ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘पद्मावत’ विवाद पर भड़कीं स्वरा, कहा-मुझे लाइमलाइट में रहना पसंद 

‘पद्मावत’ के कंटेंट पर खुला खत लिखकर सुर्खियों में आईं स्वरा भास्कर

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने जबसे एक साइट के जरिए फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ खुला खत लिखा, उसके बाद से वो सुर्खियों में हैं. उन्हें काफी ट्रोल भी किया गया, जिसके बाद बेपरवाह स्वरा ने गुस्से और तंज के साथ फिर एक ट्वीट किया और लिखा, ''मुझे लाइमलाइट में रहना अच्छा लगता है, इसलिए मैं कॉन्ट्रोवर्सी क्रिएट करती हूं.''

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्वरा को ट्रोलर्स का जवाब

स्वरा को काफी ट्रोल किए जाने के बाद उन्होंने भी अपना जवाब ट्रोलर्स को दिया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘ये काफी मजाकिया है कि लोग इस चीज से उबर नहीं पाते कि किसी महिला ने ‘वजाइना’ (योनि) शब्द का इस्तेमाल किया है! 2440 शब्दों के आर्टिकल जिसे तर्क के साथ समझाया गया है, उनमें से उन्हें सिर्फ एक शब्द वजाइना याद रहा!!! इसलिए वजाइना वजाइना वजाइना वजाइना वजाइना वजाइना...वजाइना वजाइना वजाइना!!!’

कहां से उठा ये मुद्दा?

दरअसल स्वरा ने एक साइट पर संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' के कंटेंट पर खुला खत लिखा था. जिसके बाद ये सारा बवाल शुरू हुआ. आइए आपको बताते हैं कि इस खत में क्या था?

'अनारकली ऑफ आरा' फेम स्वरा ने भंसाली को इतनी परेशानियों के बावजूद 'पद्मावत' को रिलीज करने के लिए बधाई देते हुए अपने खत की शुरुआत की थी.

उन्होंने फिल्म देखने के बाद अपनी चिंताएं सोशल मीडिया पर शेयर की. उन्होंने दो टूक कहा कि फिल्म ‘पद्मावत’ ने उन्हें स्तब्ध कर दिया. उन्होंने लिखा, आपकी महान रचना के अंत में मुझे यही लगा. मुझे लगा कि मैं एक योनि हूं. मुझे लगा कि मैं योनि तक सीमित होकर रह गई हूं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने लिखा, मुझे ऐसा लगा कि महिलाओं और महिला आंदोलनों के सालों बाद जो सभी छोटी उपलब्धियां, जैसे मतदान का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, 'समान काम समान वेतन' का अधिकार, मातृत्व अवकाश, विशाखा आदेश का मामला, बच्चा गोद लेने का अधिकार मिले.. सभी तर्कहीन थे. क्योंकि हम मूल सवाल पर लौट आए.

‘पद्मावत’ के कंटेंट पर खुला खत लिखकर सुर्खियों में आईं स्वरा भास्कर
‘अनार कली ऑफ आरा’ में स्वरा भास्कर
(फोटो: फेसबुक)

उन्होंने लिखा, हम जीने के अधिकार के बेसिक सवाल पर लौट आए. आपकी फिल्म देखकर लगा कि हम उसी काले अध्याय के सवाल पर ही पहुंच गए हैं कि क्या विधवा, दुष्कर्म पीड़िता, युवती, वृद्धा, गर्भवती, किशोरी को जीने का अधिकार है?

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को दुष्कर्म के बाद पति, पुरुष रक्षक, मालिक और महिलाओं की सेक्सुएलिटी तय करने वाले, आप उन्हें जो भी समझते हों, मौत के बाद भी महिलाओं को स्वतंत्र होकर जीने का हक है.

स्वरा ने फिल्म के आखिरी सीन को बहुत ज्यादा असहज बताया, जिसमें अभिनेत्री दीपिका पादुकोण (रानी पद्मावती) कुछ महिलाओं के साथ जौहर कर रही थीं.

उन्होंने कहा, महिलाएं चलती फिरती योनि मात्र नहीं हैं. हां, उनके पास योनि है, लेकिन उनके पास उससे भी ज्यादा बहुत कुछ है. उनकी पूरी जिंदगी योनि पर ही ध्यान केंद्रित करने, उस पर नियंत्रण करने, उसकी रक्षा करने और उसे पवित्र बनाए रखने के लिए नहीं है.

स्वरा ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि भंसाली अपनी इस फिल्म में 'सतीप्रथा' और 'जौहर' की कुछ हद तक निंदा करेंगे.

उन्होंने लिखा, आपका सिनेमा मुख्य रूप से प्रेरणाशील, उद्बोधक और शक्तिशाली है. ये अपने दर्शकों की भावनाओं को नियंत्रित करता है. ये सोच को प्रभावित कर सकता है और सर, आप अपनी फिल्म में जो दिखा रहे हैं और बोल रहे हैं, इसके लिए सिर्फ आप ही जिम्मेदार हैं.

(इनपुट IANS से)

यह भी पढ़ें: पद्मावत रिव्यू: ये फिल्म आपको एक अलग दुनिया में ले जाएगी लेकिन...

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×