझो इशारे, आओ ट्विस्ट करें... नदिया चले चले रे धारा, न जाने कितनी कहानियों, कितनी जिंदगियों में एक फनकार अपनी यादें छोड़ जाता है.

जिंदगी कैसी है पहेली हाय.. कभी तो हंसाए ,कभी ये रुलाए जैसे यादगार गाने देकर, 24 अक्टूबर 2013 को मन्ना डे दिल का दौरे पड़ने से बेंगलौर में खामोशी से दुनिया को अलविदा कह गए. लेकिन उनके नगमे आज और हमेशा, हलचल मचाते ही रहेंगे.

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