पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय टीवी चैनलों पर भारतीय फिल्मों और कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने ये आदेश मंगलवार को दिया. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF के जवानों पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव की स्तिथि पैदा हो गई है.
जज गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने प्राइवेट टीवी चैनलों पर भारतीय कार्यक्रमों के प्रसारण से जुड़े मामले की सुनवाई के बाद देश के निजी टीवी चैनलों को भारतीय फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण करने से रोक दिया है.
इससे पहले पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने ये कहा था कि पाकिस्तान फिल्म एग्जिबिटर्श असोसिएशन बालाकोट में किए गए भारतीय वायुसेना के हमले के बाद भारतीय फिल्मों का बहिष्कार करेगा.
चौधरी ने एक ट्वीट किया है जिसमें लिखा है , "सिनेमा एक्जिबिटर एसोसिएशन ने भारतीय कंटेंट का बहिष्कार किया है. इसके साथ पाकिस्तान में अब कोई भारतीय फिल्म रिलीज नहीं होगी. इसके अलावा पीईएमआरए को 'मेड इन इंडिया' विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
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आपको बता दें कि पाकिस्तानी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी ऑथॉरिटी (पीईएमआरए) ने 19 अक्टूबर, 2016 को स्थानीय टीवी चैनलों पर भारतीय कंटेंट पर पूरी तरह बैन लगा दिया था. लेकिन 2017 में लाहौर हाईकोर्ट ने ये बैन हटा दिया था.
पाक को होगा कितना नुकसान
पाकिस्तान और भारत के बीच चल रहे इस तनाव में दोनों देशों की फिल्म इंडस्ट्री पर भी असर पड़ता है. न केवल इकोनॉमी, बल्कि दोनों देशों फिल्म इंडस्ट्री को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. अगर ऐसी ही स्तिथि बनी रही तो पाक फिल्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में सिर्फ 20 फिल्में ही सालाना बनती हैं. वहीं भारत में 1,000 से ज्यादा फिल्में एक साल में बनती हैं. फिल्म को अच्छा मुनाफा कमा कर देने में दोनों ही देशों के लोगों का योगदान है. न केवल भारत में, बल्कि पाकिस्तान में भी बॉलीवुड की फिल्में करोड़ों का कारोबार कर लेती हैं.
भारत में भी पाक कलाकारों को बैन करने की मांग
ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने पीएम मोदी को खत लिखकर पाकिस्तानी कलाकारों को वीजा न देने की मांग की थी. इससे पहले भारत के निर्माताओं ने पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने का फैसला लिया था.
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