नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक दमदार एक्टर हैं, उनकी ज्यादातर परफॉरमेंस में कमियां ढूंढ़ना मुश्किल है. 'कहानी' से लेकर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' तक, 'द लंच बॉक्स' और अब 'सेक्रेड गेम्स', उनका हर प्रदर्शन यादगार है. लेकिन एक अभिनेता की फिल्मोग्राफी कुछ फ्लॉप्स के बिना अधूरी होती है. तो उनके जन्मदिन पर नवाजुद्दीन की कुछ ऐसी फिल्मों की लिस्ट जो कि फ्लॉप रहीं:
1. मुन्ना माइकल
जब यह टाइगर श्रॉफ की फिल्म हो, तो आप ज्यादा तर्क की उम्मीद नहीं कर सकते. लेकिन अगर इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे अभिनेता हों, तो एक दर्शक के रूप में आपका खून खौल उठता है. नवाजुद्दीन ने इस फिल्म में एक गैंगस्टर का किरदार निभाया, जो टाइगर श्रॉफ से डांस सीखता है और इस बेकार स्क्रिप्ट के हिसाब से जितना अच्छा एक्ट कर सकते थे वो किया. देखा जाए, तो यह फिल्म की एकमात्र वाजिब चीज हैं नवाजुद्दीन, लेकिन फिल्म टाइगर पर फोकस करती है...खासतौर पर टाइगर के मसल्स पर.
2. किक
ऐसा लग रहा था कि इस फिल्म में नवाज ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे. यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसमें जैकलिन फर्नांडीज ने एक मनोवैज्ञानिक की भूमिका निभाई थी और वह लोगों का इलाज करने के लिए उन्हें कमरे में बंद करने में विश्वास रखतीं हैं.
नवाज़ फिल्म के सेकंड हाफ में खलनायक शिव गजरा के रूप में दिखाई देते हैं और वह सबसे बुरी बातें कहने के बाद ठहाके मारते हैं. एक सीन में नवाज बबल रैप पेपर से किसी को मौत के घाट उतार देते हैं और फिर आगे बढ़ते हुए उस पेपर पर लगे बुलबुले फोड़ने लगते हैं, जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं. मैं इस फिल्म को देखने के बाद किसी को ’किक’ करना चाहता था, लेकिन नवाज को इस तरह की बेकार फिल्म में मजे लेते देखना अच्छा लग रहा था.
3. जीनियस
ऐसी फिल्म तो कोई कम IQ वाला ही बना सकता है और विडंबना देखिये की फिल्म का नाम 'जीनियस' है. मुझे अभी तक इस फिल्म का प्लॉट समझ नहीं आया है, पर फिर भी मैं इस फिल्म की कहानी को समझने की कोशिश जरूर करना चाहूंगा. तो उत्कर्ष शर्मा (निर्देशक अनिल शर्मा के बेटे जिन्होंने यह बेकार फिल्म बनाई) ने इस फिल्म में वासु का किरदार निभाया है. वासु एक 'जीनियस' है क्यूंकि वो सिर्फ एक स्टूडेंट ही नहीं, बल्कि एक पार्ट-टाइम RAW एजेंट भी है (जीवन कितना रोमांचक होता अगर कोई भी एस्ट्रोनॉट, डॉक्टर और पार्ट-टाइम सीक्रेट एजेंट होता). खैर, नवाजुद्दीन इस फिल्म में दूसरे 'जीनियस' हैं लेकिन वो बुरे हैं.
नवाज इस फिल्म में अपने चेहरे पर अलग-अलग तरह के भाव लाए हैं. वो शायद इस फिल्म की स्क्रिप्ट और उसकी मूर्खता से निपट नहीं पाए. अगर आपको इस फिल्म को देखने का दुर्भाग्य प्राप्त हुआ है, तो मैं सिर्फ 'आमीन' ही कह सकता हूं.
4. फ्रीकी अली
कहानी एक अंडरगारमेंट बेचने वाले के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक टैलेंटेड गोल्फ प्लेयर भी है. उनके टैलेंट को पहचान कर उनको गली से उठा के गोल्फ की एक बड़ी लीग खेलने के लिए शामिल कर लिया जाता है. नवाजुद्दीन ने ईमानदारी से अपना रोल निभाया है, लेकिन निर्देशक सोहेल खान ने वही पुरानी घिसी पिटी चीजें दिखायीं हैं. नवाज के को-एक्टर्स अरबाज खान और एमी जैक्सन भी भयानक हैं.
फिल्म का क्लाइमेक्स 80 के दशक की धीमी गति की तरह है, लेकिन एकमात्र अंतर यह है कि यह उतना भी अच्छा नहीं है और आपको आखिर में यह लगेगा कि क्या इससे अच्छा 'शोले' दोबारा देख लेनी चाहिए थी? यह फिल्म इस लिस्ट में बाकी फिल्मों जितनी बुरी भी नहीं है. अगर आप नवाजुद्दीन के बहुत बड़े फैन हैं और आपके पास काफी फालतू समय है तो इस फिल्म को देख सकते हैं.
5. आत्मा- फील इट अराउंड यू
पहली बात तो ये कि जिस फिल्म का नाम ही 'आत्मा- फील इट अराउंड यू' हो, उसे गंभीरता से लेना मुश्किल है. लेकिन ये इस 'हॉरर' फिल्म की सबसे बड़ी समस्या नहीं है. नवाज इस फिल्म में एक तलाकशुदा आदमी की भूमिका निभाते हैं, जो अपनी बेटी के साथ समय बिताने के लिए अपनी पूर्व पत्नी के घर में भूत बनकर वापस आते हैं. फिल्म में सामान्य हिंदी हॉरर फिल्म की ही तरह उड़ने वाली चीजें, शीशे में किसी की परछाईं दिखना आदि शामिल है, जो कि एक समय के बाद बहुत मजाकिया लगने लगता है.
नवाजुद्दीन एक बार फिर इस फिल्म को भी उबारने की भरपूर कोशिश करते हैं, लेकिन फिल्म इतनी ज्यादा हल्की है की उसे गंभीरता से लेना मुश्किल हो जाता है. बिपाशा बासु, जो फिल्म में नवाज की को-एक्टर हैं, वो पूरे टाइम एक ही तरह का तनाव से भरे एक्सप्रेशंस दिए जातीं हैं, जैसे किसी मैगजीन कवर का शूट कर रहीं हों.
ये भी पढ़ें-
‘लक्ष्मी बम’ में कजरारे नैनों वाले अक्षय कुमार का फर्स्ट लुक जारी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)